आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

वर्षांत समीक्षा 2022: आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय


मेक इन इंडिया और आत्म-निर्भर भारत पहल को बढ़ावा देने में मददगार हैं आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय की योजनाएं और मिशन

Posted On: 09 JAN 2023 4:32PM by PIB Delhi

 

  • अमृत के अंतर्गत लगभग  134 लाख नल जल कनेक्शन और 102 लाख सीवर/सेप्टेज कनेक्शन प्रदान किए गए
  • अमृत 2.0 मिशन के अंतर्गत अब तक जल आपूर्ति, जल निकाय संरक्षण, सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन, पार्क और हरित क्षेत्र के विकास की 93,381 करोड़ रुपये मूल्‍य की 4,830 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई ।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना - शहरी के अंतर्गत अब तक 1.20 करोड़ से अधिक मकानों को मंजूरी दी गई और 64 लाख से अधिक मकान पूरे किए गए
  • भारतीय निर्माण प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात करने के लिए पीएमएवाई-यू के एक प्रौद्योगिकी उप-मिशन के अंतर्गत 54 वैश्विक नवोन्‍मेषी निर्माण प्रौद्योगिकियों की पहचान की गई
  • शहरी प्रबंधन में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिए सभी 100 स्मार्ट सिटीज में विकसित किए गए एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) कोविड-19 महामारी के दौरान वॉर रूम बन गए
  • भारत ने बार्सिलोना में स्मार्ट सिटी एक्सपो वर्ल्ड कांग्रेस-2022 में अपनी डेटा पहल- डेटा स्मार्ट सिटीज: एम्पावरिंग सिटीज़ थ्रू डेटा" के लिए वर्ल्ड स्मार्ट सिटी अवार्ड जीता
  • एसबीएम-यू के अंतर्गत 3,500 से अधिक शहरों को ओडीएफ प्लस और 1,191 शहरों को ओडीएफ प्लस प्लस के रूप में प्रमाणित किया गया
  • शहरी परिवहन मिशन के अंतर्गत पुणे, मुंबई, कोलकाता, कोच्चि, अहमदाबाद और नागपुर शहरों में लगभग 83 किलोमीटर लंबाई वाली मेट्रो रेल लाइनें चालू की गईं
  • महाराष्ट्र में नागपुर मेट्रो का वर्धा रोड पर 3.14 किलोमीटर की सबसे लंबी डबल डेकर वायाडक्ट मेट्रो बनाने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज

 

2021 के दौरान आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और मिशनों ने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को अनेक तरीकों से बढ़ावा देने में मदद की है। योजनाओं और मिशनों से ऐसे कारक जुड़े हैं, जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल को सीधे तौर पर प्रभावित किया है। 

77,640 करोड़ रुपये के कुल स्वीकृत एसएएपी आकार के मुकाबले, 82,223 करोड़ रुपये मूल्‍य की 5,874 परियोजनाओं की आधारशिला रखी जा चुकी है। इन परियोजनाओं का 67,073 करोड़ रुपये मूल्‍य(33,031 करोड़ रुपये मूल्‍य की पूरी हो चुकी परियोजनाओं को मिलाकर) का भौतिक कार्य पूरा हो चुका है और 60,063 करोड़ रुपये का व्यय किया गया है।

अब तक, अमृत के अंतर्गत लगभग पानी के 134 लाख नल कनेक्शन और 102 लाख सीवर/सेप्टेज कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, डब्ल्यूटीपी की 3,096 एमएलडी उपचार क्षमता, एसटीपी की 2,892 एमएलडी उपचार क्षमता, लगभग 1,400 एमएलडी पुन: उपयोग क्षमता विकसित की है,जिसमें से 800 एमएलडी का पुन: उपयोग किया जा रहा है और लगभग 4,450 एकड़ हरित स्थान/पार्क, और लगभग 2,400 जल जमाव बिंदुओं को समाप्त कर दिया।

अमृत परियोजनाओं की क्षेत्रवार प्रगति निम्‍नलिखित है:

सभी आंकड़े करोड़ रुपये में

 

क्षेत्र

पूर्ण हो चुकी परियोजनाएं

जारी परियोजनाएं

कुल परियाजनाओं की नींव रखी गई 

 

 

संख्‍या

धनराशि

संख्‍या

धनराशि

संख्‍या

धनराशि

 

जलापूर्ति

934

17,597.63

407

25,040.21

1341

42,637.84

 

सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन

507

12,163.7

357

21,820.95

864

33,984.65

 

बरसाती पानी की निकासी

682

1,358.9

118

1,618.63

800

2,977.53

 

