रक्षा मंत्रालय
आईएनएस विक्रांत पर नौसेना के एलसीए और मिग-29 लड़ाकू विमान की पहली लैंडिंग
Posted On:
06 FEB 2023 7:47PM by PIB Delhi
"भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर पर नौसेना के स्वदेशी एलसीए की सफल लैंडिंग एवं टेक ऑफ आत्मनिर्भर भारत के हमारे सामूहिक विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मिग-29के की पहली लैंडिंग लड़ाकू विमानों के आईएनएस विक्रांत के साथ एकीकरण की शुरुआत है। इसको साकार करने वाले सभी लोगों को बधाई।" - नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार
आईएनएस विक्रांत पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है और हमारे देश द्वारा निर्मित अब तक का सबसे जटिल युद्धपोत है। यह गर्व की बात है कि जहाज को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा इन-हाउस डिजाइन किया गया है और मैसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है। यह जहाज 4 अगस्त 2021 को पहले समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ था। तब से, इसने मुख्य प्रोपल्शन, बिजली उत्पादन उपकरण, अग्निशमन प्रणाली, एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स आदि के परीक्षणों के लिए समुद्र में रहा है। इस कैरियर को भारतीय नौसेना में 2 सितंबर 2022 को कमीशन किया गया था। समारोह में माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि थे।
इस एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण भारत सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' विजन को एक बड़ा प्रोत्साहन है। यह कैरियर 13 दिसंबर 2022 से रोटरी विंग और फिक्स्ड विंग विमान के साथ वायु प्रमाणन और उड़ान एकीकरण परीक्षणों के लिए 'कॉम्बैट रेडी' होने के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु व्यापक एयर ऑपरेशन्स कर रहा है। विमानन परीक्षणों के अंतर्गत भारतीय नौसेना के परीक्षण पायलटों द्वारा 6 फरवरी 2023 को एलसीए (नौसेना) और मिग-29के की आईएनएस विक्रांत पर लैंडिंग की गई।
डेक पर एलसीए (नौसेना) की लैंडिंग ने स्वदेशी लड़ाकू विमानों के साथ स्वदेशी विमान वाहक को डिजाइन करने, विकसित करने निर्माण करने और संचालित करने की भारत की क्षमता में 'आत्मनिर्भरता' का प्रदर्शन किया है। यह वास्तव में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है कि पहली बार एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित प्रोटोटाइप विमान का परीक्षण एक स्वदेशी विमान वाहक पर सफलतापूर्वक किया गया है। इसके अलावा, आईएनएस विक्रांत पर मिग-29के का उतरना भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह स्वदेशी वाहक के साथ विमान के सफल एकीकरण को दर्शाता है साथ ही साथ नौसेना की लड़ाकू तैयारी को और पुख़्ता करता है।
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