सूचना और प्रसारण मंत्रालय
फिल्में देखने की तुलना में पढ़ना सीखने का अधिक शक्तिशाली साधन है : आईएफएफआई 53 मास्टरक्लास में अभिनेता श्री पंकज त्रिपाठी
आप विभिन्न चरित्रों को निभाकर, सर्वश्रेष्ठ को स्वीकार करके और पात्रों के सबसे बुरे लक्षणों को अस्वीकार करके एक बेहतर इंसान बन जाते हैं
अभिनय भावनाओं को जितना प्रदर्शित करने में है, उतना ही इसे छुपाने में भी है
अगर संगीत को प्रेम का भोजन माना जाता है, तो बहुचर्चित और प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी का मानना है कि पढ़ना आजीवन सीखने का भोजन है। उनका कहना है कि दुनिया के साथ-साथ भीतर की दुनिया को बेहतर ढंग से समझने के लिए विविध प्रकार के विषयों को पढ़ना ही वह चीज है जो बहुमुखी अभिनेता को गहरे डूबकर अभिनय करने के लिए प्रेरित करता है।
खैर, बस इतना ही नहीं। इस बिल्कुल सहज अभिनेता, जो दर्शकों के साथ लगभग तुरंत जुड़ जाता है, का मानना हे कि पढ़ने के प्रति उनके प्रेम ने ही न केवल स्थायी शिक्षा में उसकी मदद की है, बल्कि सीखने का यह माध्यम फिल्मों को देखने से भी अधिक शक्तिशाली है।
लेकिन, हम इसे कैसे जानते हैं? श्री त्रिपाठी ने 21 नवंबर, 2022 को गोवा में चल रहे भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 53वें संस्करण आईएफएफआई के दौरान पढ़ने की इस शक्ति का यह कालजयी मुद्दा उठाया। आईएफएफआई 53 मास्टरक्लास में भाग लेने वाले उत्साही के प्रतिनिधियों को बिलकुल स्पष्ट तरीके से इस विरोधाभासी सच का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि "दृश्य संदर्भ निर्धारित करता है, लेकिन पढ़ाई कल्पनाओं को खोल देती है। मुझे इतिहास और मनोविज्ञान सहित विभिन्न विषयों को पढ़ना पसंद है जो मुझे नए सिरे से स्पष्टता के साथ खुद को समझने में सहायता करता है।”
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श्री पंकज त्रिपाठी, जिन्हें फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर से सुल्तान कुरैशी सहित चर्चित पात्रों के चित्रण के लिए जाना जाता है, ने महारत हासिल करने में निरंतर सीखने, धैर्य और अवलोकन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। श्री त्रिपाठी ने आईएफएफआई 53 मास्टरक्लास 'द क्राफ्ट ऑफ सिनेमा- कैरेक्टर डेवलपमेंट' पर फिल्म के प्रति उत्साही लोगों को संबोधित करते हुए इस अंतरदृष्टि को साझा किया कि सीखना किसी भी शिल्प में महारत हासिल करने की एक सतत प्रक्रिया है। एक अभिनेता को तैयार होने में वर्षों लग जाते हैं; कुछ भी असीम धैर्य और कड़ी मेहनत का स्थान नहीं ले सकता। हमारी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जीवन को देखना और अपने परिवेश पर ध्यान देना जरूरी है।
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अपने सहज अभिनय और जमीन से जुड़े व्यक्तित्व के लिए विख्यात अभिनेता ने कहा कि उनकी पहली फिल्म और अगली फिल्म के बीच 8 साल का अंतर था। उस दौरान भी, वह कभी भी उन अनिश्चितताओं से नहीं घबराए जो जीवन ने उनके सामने प्रस्तुत की; इसके बजाए, उन्होंने अभिनय के जुनून को जीने और उस आवेग को जीने के द्वारा, अभिनय के अपने शिल्प को विकसित करने और उसमें जान डालने के लिए इस समय का उपयोग किया।
श्री त्रिपाठी ने उन शिल्पों पर प्रकाश डाला, जिन्हें वह अपने चरित्र विकास में जोड़ते हैं। उन्होंने भावनाओं को दिखाने और छिपाने दोनों के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि अभिनय भावनाओं को जितना प्रदर्शित करने में है उतना ही इसे छुपाने में भी है। उन्होंने कहा कि अभिनय में भंगिमाओं पर अच्छा नियंत्रण महत्वपूर्ण है।"