पार्क और हरित क्षेत्र

2,312

1,365.12

209

232.68

2,521

1,597.8

 

शहरी परिवहन

265

546.01

83

478.81

348

1,024.82

 

कुल योग

4,700

33,031.36

1174

49,191.28

5,874

82,222.64

 

 

अमृत 2.0 का शुभारंभ प्रधानमंत्री ने 1 अक्टूबर 2021 को किया। अमृत 2.0  मिशन शहरों को 'पानी सुरक्षित' बनाने और सभी वैधानिक कस्बों/शहरों के सभी घरों में पानी के चालू नल कनेक्शन प्रदान करने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है। अमृत 2.0 के लिए कुल सांकेतिक परिव्यय 2,77,000 करोड़ रुपये है, जिसमें वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक की अवधि के लिए 76,760 करोड़ रुपये का केंद्रीय अंश शामिल है।

अब तक अमृत 2.0 मिशन के अंतर्गत अब तक जल आपूर्ति, जल निकाय संरक्षण, सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन, पार्क और हरित क्षेत्र के विकास की 93,381 करोड़ रुपये मूल्‍य की 4,830 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं में 2.68 करोड़ नल जल कनेक्शन, 2.64 करोड़ सीवर कनेक्शन, 7,151 एमएलडी क्षमता को नए और मौजूदा डब्ल्यूटीपी के संवर्द्धन के माध्यम से जोड़ा जाना है, 827 एमएलडी पानी का पुनर्चक्रण/पुन: उपयोग किया जाना है, और 2,204 एमएलडी क्षमता को नए और मौजूदा एसटीपी के संवर्धन के माध्यम से जोड़ा जाना है।

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) जून 2015 में सभी शहरी क्षेत्रों में पात्र लाभार्थियों को पक्‍के मकान प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। मिशन के अंतर्गत निर्मित या अधिगृहीत या खरीदे गए सभी मकानों में रसोई, पानी की आपूर्ति, बिजली और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं हैं। 31 मार्च 2022 तक स्वीकृत मकानों को पूरा करने के लिए मिशन को 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है। नवंबर 2022 तक, मिशन के अंतर्गत 1.20 करोड़ से अधिक मकानों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 64 लाख से अधिक का निर्माण पूरा हो चुका है और बाकी निर्माण/नींव रखने के विभिन्न चरणों में हैं।

मिशन के अंतर्गत, मकानों का कम लागत पर, तेज गति से और गुणवत्तापूर्ण निर्माण करने के लिए नवोन्‍मेषी, टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल और आपदा-प्रतिरोधी प्रौद्योगिकियों और निर्माण सामग्री को अपनाने की सुविधा के लिए एक प्रौद्योगिकी उप-मिशन (टीएसएम) स्थापित किया गया है। टीएसएम का उद्देश्य न केवल पीएमएवाई-यू के अंतर्गत तेज गति से और सुरक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करना है, बल्कि उसमें देश के समग्र आवास निर्माण क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण बदलाव लाने की भी क्षमता मौजूद है। टीएसएम के अंतर्गत, ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज- इंडिया (जीएचटीसी-इंडिया) ने देश में निर्माण प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात करने के उद्देश्य से 54वैश्विक स्‍तर पर प्रमाणित और संभावित नवोन्‍मेषी निर्माण प्रौद्योगिकियों की पहचान करने में मदद की। जीएचटीसी-इंडिया के परिणामस्वरूप, देश के छह शहरों में छह अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों में छह लाइट हाउस प्रोजेक्ट (एलएचपी) बनाए जा रहे हैं। इस वर्ष, छह एलएचपी में से दो को चेन्नई और राजकोट में पूरा किया गया और माननीय प्रधानमंत्री द्वारा लाभार्थियों को सौंप दिया गया। इन एलएचपी के कई लाभ हैं, जिनमें से प्राथमिक स्थायित्व, जलवायु-लचीलापन, सामर्थ्य, सुरक्षा और गति हैं।

