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‘अल्मा एंड ऑस्कर’ पुरुषों और महिलाओं पर थोपे गये दकियानूसी समाज का चित्रण करते हैं: निर्देशक डायटर बर्नर


“बायोपिक फिल्में बनाते वक्त चरित्रों के चेहरे-मोहरे में समानता की बजाय अभिनय अधिक महत्त्वपूर्ण होता है”

53वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव कल ऑस्ट्रिया की एक बोयपिक फिल्म अल्मा एंड ऑस्कर के साथ औपचारिक रूप से शुरू हो गया। इस फिल्म में वियना के समाज की एक प्रभावशाली महिला अल्मा माहलर और ऑस्ट्रिया के नई लीक के कलाकार ऑस्कर कोकोशका की उत्कृष्ट प्रेम-कहानी है। फिल्म के उद्भव पर प्रकाश डालते हुये फिल्म-निर्देशक डायटर बर्नर ने कहा कि अल्मा और ऑस्कर के दुखद प्रेम प्रसंग की कहानी पढ़कर उन्हें यह फिल्म बनाने की प्रेरणा मिली। वे फिल्म के कलाकारों और कर्मियों के साथ इफ्फी टेबल-टॉक्स कार्यक्रम में बोल रहे थे।

अपने समय के दो बड़ी हस्तियों के बीच के तूफानी रिश्तों पर आधारित फिल्म अल्मा एंड ऑस्कर में महिलाओं व पुरुषों पर समाज के घिसे-पिटे आदर्शों को थोपने की कहानी भी पेश की गई है। डायटर बर्नर ने कहा, अभिनय के क्षेत्र से सम्बंध होने के कारण, मुझे हमेशा मानव जीवन और उसके चरित्रों में रुचि रही है। अल्मा माहलर और ऑस्कर कोकोशका के संस्मरण पढ़ते वक्त, मुझे वह कुछ अलग सा लगा। मेरे सह-लेखक ने उनके रिश्तों पर जो उपन्यास लिखा है, उसने मुझे और आकर्षित किया।

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डायटर बर्नर आगे कहते हैं कि उन्हें दोनों चरित्रों के साथ सहानुभूति है और वे उनके दर्द को समझ सकते हैं। उन्होंने कहा, कई रिश्तों में तमाम समस्यायें होती हैं। ऑस्कर चाहता था कि अल्मा से शादी कर ले, लेकिन उनका रिश्ता शादी तक नहीं पहुंच सका। हमें प्रेम-संस्कृति की बिलकुल नई तस्वीर बनानी होगी। एक प्रश्न के जवाब में फिल्म-निर्देशक ने स्पष्ट किया कि कहानी की पृष्ठभूमि प्रथम विश्वयुद्ध है, लेकिन उनकी फिल्म प्रेम व युद्ध के बीच रिश्तों की पड़ताल नहीं करती, क्योंकि यह बहुत जटिल काम है। फिल्म के लिये कास्टिंग करते वक्त आने वाली कठिनाईयों को याद करते हुये डायटर ने कहा कि बायोपिक फिल्में बनाते वक्त चरित्रों के चेहरे-मोहरे में समानता की बजाय अभिनय अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।

अपने चरित्र-चित्रण पर फिल्म के प्रमुख पात्र वेलेंटाइन पोस्ट्लमायर ने कहा कि ऑस्कर कोकोशका बहुत भावुक व संवेदनशील व्यक्ति था, जो पूर्ण प्रेम का अनुभव करना चाहता था। उन्होंने बताया, अल्मा के प्रति ऑस्कर का उत्कट प्रेम हिंसा के द्वार खोल देता है। अल्मा केवल उसकी रहे, इस इच्छा के वशीभूत वह उसे अपने चित्र में गैर-इनसानी रूप में प्रस्तुत करता है।

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फिल्म-निर्माता जोहाना शर्नेज़ ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती थी आधुनिक दौर में एक ऐतिहासिक कहानी को इस तरह पेश करना कि वह कहीं वृत्तचित्र न बन जाये। अपने विचार प्रकट करते हुये फिल्म के संपादक क्रिस्टॉफ ब्रूनर ने कहा कि ऐतिहासिक बारीकियों और चरित्रों की भावुकतापूर्ण गतिविधियों के बीच कैसे संतुलन स्थापित किया जाये, यह उनके लिये संपादन की सबसे बड़ी चुनौती थी। सहायक-निर्माता टिना टिफनिस ने भी प्रेस वार्ता में हिस्सा लिया।

सारांश

1990 के दशक में कोकोशका उभरता हुआ चित्रकार था। वह गुस्ताव क्लिम्ट से प्रभावित तो था, लेकिन उसकी अपनी अभिव्यंजनावादी शैली थी। कोकोशका को 20वीं सदी का महानतम अभिव्यंजनवादी चित्रकार माना जाता था और उसने अल्मा को मॉडल बनाकर अपना सबसे प्रसिद्ध चित्र बनाया था। अल्मा खुद एक संगीतकार थी और वियना के सांस्कृतिक परिदृश्य में दबदबा रखती थी। इसी दौर में कोकोशका के साथ उसका आसक्तिपूर्ण प्रेम-प्रसंग शुरू हुआ। उसने अपने पहले पति के साथ अपने रिश्तों को दफन कर दिया और फिर वास्तु कलाकार वॉल्टर ग्रोपियस के साथ उसके प्रेम सम्बंध बन गये। अल्मा एंड ऑस्कर उनकी आसक्ति की ताकत और खतरों की दास्तान है।

निर्देशक के बारे में

डायटर बर्नर का जन्म व पालन-पोषण वियना और बर्लिन में हुआ। उन्होंने सिनेमा और टेलीविजन के लिये लगभग 40 फिल्मों का निर्देशन किया है। उन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं और वे दुनिया भर में फिल्मोत्सवों में हिस्सा लेते रहे हैं। उनकी फिल्म एगॉन शाइले डेथ एंड दी मेडन (2017) को ऑस्ट्रिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, चेक गणराज्य, अमेरिका, जापान के अलावा 40 से अधिक अन्य देशों में दिखाया गया।

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