पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

भारत सतत विकास के साथ 2030 तक जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और 2070 तक शुद्ध-शून्य तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है: श्री भूपेंद्र यादव


वैश्विक साझेदारी को नया स्वरूप देने के लिए, भारत के 'संपूर्ण-समाज' दृष्टिकोण में सरकार का राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीय और स्थानीय स्तरों पर जुड़ाव, जिसमें निजी क्षेत्र, नागरिक समाज संगठन, स्थानीय समुदाय और असुरक्षित स्थितियों में रहने वाले लोग शामिल।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत दुनिया में सद्भाव और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने का संकल्प दिखाते हुए वैश्विक अग्रदूत के रूप में उभरा है: श्री यादव

Posted On: 07 FEB 2023 7:20PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज बेंगलुरु में भारत ऊर्जा सप्ताह में 'अडेप्टिंग टू एन अन्सर्टेन फ्यूचर : रीशेपिंग ऑफ ग्लोबल पार्टनरशिप ' पर मंत्रिस्तरीय सत्र को संबोधित किया। जिम्बाब्वे की ऊर्जा और विद्युत विकास उप मंत्री महामहिम मैग्ना मुडीवा भी उपस्थित थीं।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में, भारत ऐसे समय में दुनिया में सद्भाव और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प की क्षमता के साथ वैश्विक अग्रदूतों में से एक के रूप में उभरा है, जब वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला संकटपूर्ण स्थिति में है और  पूरे विश्व में आवश्यक वस्तुओं का संकट मौजूद है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक साझेदारी को फिर से आकार देने के लिए, भारत ने "संपूर्ण-समाज" दृष्टिकोण अपनाया है, जहां सरकारें राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीय और स्थानीय सरकारों के साथ काम कर रहीं है जिसमें निजी क्षेत्र, नागरिक समाज संगठन, स्थानीय समुदाय और असुरक्षित स्थितियों में रह रहे लोग शामिल हैं ।

श्री यादव ने कहा कि आज भारत सबसे तेज विकास दर हासिल करने वाली उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जहां की आबादी युवा है और इनोवेशन एवं बिजनेस इकोसिस्टम का विकास हो रहा है। 2023/24 में  नॉमिनल जीडीपी के पिछले साल के मुकाबले 10.5 प्रतिशत की विकास दर से बढ़कर 301.75  लाख करोड़ रुपये (3.69 लाख करोड़ डॉलर) पहुंचने के अनुमान के साथ भारत का प्रयास साल 2025 तक 5 लाख डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है। 

यह देखते हुए कि भारत तेजी से डीकार्बोनाइजेशन के साथ आर्थिक और ऊर्जा की मांग में वृद्धि सहित ऊर्जा परिवर्तन के केंद्र में है, श्री यादव ने कहा कि भारत 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और बाद में 2070 तक नेट-शून्य तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संदर्भ में उन्होंने यह भी कहा कि टिकाऊ और कार्बन न्यूट्रल भविष्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता इसके विस्तारित राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (एनडीसी) और दीर्घकालिक निम्न कार्बन विकास रणनीति द्वारा निर्देशित है जो स्वच्छ और कुशल ऊर्जा प्रणालियों, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे और नियोजित पर्यावरण-पुनर्स्थापना की बात करता है। उन्होंने कहा कि भारत का शुद्ध शून्य लक्ष्य पांच दशक की लंबी यात्रा पर आधारित है और इसलिए भारत की रणनीति विकासवादी और लचीली होनी चाहिए, जिसमें प्रौद्योगिकी में नए विकास, वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को जगह मिले।