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने आईआईटी, एनआईटी, इंजीनियरिंग, योजना और वास्तुकला कॉलेजों के विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों, शिक्षाविदों और हितधारकों सहित टेक्नोग्राहियों के लिए नामांकन मॉड्यूल भी लॉन्च किया, ताकि वे छह एलएचपी साइटों पर अध्‍ययन, परामर्श, विचारों और समाधानों के सृजन, प्रयोग, नवाचार, और तकनीकी जागरूकता हेतु लाइव प्रयोगशालाओं का दौरा करने के लिए खुद को पंजीकृत किया जा सके। इससे उन्हें इस्तेमाल में लाई जा रही तकनीकों का सीधे तौर पर जायजा लेने में मदद मिली और बदले में, वे 'मेक इन इंडिया' दृष्टिकोण के लिए निर्माण क्षेत्र में अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उनका अनुकूलन कर सकते  हैं और उन्‍हें अपना सकते हैं। इस वर्ष 7348 से अधिक टेक्नोग्राहियों ने एलएचपी का वास्‍तविक दौरा किया, जबकि 5000 से अधिक प्रतिभागियों ने 75 आरएसीएचएनए (रिजिलिएंट अफोर्डेबल कंफर्टेबल हाउससिंग थ्रू नेशनल एक्शन) किफायती आवास के लिए नवोन्‍मेषी निर्माण प्रौद्योगिकियों और थर्मल कम्फर्ट पर प्रशिक्षण में भाग लिया।

अक्टूबर 2022 में राजकोट में एक एक्सपो-कम-कॉन्फ्रेंस: इंडियन अर्बन हाउसिंग कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस प्रदर्शनी ने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के सभी मिशनों को पिछले सात वर्षों में उनकी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने और आगे की राह दिखाने के लिए मंच प्रदान किया। प्रदर्शनी के दूसरे भाग में पीएमएवाई (यू) के तहत गुजरात पर विशेष ध्यान देते हुए विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया। प्रदर्शनी के तीसरे भाग ने लोगों और निर्माण प्रौद्योगिकियों को एक साथ लाने का मंच प्रदान किया। यह नवीन और स्वदेशी निर्माण प्रौद्योगिकियों पर राष्ट्रीय प्रदर्शनी थी । प्रदर्शनी में 80 से अधिक निर्माण प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया गया। इस कार्यक्रम में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा सात पुस्तकों का विमोचन भी किया गया: हाउसिंग फॉर ऑल: ट्रांसफॉर्मिंग लाइव्स इन अर्बन इंडिया, कम्पेन्डीअम्स ऑन एलपीएच चेन्नई और एलएचपी राजकोट, हैंडबुक ऑन इनोवेटिव कन्स्ट्रक्शन टेक्नालजीस एंड थर्मल कम्फर्ट इन अफोर्डेबल हाउसिंग, कम्पेन्डीअम्स ऑन 75 आरएसीएचएनए ट्रैनिंग्‍स ऑन अफोर्डेबल हाउसिंग एंड थर्मल कम्फर्ट ,प्रोसीडिंगज़ ऑफ पॉलिसी डायलॉग बियोंड पीएएमवाई (यू) हाउसिंग, सैटिस्फैक्शन एंड लाइव्लीहुड- ऐन इम्पैक्ट असेस्मन्ट ऑफ पीएमएवाई-यू और डिस्कोर्सेज ऑफ अफोर्डेबल हाउसिंग इन इंडिया एंड बेस्ट प्रैक्टिससिज अंडर पीएमएवाई (यू)।

स्मार्ट सिटीज मिशन को उन शहरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था जो बुनियादी सुविधाएं उपलब्‍ध कराते हैं और अपने नागरिकों को अच्छी गुणवत्ता का जीवन, स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण तथा  'स्मार्ट' समाधानों का अनुप्रयोग प्रदान करते हैं। वर्ष 2022 की शुरुआत स्मार्ट सिटी मिशन में सभी परियोजनाओं के कार्य आदेश के लक्ष्य के साथ हुई। इस लक्ष्य को हासिल करने के बाद बाकी नौ महीने मिशन में काम को तेजी से पूरा करने का प्रयास किया गया। वर्तमान में 92,766 करोड़ रुपये की 5,005 परियोजनाएं 12 दिसंबर 2022 तक पूरी हो चुकी हैं, 88,796 करोड़ रुपये की 2,737 परियोजनाएं कार्यान्वयन के उन्नत चरण में हैं। उल्लेखनीय है कि चालू वर्ष में 36,754 करोड़ रुपये की 1,707 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। स्मार्ट सिटीज मिशन में वित्तीय प्रगति भी तेजी आई है। वर्ष 2022 के अंत तक केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई धनराशि 28,315 करोड़ से बढ़कर 34,887 करोड़ हो गई। यह प्रगति केंद्र और राज्यों से जारी धनराशि के 89% उपयोग से भी परिलक्षित हुई है।

मिशन की महत्वपूर्ण उपलब्धि सभी 100 स्मार्ट सिटीज में एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) का संचालन करना रही। वैसे तो इन आईसीसीसी को शहरी प्रबंधन में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिए विकसित किया गया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान ये वॉर रूम बन गए। इनमें से प्रत्येक आईसीसीसी सुरक्षा, परिवहन प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जलापूर्ति आदि जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ सेवाओं के बेहतर प्रबंधन की दिशा में प्रतिदिन विकसित हो रहा है।

राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (एनयूडीएम) के अंतर्गत 21 भारतीय राज्यों ने अपने सभी शहरी स्थानीय निकायों में अपने नागरिकों को डिजिटल सेवाएं प्रदान करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह मिशन पूरे भारत में साझा किए जाने वाले एक कॉमन प्‍लेटफॉर्म के रूप में लॉन्च किया गया था। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय और नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ अर्बन अफेयर्स' (एनआईयूए) एनयूडीएम के कार्यान्वयन में राज्यों की मदद कर रहे हैं।

बार्सिलोना में स्मार्ट सिटी एक्सपो वर्ल्ड कांग्रेस-2022 में नवोन्‍मेष श्रेणी के अंतर्गत भारत ने डेटा के संबंध में अपनी पहल  "डेटा स्मार्ट सिटीज: एम्पावरिंग सिटीज़ थ्रू डेटा" के लिए प्रतिष्ठित वर्ल्ड स्मार्ट सिटी अवार्ड भी जीता। इसके लिए  60 देशों से प्राप्त 337 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। 

महत्वपूर्ण पहल

वर्ष के दौरान स्मार्ट सिटीज मिशन, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित कुछ उल्लेखनीय कार्यक्रम और पहलें निम्‍नलिखित  हैं:

  • जनवरी 2022 में, एससीएम, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने 'अर्बन जियोस्पेशियल डेटा स्टोरीज़ चैलेंज-2022' का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में इस डेटा का विश्लेषण करने और ज्ञानविषयक डेटा स्‍टोरीज का सृजन करने के लिए राष्ट्रीय भू-स्थानिक एजेंसियों, निजी क्षेत्र के उद्यमों, वैज्ञानिक और शैक्षणिक संस्थानों, व्यवसायों, स्टार्ट-अप के 1,000+ लोगों की भागीदारी देखी गई।
  • अप्रैल 2022 में, एससीएम, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने सूरत शहर के साथ मिलकर आज़ादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के अंतर्गत सूरत में 3-दिवसीय सम्मेलन "स्मार्ट सिटी, स्मार्ट शहरीकरण" का आयोजन किया। इस दौरान, एससीएम ने विभिन्न डेटा और प्रौद्योगिकी-आधारित पहलों की शुरुआत की।
  • क्रॉस-सिटी परिणामों के आधार पर शहरों का पारदर्शी और व्यापक मूल्यांकन करने की पहल के रूप में शहरी परिणाम रूपरेखा 2022 को प्रमुख क्षेत्रों में शुरू किया गया। फ्रेमवर्क में ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स (ईओएलआाई), नगरपालिका कार्य प्रदर्शन सूचकांक (एमपीआई), क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज असेसमेंट फ्रेमवर्क (सीएससीएएफ) और डेटा मैच्योरिटी असेसमेंट फ्रेमवर्क (डीएमएएफ) के तीसरे दौर शामिल हैं।
  • शहरों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेबुक को एआई समाधानों के कार्यान्वयन के लिए एक गाइडबुक के रूप में कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया था, जिसे शहर जटिल शहरी मुद्दों को हल करने के लिए तैनात कर सकते हैं, जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यूज केस कम्पेंडियम एआई उपयोग के मामलों का संकलन है, जिन्‍हें स्मार्ट सिटीज द्वारा शहरी डोमेन में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
  • अगस्त 2022 तक, सभी 100 स्‍मार्ट सिटीज ने देश में अपने एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) विकसित और संचालित कर लिए थे।
  • अक्टूबर 2022 में, एससीएम, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने कोच्चि, केरल में "डेटा और प्रौद्योगिकी पर स्मार्ट सिटीज सीईओ सम्मेलन" अर्थात 2-दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया। सम्मेलन देश भर में आईसीसीसी के कुशल संचालन के लिए वित्तीय पोषण, खरीद पद्धतियों, तकनीकी क्षमता,  स्वस्थ बाजार भागीदारी और परिपक्वता मूल्यांकन पर केंद्रित था।
  • नवंबर 2022 के आरंभ में, एससीएम, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने शहर के बारे में नागरिकों की प्रतिक्रिया जानने के लिए  264 शहरों के लिए ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स-2022 के अंतर्गत सिटीजन परसेप्शन सर्वे 2022 लॉन्च किया। सर्वेक्षण, ऑनलाइन और ऑफलाइन आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य देश भर में 21 लाख से अधिक नागरिकों से राय लेना और उसे प्रतिबिंबित करना है।
  • नवंबर 2022 में, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने बार्सिलोना में स्मार्ट सिटी एक्सपो वर्ल्ड कांग्रेस 2022 में इनोवेशन श्रेणी के अंतर्गत अपनी महत्वाकांक्षी डेटा पहल "डेटा स्मार्ट सिटीज: एम्पॉवरिंग सिटीज़ थ्रू डेटा" के लिए इनोवेशन के लिए प्रतिष्ठित वर्ल्ड स्मार्ट सिटी अवार्ड जीता ।

