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राजस्व आसूचना निदेशालय  (डीआरआई) ने तूतीकोरिन और चेन्नई बंदरगाहों के जरिये देश में तस्करी से लाई जाने वाली 8.61 करोड़ रुपये कीमत की 114 एमटी सुपारी पकड़ी

प्रविष्टि तिथि: 06 FEB 2023 8:35PM by PIB Delhi

राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) को सटीक सूचना मिली थी कि मिश्रित पुश चारा और जौ के आयात की आड़ में जबल अली, दुबई तथा सिंगापुर से सुपारी की एक बड़ी खेप गैर-कानूनी रूप से तूतीकरिन व चेन्नई बंदरगाहों के जरिये भारत लाई जा रही है। इनमें दो कंटेनर तूतीकोरिन के और तीन कंटेनर चेन्नई बंदरगाह पर उतारे गये थे। फर्जी तौर पर घोषित किया गया था कि इनमें मिश्रित पशु चारा और जौ है। इन कंटेनरों को रोककर जांच की गई। कंटेनरों की पड़ताल करने पर पता चला कि कंटेनर के सामने के हिस्से में बोरों में मिश्रित पशु चारा और जौ रखा मिला, लेकिन उसके बाद जितने भी बोरे थे, उन सब में सुपारी भरी हुई थी।

तस्करी द्वारा लाई जाने वाली सुपारी की कुल मात्रा 114.372 एमटी थी, जिसकी कीमत 8.61 करोड़ रुपये थी। इस कीमत में पशु चारा और जौ की कीमत भी शामिल है, जिनकी आड़ में यह तस्करी की जा रही थी। सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के आधार पर सारी वस्तुओं को जब्त कर लिया गया। उल्लेखनीय है कि सुपारी को सीटीएच 08028020 के तहत वर्गीकृत किया गया है, जिस पर मौजूदा 9093 अमेरिकी डॉलर/एमटी के आधार पर 100 प्रतिशत सीमा शुल्क देय है। इस सीमा शुल्क से बचने के लिये तस्कर गिरोह ने मिश्रित पशु चारा और जौ की आड़ में सुपारी की तस्करी करने की कोशिश की।

शुरूआती जांच में पता चला कि पांचों कंटेनरों के आयात का बंदोबस्त चेन्नई के एक व्यक्ति ने किया था। इसके बाद फौरन कार्रवाई की गई और छुपाकर लाये जाने वाले पूरे माल की तस्करी को अंजाम देने वाले शख्स को दबोच लिया। उसे गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

याद रहे कि राजस्व आसूचना निदेशालय चेन्नई जोन इकाई ने इसके पहले 232.349 एमटी सुपारी जब्त की थी, जिसकी कीमत 11.72 करोड़ रुपये थे। कुछ माह पहले इसे विभिन्न सामानों की आड़ में इंडोनिशिया से लाया जा रहा था। वित्तवर्ष 2022-23 में 143 करोड़ रुपये की कीमत की लगभग 3670.19 एमटी सुपारी को डीआरआई की विभिन्न इकाइयों ने जब्त किया है।

डीआरआई ने जिस तरह से सुपारी तस्करी के बड़े रैकट का भंडाफोड़ किया है, उससे न केवल सरकारी खजाने की आय सुरक्षित हुई, बल्कि घरेलू उद्योग के हितों की भी रक्षा हुई, खासतौर से उन किसानों व कारोबारियों के हितों की, जिनकी आजीविका पूरी तरह सुपारी पर निर्भर है।

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एमजी/एएम/एकेपी


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