विद्युत मंत्रालय
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पावर फाउंडेशन ऑफ इंडिया और विज्ञान भारती ने "ऊर्जा की चिरस्थायी खपत" विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया


• यह कार्यक्रम लाइफ मिशन के तहत "अग्नि तत्व" अभियान के अंतर्गत आयोजित किया गया

• इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि कैसे कम और कुशल ऊर्जा खपत का परिणाम सतत विकास हो सकता है

• इस सम्मेलन में प्रख्यात विशेषज्ञों द्वारा विचार-विमर्श किया गया और ऊर्जा दक्षता तथा संरक्षण पर एक पैनल चर्चा भी की गई

Posted On: 16 NOV 2022 6:16PM by PIB Delhi

पावर फाउंडेशन ऑफ इंडिया और विज्ञान भारती द्वारा 14 नवंबर 2022 को आईआईटी गुवाहाटी में लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (लाइफ) मिशन के तहत "अग्नि तत्व" अभियान के अंतर्गत "ऊर्जा की चिरस्थायी खपत" विषय पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। लेह और भोपाल में आयोजित होने वाले पिछले सम्मेलनों की श्रृंखला में यह तीसरा सम्मेलन है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि असम के राज्यपाल प्रोफेसर जदगीश मुखी ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। समारोह में शामिल लेने वाले अन्य गणमान्य व्यक्तियों में पावर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) के महानिदेशक और विद्युत मंत्रालय के पूर्व सचिव श्री संजीव एन सहाय भी शामिल थे। इसके अलावा, विद्युत मंत्रालय में अपर सचिव अजय तिवारी; आईआईटी, गुवाहाटी के महानिदेशक प्रोफेसर डॉ. टी जी सीताराम; राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान की महानिदेशक डॉ. तृप्ता ठाकुर ने भी इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित किया। सम्मेलन में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, ऊर्जा विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनों, कॉलेज के छात्रों और स्कूली बच्चों ने भाग लिया। सम्मेलन में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि कैसे कम और कुशल ऊर्जा खपत का परिणाम सतत विकास हो सकता है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल प्रोफेसर जदगीश मुखी ने गुवाहाटी में इस सम्मेलन को आयोजित करने की प्रासंगिकता का उल्लेख किया, जहां पर विविध प्रकार की जातीयता और संस्कृति से आने वाले समुदाय टिकाऊ कार्य-प्रणालियों के माध्यम से सामाजिक रूप से प्रकृति के साथ मिलकर रहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति, संस्कृति और विरासत का संरक्षण प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। राज्यपाल ने कहा कि ऊर्जा के उपयोग को सीमित करने के साथ-साथ ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों को अपनाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरल एवं पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाकर और अपने पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करके क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित किया जाना चाहिए। प्रोफेसर जदगीश मुखी ने आग्रह किया कि इस संदेश को भारत के दूर-दराज के हिस्सों में जन-जन तक पहुंचाया जाना चाहिए और यह सुझाव भी दिया कि ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए एक कार्य व्यवहार्य योजना तैयार की जानी चाहिए।

श्री सहाय ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए लालच से हटकर हरियाली की ओर बढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने सार्वजनिक नीति और व्यक्तिगत व्यवहार के बीच की कड़ी पर प्रकाश डालते हुए सार्वजनिक नीति की समीक्षा पर जोर दिया, जिससे स्थायी व्यक्तिगत व्यवहार को बढ़ावा मिलेगा। श्री सहाय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जहां एक तरफ संरक्षण पर सार्वजनिक नीति दक्षता पर आधारित होनी चाहिए, वहीं दूसरी ओर संरक्षण की प्रणालियों में आधुनिक एवं पारंपरिक तकनीकों का मिश्रण होना चाहिए।

इस अवसर पर श्री तिवारी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऊर्जा की उपलब्धता ने हमारे जीवन में अकल्पनीय सुख-सुविधाएं प्रदान की हैं, लेकिन ऊर्जा का अंधाधुंध उपयोग तथा अविवेकपूर्ण खपत तेजी से उभर रहे अस्तित्वगत संकट का एक प्रमुख कारण है। एक समय में एक कार्य करके और प्रतिदिन एक परिवर्तन करके, हम दीर्घकालिक पर्यावरण अनुकूल आदतों को विकसित करने के लिए अपनी जीवन शैली में परिवर्तन कर सकते हैं।

डॉ. ठाकुर ने प्रकृति एवं स्वास्थ्य पर ध्यान वापस लाने के लिए अपने पारंपरिक सिद्धांतों तथा प्रथाओं पर वापस लौटने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि अग्नि तत्व पर सम्मेलनों की श्रृंखला उन तौर-तरीकों को सामने लाने पर केंद्रित है, जिसमें ऊर्जा जीवन से जुड़ी हुई है। डॉ. ठाकुर ने कहा कि इन सभी बिंदुओं में स्थिरता, संस्कृति, सुरक्षा, आध्यात्मिकता, स्वास्थ्य, पर्यावरण, आवास के साथ ऊर्जा संबंध भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य बेहतर भविष्य के लिए हमारे प्राचीन ज्ञान पर आधारित समग्र परिवर्तन लाना है।

प्रोफेसर डॉ. सीताराम ने सम्मेलन के आयोजन स्थल के रूप में आईआईटी गुवाहाटी को मान्यता देने के लिए हृदयगत आभार व्यक्त किया, जहां सतत विकास के लिए ऊर्जा संरक्षण, हरित ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के ग्रामीण अनुप्रयोगों के क्षेत्र में व्यापक शोध चल रहा है। बाल दिवस पर आयोजित और इसके मुख्य दर्शकों के रूप में बच्चों के साथ इस सम्मेलन का एक विशेष महत्व था क्योंकि बच्चे बेहतर कल के लिए बदलाव के पथप्रदर्शक सिद्ध हो सकते हैं।

एक दिवसीय सम्मेलन में नीति निर्माण, पर्यावरण विनियमन, अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों द्वारा ऊर्जा दक्षता तथा संरक्षण पर वार्ता और एक पैनल चर्चा भी शामिल थी।

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