 

एसबीएम-यू के चरण-1 के अंतर्गत प्राप्त परिणामों को बरकरार रखने और इन्‍हें बड़े पैमाने पर विस्‍तारित करने के लिए, अंतिम अपेक्षित परिणाम और प्रभाव प्राप्त होने तक गति को बनाए रखना महत्वपूर्ण था। इसलिए वर्ष 2026 तक कचरा मुक्त शहरी भारत के विजन के सा‍थ स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 की 1 अक्टूबर 2021 से शुरुआत की गई। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 वर्ष 2021-2026 तक 5 साल की अवधि के लिए 1,41,678 करोड़ रुपये  के कुल वित्तीय आवंटन के साथ लागू किया जा रहा है। मिशन के प्रमुख संघटकों में (i) सतत स्वच्छता (ii) सतत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और (iii) प्रयुक्त जल प्रबंधन शामिल हैं। इसके अलावा, सूचना शिक्षा संचार/व्यवहार परिवर्तन, संचार और क्षमता निर्माण का क्रॉस कटिंग संघटकों के रूप में प्रावधान किया गया है। कचरा मुक्त शहरों पर ध्यान केंद्रित करने के परिणामस्वरूप देश भर में यूएलबी द्वारा शहर स्वच्छता कार्य योजनाओं, शहर ठोस अपशिष्ट कार्य योजनाओं, प्रयुक्त जल प्रबंधन योजनाओं और आईईसी तथा क्षमता निर्माण योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन पहले ही हो चुका है।

14 दिसंबर 2022 तक प्रमाणन की स्थिति

ओडीएफ यूएलबी की संख्या

4715/4715

ओडीएफ प्‍लस प्रमाणित किए गए यूएलबी की संख्या

3547

ओडीएफ प्‍लस प्‍लस प्रमाणित किए गए यूएलबी की संख्या

1191

वॉटर प्‍लस प्रमाणित किए गए यूएलबी की संख्या

14

जीएफसी I स्‍टार रेटेड यूएलबी की संख्या 

234

जीएफसी 3 स्‍टार रेटेड यूएलबी की संख्या 

199

जीएफसी 5 स्‍टार रेटेड यूएलबी की संख्या 

11

जीएफसी 7 स्‍टार रेटेड यूएलबी की संख्या 

1

 

आईसीटी कनेक्ट

आईसीटी सक्षम एमआईएस प्रणाली योजना से लेकर निगरानी, मूल्यांकन और एमआईएस तक सभी गतिविधियों के लिए मंत्रालय, राज्य और शहरी स्थानीय निकायों के बीच सिंगल क्लिक, बेजोड़  और एकीकृत इंटरफेस प्रदान करती है। हाल ही में इसमें जोड़े गए घटकों में स्वच्छ सर्वेक्षण के परिणामों पर डैशबोर्ड और लिगेसी डंपसाइट रिमीडीएशन आदि शामिल हैं। इस पैमाने पर सिटीजन कनेक्ट सूचनाओं के आदान-प्रदान और संचार के लिए स्वच्छता ऐप, सोशल मीडिया और त्वरित संदेश, गूगल टॉयलेट लोकेटर के उपयोग और समय-समय पर चलाए जाने वाले अभियानों, #SwachhTalks और स्वच्छ मंच जैसे सीखने के कार्यक्रम माध्यम से हासिल किया जाता है।