श्री यादव ने यह भी कहा कि 2070 तक नेट-जीरो तक पहुंचने के लिए भारत की दीर्घकालीन निम्न-कार्बन विकास रणनीति अन्य बातों के साथ-साथ यह भी कहती है कि विकास की अनिवार्यता के साथ-साथ देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है, जो कि बिजली उत्पादन के लिए गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत के विस्तार और जीवाश्म ईंधन संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग पर आधारित है। इसलिए भारत की दीर्घकालिक निम्न-कार्बन विकास रणनीति निम्न-कार्बन विकास पथों के लिए सात प्रमुख बदलावों पर टिकी हुई है। ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में, रणनीति विकास के अनुरूप निम्न-कार्बन विद्युत प्रणालियों को विकसित करने की जरूरत; एक एकीकृत, कुशल और समावेशी परिवहन प्रणाली का विकास; इमारतों में ऊर्जा और निर्माण सामग्री की दक्षता को बढ़ावा और संवहनीय शहरीकरण; और एक कुशल, अभिनव निम्न-उत्सर्जन औद्योगिक प्रणाली का विकास और  पूरी अर्थव्यवस्था में उत्सर्जन रहित विकास को बढ़ावा देने की बात करती है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि केंद्रीय बजट 2023-24 में अर्थव्यवस्था को हरित बनाना शीर्ष सात प्राथमिकताओं (सप्तऋषि) में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत ने विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में ऊर्जा के कुशल उपयोग के लिए हरित ईंधन, हरित ऊर्जा, हरित गतिशीलता, हरित भवन, और हरित उपकरण और नीतियों के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं और उनको आगे बढ़ा रहा है। पेट्रोल के साथ इथेनॉल सम्मिश्रण, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देना कुछ महत्वपूर्ण पहलें हैं जो भारत एक स्वच्छ और हरित ऊर्जा भविष्य की दिशा में आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि ये पहलें भारत के ऊर्जा परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और बड़े पैमाने पर हरित रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं।

केंद्रीय बजट 2023-24 की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए श्री यादव ने कहा कि यह भारत के ऊर्जा परिवर्तन के प्रति सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। केंद्रीय बजट की कुछ महत्वपूर्ण पहलें हैं:

  1. एनर्जी ट्रांजिशन: यह बजट पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के द्वारा एनर्जी ट्रांजिशन और नेट जीरो उद्देश्यों, और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में प्राथमिकता वाले पूंजी निवेश के लिए 35,000 करोड़ रुपये प्रदान करता है।.
  2. 19,700 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ हरित हाइड्रोजन मिशन, एनर्जी ट्रांजिशन को सुगम बनाने और जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए है
  3. ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं: सतत विकास पथ पर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए 4,000 एमडब्लूएच की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को वायबिलिटी गैप फंडिंग द्वारा मदद दी जाएगी।
  4. नवीकरणीय ऊर्जा निकासी: लद्दाख से 13 जीडब्लू नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी और ग्रिड एकीकरण के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली के निर्माण के लिए 8,300 करोड़ रुपये के केंद्रीय समर्थन के साथ 20,700 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
  5. गोबरधन योजना: सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गोबरधन (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना के तहत 500 नए 'वेस्ट टू वेल्थ' प्लांट स्थापित किए जाएंगे।.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इन पहलों को ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक साझेदारी को नया रूप देने और अनिश्चित भविष्य के लिए बेहतर अनुकूलन में विभिन्न हितधारकों के साथ भारत के सहयोग को बढ़ाने के अवसरों के रूप में भी देखा जाना चाहिए।

अपनी समापन टिप्पणी में, श्री यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को उद्धृत किया, जिन्होंने बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन, सत्र I: खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा में अपने संबोधन में कहा था,

वैश्विक विकास के लिए भारत की ऊर्जा-सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हमें ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी तरह के प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए। भारत स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है। 2030 तक, हमारी आधी बिजली नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न होगी। समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के लिए विकासशील देशों को समयबद्ध और किफायती वित्त और प्रौद्योगिकी की सतत आपूर्ति आवश्यक है।

***

एमजी/एएम/एसएस/एजे



(Release ID: 1897232) Visitor Counter : 328


Read this release in: English , Marathi