ग्रामीण विकास मंत्रालय

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा, महिलाओं के खिलाफ किसी भी हिंसा को धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए और बिना किसी पूर्वाग्रह के सभी को इसकी कड़ी निंदा करनी चाहिए


मंत्री ने लैंगिक भेदभाव के विरुद्ध समुदाय आधारित राष्ट्रव्यापी अभियान "नई चेतना-पहल बदलाव की" नामक महीने भर चलने वाले अभियान की शुरुआत की

श्री सिंह ने हिंसा से प्रभावित महिलाओं की सहायता के लिए 13 राज्यों में 160 लैंगिक संसाधन केंद्रों का भी उद्घाटन किया

Posted On: 25 NOV 2022 5:24PM by PIB Delhi

केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज कहा कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी हिंसा को धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए और बिना किसी पूर्वाग्रह के सभी को इसकी कड़ी निंदा करनी चाहिए।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 'भारत में अपराध 2021' रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए श्री सिंह ने गंभीर चिंता व्यक्त की कि भारत में 2021 में बलात्कार के 31,677 मामले दर्ज किए गए - औसतन 86 रोजाना - जबकि महिलाओं के खिलाफ अपराध के लगभग 49 मामले हर एक घंटे में दर्ज किए गए। 2020 में बलात्कार के मामलों की संख्या 28,046 थी, जबकि 2019 में यह 32,033 थी।

श्री सिंह नई दिल्ली में दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के "लैंगिक भेदभाव के विरुद्ध समुदाय आधारित राष्ट्रव्यापी अभियान" के शुभारंभ के बाद बोल रहे थे।

 

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'लैंगिक हिंसा का उन्मूलन' विषय के साथ 'नई चेतना-पहल बदलव की' नामक महीने भर चलने वाले अभियान को 25 नवंबर से 23 दिसंबर, 2022 तक देश के सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 'जन आंदोलन' के रूप में आयोजित किया जाएगा।
यह एक वार्षिक अभियान होगा जो प्रत्येक वर्ष विशिष्ट लैंगिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस वर्ष अभियान का फोकस क्षेत्र लैंगिक हिंसा है। यह अभियान सीएसओ भागीदारों के सहयोग से सभी राज्यों द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा, और राज्य, जिला, प्रखंड सहित सभी स्तरों द्वारा सक्रिय रूप से क्रियान्वित किया जाएगा जिसमें विस्तारित समुदाय के साथ सामुदायिक संस्थानों को शामिल किया जाएगा। अभियान हिंसा के मुद्दों को उजागर करने, पहचानने और हल करने में एक ठोस प्रयास करने के लिए सभी संबंधित विभागों और हितधारकों को एक साथ लाएगा। आने वाले वर्षों में यह अभियान एक बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ सभी विभागों और क्षेत्रों में लिंग की समझ को गहरा करने और प्रासंगिकता तथा स्वामित्व पैदा करने के लिए एक अंतर-विषयक दृष्टिकोण को शामिल करेगा। अभियान के हिस्से के रूप में ज्ञान कार्यशालाएं, नेतृत्व प्रशिक्षण, यौन हिंसा और निवारण तंत्र पर सेमिनार होंगे।

श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में लैंगिक समानता और दैनिक जीवन में महिलाओं के सम्मान के महत्व के बारे में बात की थी। श्री मोदी ने कहा था, “हमारे आचरण में विकृति आ गई है और हम कई बार महिलाओं का अपमान करते हैं। महिलाओं की गरिमा को कम करने वाले हर भाषण और आचरण से छुटकारा पाना महत्वपूर्ण है।

 

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श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सभी कदम उठा रहे हैं और कहा कि केवल आत्मनिर्भर महिलाएं ही आत्मनिर्भर भारत बनाने में मदद करेंगी। डीएवाई-एनआरएलएम मिशन की प्रगति की सराहना करते हुए, श्री सिंह ने कहा, 2014 में, 2.35 करोड़ एसएचजी सदस्य थे, लेकिन पिछले 8 वर्षों में मोदी के सक्रिय समर्थन के बाद, एसएचजी सदस्यों की संख्या अब लगभग 9 करोड़ हो गई है। उन्होंने कहा, लक्ष्य 2024 तक 10 करोड़ सदस्य हासिल करना है। मंत्री ने यह भी बताया कि 2014 से पहले स्वयं सहायता समूहों को कुल ऋण लगभग 80.000 करोड़ रुपये था और अब बैंक लिंकेज पिछले 8 वर्षों में 5.7 लाख करोड़ से अधिक हो गया है, जबकि एनपीए सिर्फ 2.1% है।

श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रत्येक महिला लाभार्थी को स्थानीय उत्पादों की बिक्री के माध्यम से प्रति वर्ष कम से कम एक लाख रुपये की बचत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब कुछ लखपति दीदियां 10 लाख रुपये सालाना कमाएंगी।

श्री सिंह ने 13 राज्यों में 160 लैंगिक संसाधन केंद्रों का भी उद्घाटन किया, जिन्हें उन्होंने "नारी चेतना केंद्र" बताया। यह डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) के साथ काम करेगा, जिसका उद्देश्य निजी और सार्वजनिक स्थानों पर, परिवार, समुदाय और कार्यस्थल पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं का सहयोग करना है। देश भर में 1,251 लैंगिक संसाधन केंद्र स्थापित किए गए हैं जहां से लैंगिक हिंसा का सामना करने वाली महिलाएं मदद मांग सकती हैं।

केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने अपने संबोधन में कहा कि उपनिषद काल में लैंगिक भेदभाव की कोई अवधारणा नहीं थी और कहा कि गार्गी और मैत्रेयी जैसी महान स्वतंत्र दार्शनिक भारत की नारी शक्ति के उदाहरण थीं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी के "बेटी बचाओ, बेटी पढाओ" अभियान के परिणामस्वरूप लैंगिक पूर्वाग्रह की व्यापकता और इसे खत्म करने में समुदाय की भूमिका के बारे में जनता में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ी है। पिछले 8 वर्षों के दौरान हरियाणा सहित कई राज्यों में जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) में सुधार हुआ है।

 

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साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, भारत को वैश्विक विकास अगुआ के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अधिक ठोस प्रयास करने होंगे, महिलाओं को पुरुषों के बराबर लाने के लिए समग्र-सरकार-समग्र-समाज दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, जबकि सार्वजनिक क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना महत्वपूर्ण है और संभावित रूप से सकारात्मक कार्यों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, महिलाओं को उनके घरों और व्यापक समाज में समान माना जाने के लिए एक व्यवहारिक बदलाव आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह अभियान सभी संबंधित लोगों के मन में इस तरह के दृष्टिकोण में बदलाव लाने का एक प्रयास है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन में कहा कि यह देश में एक दुखद स्थिति है कि बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं अभी भी लिंग आधारित हिंसा को सामान्य मानते हैं और इस परिप्रेक्ष्य को बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आगे आना चाहिए और किसी भी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ बोलना चाहिए और इससे निपटने के लिए पर्याप्त कानूनी उपाय हैं। मंत्री ने कहा, अभियान ग्रामीण महिलाओं को लक्षित कर रहा है और सरकार के साथ पंजीकृत स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से चलाया जाएगा।

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ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है कि 15 से 49 वर्ष की सभी विवाहित महिलाओं में से 30 प्रतिशत को किसी न किसी तरह की हिंसा का सामना करना पड़ता है और 45 प्रतिशत लोग इसे सामान्य मानते हैं। एनएफएचएस-5 के आंकड़ों का हवाला देते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि 77 प्रतिशत महिलाओं ने अपने ऊपर हुई हिंसा के बारे में कभी किसी से मदद नहीं मांगी और इस प्रवृत्ति से सख्ती से लड़ना होगा।

श्री सिन्हा ने कहा, नई चेतना एक जन अभियान है, जिसे केंद्र सरकार ने शुरू किया है और इसमें 30 राज्य मिशन शामिल होंगे। उन्होंने कहा, विचार यह है कि लिंग आधारित हिंसा के मुद्दे को ध्यान में लाया जाए और महिलाओं को उनके अधिकारों और उनकी शिकायतों के निवारण में मदद के लिए उपलब्ध तंत्र के बारे में जागरूक किया जाए।

अपर सचिव श्री चरणजीत सिंह ने कहा, यह अभियान ऐसे दिन शुरू किया जा रहा है जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया है। उन्होंने कहा, यह अभियान किसी भी अंतरराष्ट्रीय अभियान से अधिक लंबा होगा।

ग्रामीण विकास मंत्रालय में ओएसडी श्री शैलेश कुमार सिंह, श्रीमती नीता केजरीवाल, संयुक्त सचिव और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी आज के कार्यक्रम में शामिल हुए।

गौरतलब है कि लैंगिग हिंसा (जीबीवी) एक वैश्विक हिंसा है जो हर 3 में से 1 महिला को उनके जीवनकाल में प्रभावित करती है। डीएवाई-एनआरएलएम इस सामाजिक बुराई को व्यक्तिगत और सामाजिक विकास प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ी बाधा के रूप में पहचानता है और इसलिए इसका उद्देश्य लैंगिक हिंसा को समाप्त करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करना है। हाशिए पर पड़े समुदायों और महिलाओं के मुद्दों को सामने लाने और हल करने के चल रहे प्रयास के हिस्से के रूप में डीएवाई-एनआरएलएम बड़े परिप्रेक्ष्य बदलाव के लिए सभी क्षेत्र में लिंग के एकीकरण के साथ-साथ लिंग से संबंधित मुद्दों का जवाब देने के लिए संस्थागत तंत्र बनाने की आवश्यकता पर जोर देता है।

डीएवाई-एनआरएलएम ने अपने नई चेतना अभियान के उद्घाटन विषय के रूप में लिंग आधारित हिंसा की पहचान की है और 25 नवंबर से महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस से एक महीने का गहन अभियान शुरू किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले लोगों की हिंसा के विभिन्न रूपों की पहचान करने और उन्हें स्वीकार करने साथ ही साथ बोलकर, दूसरों के साथ साझा करके, और अन्याय के खिलाफ कार्रवाई के लिए सहयोग मांगकर इसका जवाब देने की क्षमता का निर्माण करना है।


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अपने संस्थागत मजबूती के प्रयासों के तहत डीएवाई-एनआरएलएम एक समुदाय प्रबंधित मंच प्रदान करने के लिए प्रखंड स्तर पर लैंगिक संसाधन केंद्र (जीआरसी) की स्थापना कर रहा है जहां से लिंग के आधार पर असमानताओं और भेदभाव का विरोध किया जा सकता है, और जहां पीड़िता या पीड़ित व्यक्ति उन मुद्दों पर काम कर रहे अन्य विभागों और एजेंसियों के सहयोग के माध्यम से इसका निवारण हासिल कर सकते हैं।

 

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