क्षमता विकास पहल

केंद्र में मिशन टीम समय-समय पर समीक्षा और चर्चा, टूलकिट, दिशानिर्देश, सलाह और अन्य संसाधनों जैसे ज्ञान उत्पादों के प्रसार, पीयर लर्निंग नेटवर्क की सुविधा, एक्सपोजर यात्राओं की व्यवस्था के माध्यम से राज्यों को सुविधा प्रदान करती है। इस वर्ष कचरा मुक्त शहरों के लिए राष्ट्रीय क्षमता निर्माण ढांचा, कचरा मुक्त शहरों के लिए राष्ट्रीय व्यवहार परिवर्तन संचार ढांचा और संशोधित स्वच्छ प्रमाणन प्रोटोकॉल लॉन्च किए गए। मिशन ने राज्यों और शहरों को कोविड, सिंगल यूज प्लास्टिक, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए स्थानीय स्‍तर पर प्रभावशाली लोगों का उपयोग सहित विभिन्न गतिविधियां शुरू की हैं। केंद्रित अभियान, विशेष दिलचस्‍पी वाले के स्थानों के लिए दिशानिर्देश, उदाहरण के लिए, तीर्थ केंद्रों के लिए स्वच्छ तीर्थ दिशानिर्देश,एकेएएम पार्क, ब्रांडेड चौराहे, वेस्ट टू वेल्थ इंस्टॉलेशन आदि की परिणति पर्यटकों, आगंतुकों और नागरिकों की सराहना में हुई है। मिशन राज्यों और शहरों की सहायता करने के लिए आईआईएम इंदौर जैसे उत्कृष्टता केंद्रों को भी नामित कर रहा है। मिशन के अंतर्गत गतिविधियों को सुगम बनाने के लिए राज्यों और शहरों का समय-समय पर दौरा किया जाता है।

अभियान और आउटरीच गतिविधियां

मिशन राज्यों और शहरों के साथ अभियानों और आउटरीच गतिविधियों को सुगम बनाता है। इस वर्ष चलाए गए प्रमुख अभियानों में  स्वच्छता कनेक्ट, लक्ष्य ज़ीरो डंपसाइट, स्वच्छता गान, एकेएएम, क्‍लीन एंड ग्रीन, स्रोत पर पृथक्‍करण तथा 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 3500 से अधिक शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) में सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का नवीकरण करने के लिए शौचालय 2.0 को बढ़ावा देना, स्रोत पर पृथक्‍करण को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों, समुदायों और परिवारों तक पहुंच बनाना शामिल हैं।  शौचालय 2.0 अभियान के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय सुविधाओं का कायापलट करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

 

प्रगति का संक्षिप्‍त विवरण

पूर्णतया व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) और सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय (सीटी/पीटी)

  1. https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image00217VV.pnghttps://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003U3F3.png
  • ii. राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और सिटीज/कस्‍बे खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित

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ii. घर-घर से कचरा एकत्र करना और उसे पृथक करना (वार्ड)

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 (iv) अपशिष्ट प्रसंस्करण (कुल%) (टीपीडी)

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देश में ओडीएफ प्‍लस, ओडीएफ प्‍लस प्‍लस और जल प्‍लस शहर

कुल 4,715 यूएलबी में से भारत सरकार ने सभी 4,715 शहरों/कस्बों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया है, जिनमें से 4,355 शहरों को तीसरे पक्ष के सत्यापन के माध्यम से प्रमाणित किया गया है। आज तक, 3,547 शहरों को ओडीएफ प्‍लस के रूप में प्रमाणित किया गया है और 1,191 शहरों को ओडीएफ प्‍लस प्‍लस और 14 शहरों (इंदौर, सूरत, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), तिरुपति, चंडीगढ़, नवी मुंबई, विजयवाड़ा, हैदराबाद, ग्रेटर विशाखापत्तनम, कराड, पंचगनी, भोपाल, बारामती और मैसूर) को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) के अंतर्गत जल प्‍लस के रूप में प्रमाणित किया गया है।

अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमताएं इस प्रकार हैं:

  • प्रति दिन 71,682 टन कचरे (टीपीडी) को संसाधित करने की क्षमता युक्‍त 2,285 कार्यात्मक अपशिष्ट से खाद संयंत्र (केंद्रीकृत), प्रतिदिन लगभग 1,084 टन की इनपुट क्षमता सहित 73 अपशिष्ट से खाद संयंत्र निर्माणाधीन हैं।  
  • 123 अपशिष्ट से ऊर्जा (अपशिष्ट से बिजली/बायोगैस/बायो-मिथेनेशन) संयंत्र प्रतिदिन 4,746 टन की इनपुट क्षमता के साथ काम कर रहे हैं, और अन्य 8 संयंत्र निर्माणाधीन हैं जिनकी क्षमता 2,788 टीपीडी कचरे को संसाधित करने की है।
  • प्रतिदिन 42,478 टन कचरे को संसाधित करने की क्षमता वाली 2,028 कार्यात्मक सामग्री रिकवरी सुविधाएं (एमआरएफ), 129 एमआरएफ निर्माणाधीन हैं।
  • प्रतिदिन 12,420 टन की इनपुट क्षमता वाले 24 कार्यात्मक आरडीएफ संयंत्र।
  • प्रतिदिन ~ 12,416 टन की इनपुट क्षमता वाले 385 कार्यात्मक सी एंड डी संयंत्र। प्रतिदिन ~107 टन की मिश्रित इनपुट क्षमता युक्‍त 7 संयंत्र निर्माणाधीन हैं।