श्री त्रिपाठी ने चरित्रों के बीच संबंधों और उन्हें प्रामाणिक तरीके से जीवंत करने में आने वाली कठिनाई पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पात्र एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन चुनौतियां और कहानियां अलग होंगी। सीधे-सरल चरित्रों को निभाना आसान है। जटिल चरित्रों को निभाना वास्तविक चुनौती है, क्योंकि उनके लक्षण सभी को दिखाई नहीं देते।
वह स्क्रिप्ट पढ़ने के आधार पर किसी पात्र को कैसे अपने अनुकूल बनाते हैं? इस पर श्री पंकज त्रिपाठी का कहना है कि मैं चरित्र को अनुकूल बनाने का काम निर्देशक की अनुमति से, उसे इसके उद्देश्य के बारे में बताने के बाद, करता हूं। निर्देशक जहाज का कप्तान होता है, वही मेरे सुझाव पर अंतिम फैसला लेगा।
एक नवोदित अभिनेता के इस सवाल का जवाब देते हुए कि अभिनय में प्रशिक्षण किसी के करियर में कैसे मदद करेगी। श्री त्रिपाठी ने कहा कि प्रशिक्षण आपको अपने अभिनय कला में मदद करता है, लेकिन यह कास्टिंग की गारंटी नहीं दे सकता है।"
यह पूछे जाने पर कि वह अब फिल्मों और चरित्रों का चुनाव कैसे करते है? सादगी से भरी अपनी विख्यात शैली में श्री त्रिपाठी ने कहा कि अभिनय या सामान्य तौर पर जीवन में सफलता का कोई सूत्र नहीं होता। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ उन पात्रों को करता हूं और चुनता हूं जिनको लेकर मैं अच्छा महसूस करता हूं।
श्री त्रिपाठी ने सफलता से परे, उन्हें एक बेहतर इंसान बनाने में एक माध्यम के रूप में फिल्मों की रूपांतरकारी क्षमता के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि एक अभिनेता और चरित्रों के बीच का संबंध हमेशा प्रासंगिक होता है। आप विभिन्न चरित्र को निभाकर, सबसे अच्छे को स्वीकार करके और चरित्र के सबसे बुरे लक्षणों को खारिज करके एक बेहतर इंसान बन जाते हैं।
फिल्म-निर्माण के नए युग में ओटीटी प्लेटफार्मों द्वारा निभाई जा रही भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, स्ट्रीमिंग के बादशाह के रूप में जाने जाने वाले श्री त्रिपाठी ने कहा कि ओटीटी प्रतिभाशाली व्यक्तियों को ऐसा मौका दे रहे हैं जैसा उन्हें पहले कभी नहीं दिया गया। ऐसी प्रतिभाएं असाधारण शिल्प के निर्माण में पूरे मनोयोग से काम कर रही हैं।
ये प्रेरणा के कुछ अंश है जिन्हें हम मास्टरक्लास से इस विख्यात अभिनेता से प्राप्त किया जिन्होंने स्टारडम की परिभाषा को बदल दी, जो सिने प्रेमियों के बीच एक ऐसे अभिनेता के रूप में जाने जाते हैं जो अपने द्वारा निभाए गए हर चरित्र को जीवंत बना देते हैं।
आपको इसमें क्या प्रेरक लगा? हमसे इसमें क्या चूक हुई? आप हैशटैग #IFFIInspires का उपयोग करके सोशल मीडिया पर अपने विचार साझा करें?
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ये सत्र आईएफएफआई 53 में मास्टरक्लास और अंत संवाद सत्र सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, एनएफडीसी, फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ईएसजी द्वारा आयोजित किए गए थे। ये सत्र फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं की समझ को बढ़ाने के लिए छात्रों और सिनेमा के प्रति उत्साही लोगों को प्रोत्साहित करते हैं।
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एमजी/एएम/एसकेजे/एसके
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