इसके अलावा, कचरे को मूल्य वर्धित उत्पादों में परिवर्तित करने को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह के नीतिगत हस्तक्षेप शुरू किए गए हैं। एक ऐसा ईको-सिस्टम बनाने पर ध्‍यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि वेस्ट टू वेल्थ प्रोजेक्ट्स और सर्कुलर इकोनॉमी दृष्टिकोण वित्तीय रूप से व्यवहार्य और टिकाऊ बन सके। इस संदर्भ में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने नॉलेज प्रोडक्ट 'सर्कुलर इकोनॉमी इन म्युनिसिपल सॉलिड एंड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट' पेश किया है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय  निरंतरता को बढ़ावा देने के लिए लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) मिशन जैसे कार्यक्रमों से भी जुड़ा हुआ है।

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं में से एक है, जो मजबूत सामुदायिक संस्थाओं के निर्माण, कौशल प्रशिक्षण,  स्वरोजगार के लिए किफायती ऋण तक पहुंच,रेहड़ी-पटरी वालों के लिए सहायता और शहरी बेघरों के लिए आश्रय स्थलों के माध्यम से शहरी गरीबी को कम करने की दिशा में काम करती है। मिशन टिकाऊ आजीविका का सृजन करने में शहरी गरीबों को सुविधा प्रदान कर रहा है।

स्थापना के बाद से इस योजना के अंतर्गत  28 राज्यों, 7 केंद्र शासित प्रदेशों और 3817 शहरों को कवर किया है, जिससे आजीविका के 30.7 लाख साधनों का सृजन हुआ है। योजना के अंतर्गत, शहरी बेघरों के लिए 1.3 लाख आश्रय स्थल बनाए गए और 79.4 लाख महिला सदस्यों को 7.8 लाख स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के तहत संघटित किया गया। मिशन ने शहरी स्ट्रीट वेंडर्स को उनके अधिकारों की रक्षा के लिए 32.07 लाख सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग (सीओवी) भी प्रदान किए हैं।

मिशन महामारी के कारण लगाए गए लॉक-डाउन के बाद से  अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स पोर्टल्स पर ऑन-बोर्डिंग में तेजी लाकर स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों को बाजार तक व्यापक पहुंच की सुविधा प्रदान कर रहा है। ये उत्‍पाद अब तक स्थानीय स्तर पर बेच रहे थे। 25 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में एसएचजी सदस्यों के 7,000 से अधिक उत्पाद ई-कॉमर्स पोर्टल पर 100 से अधिक सेलर प्‍वाइंट्स के माध्यम से बिक रहे हैं। शहरी एसएचजी उत्पादों के लिए 'सोनचिरैया' ब्रांड लॉन्च किया गया है, ताकि उनके उत्पादों की विजिबिल्‍टी बढ़ाई जा सके और बाजार तक व्यापक पहुंच प्रदान की जा सके। 

निर्माण क्षेत्र में हो रहे त्‍वरित विकास और उत्पादकता वृद्धि की बढ़ती आवश्यकता तथा कौशल से जुड़ी आय में वृद्धि के कारण, डीएवाई-एनयूएलएम के अंतर्गत निर्माण श्रमिकों के कौशल को और बेहतर बनाने को बढ़ावा देने (निपुण) नामक एक अभिनव एवं विशेष परियोजना (आईएंडएसपी) शुरु की गई। केन्द्रीय  आवासन और शहरी कार्य मंत्री ने 20.06.2022 से इस राष्ट्रीय पहल का शुभारंभ किया। यह कदम अभिनव कौशल और निर्माण क्षेत्र की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के माध्यम से एक लाख से अधिक निर्माण श्रमिकों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए उठाया गया है। यह परियोजना निर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर असंगठित श्रम शक्ति के लिए एक अग्रणी कौशल पहल है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) को निपुण के तीनों तरीकों/घटकों- अर्थात् पूर्व शिक्षा की मान्‍यता (आरपीएल), नए कौशल और अंतर्राष्ट्रीय प्लेसमेंट के लिए 'कार्यान्वयन भागीदार' के रूप में नियुक्त किया गया है। परियोजना में, जल प्रबंधन और प्लंबिंग स्किल काउंसिल (डब्ल्यूएमपीएससी) और इंफ्रास्ट्रक्चर इक्विपमेंट स्किल काउंसिल (आईईएससी) आदि जैसे सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएससी) के अलावा प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन जैसे नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (एनएआरईडीसीओ) और कॉन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीआरईडीएआई), को लगाया गया है।

आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत, मिशन ने लाभों की प्रदायगी में सुधार के लिए महत्वपूर्ण पहल की और डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम से आजीविका को बढ़ावा देने के संबंध में उपलब्धियां प्रदर्शित की। 'आजादी@75' के दौरान - डीएवाई-एनयूएलएम के अंतर्गत हासिल की गई उपलब्धियों को राजकोट, गुजरात में इंडिया अर्बन हाउसिंग कॉन्क्लेव 2022 में प्रदर्शित किया गया।

देश के माइक्रो उद्यमी स्ट्रीट वेंडर्स (एसवी) शहरों में रहने की लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। औपचारिक अर्थव्यवस्था के साथ मजबूत जुड़ाव और समाज के एक बड़े वर्ग को रोजगार प्रदान करने सहित वे अर्थव्यवस्था में छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने इनकी आय और आजीविका के स्रोतों पर असर डाला, जिससे  इन स्ट्रीट वेंडर्स की बड़ी संख्या प्रभावित हुई। स्ट्रीट वेंडर्स को अपने कारोबार को फिर से शुरू करने के लिए सहायता प्रदान करने के लिए, आवासन और शहरी कार्य  मंत्रालय ने रेहड़ी-पटरी वालों को कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करने के लिए 1 जून, 2020 को पीएम स्वनिधि योजना शुरू की।

पहल और उपलब्धियां

  स्ट्रीट वेंडर्स को सशक्त, स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने के लिए पीएम स्वनिधि लाभार्थियों के समग्र विकास के लिए योजना के अंतर्गत कुछ अभिनव पहलें शुरू की गईं, जैसे कि डिजिटल सशक्तिकरण, स्वनिधि से समृद्धि, स्वादिष्ट व्यापार की आधुनिक दुकान (स्‍वाद), कानूनी पहचान, स्वनिधि महोत्सव, ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, परिचय बोर्ड आदि।

 योजना निष्‍पादन  ( 11.12.2022 तक)

निष्‍पादन

पात्र आवेदन(लाख में )

मंजूर आवेदन (लाख में )

वितरित ऋण

(लाख में )

वितरित धनराशि

(करोड़ रुपये में )

प्रथम ऋण चुकता किया गया (लाख में )

समग्र

58.84

43.88

38.07

4,416

14.63

प्रथम ऋण

44.55

34.62

31.93

3,168

14.50

द्वितीय ऋण

14.16

9.16

6.05

1,207

0.12

तृतीय  ऋण

0.12

0.10

0.08

40.5

-

 

शहरी परिवहन मिशन के अंतर्गत जो मेट्रो कोच पहले स्पेन, दक्षिण कोरिया और चीन से आयात किए जाते थे, अब देश के भीतर ही बनाए जा रहे हैं। उनकी गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और ये ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को भी निर्यात किए जा रहे हैं।

उपलब्धियां

  • 1957.05 करोड़ रुपये की पूर्णता लागत पर 11.2 किलोमीटर लंबाई वाले कोच्चि मेट्रो फेज II और 6,708 करोड़ रुपये की पूर्णता लागत पर 43.8 किलोमीटर लंबाई वाले नागपुर मेट्रो फेज II को क्रमशः सितंबर, 2022 और दिसंबर, 2022 में मंजूरी दी गई है।
  • 710.92 करोड़ रुपये की कुल पूर्णता लागत पर 2 किलोमीटर की लंबाई वाले कोच्चि मेट्रो फेज 1ए को भी मंजूरी दी गई है।
  • पुणे, मुंबई, कोलकाता, कोच्चि, अहमदाबाद और नागपुर शहरों में लगभग 83 किलोमीटर लंबाई वाली मेट्रो रेल लाइनें  चालू की गईं
  • महाराष्ट्र में नागपुर मेट्रो का वर्धा रोड पर 3.14 किलोमीटर की सबसे लंबी डबल डेकर वायाडक्ट मेट्रो बनाने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज किया गया है।
  • आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में मेक इन इंडिया के अंतर्गत एक पहल के रूप में, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी), भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल), प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) और अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) स्वदेशी आई-सीबीटीसी (संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण) विकसित करना जो एक आधुनिक संचार आधारित प्रणाली है जो समय पर और सटीक ट्रेन नियंत्रण सूचना प्रसारित करने के लिए रेडियो संचार का उपयोग करती है। इस परियोजना के 208 करोड़ रुपये की लागत से 3 साल में पूरा होने की उम्मीद है।

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