विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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15 नवंबर को मनाए जाने वाले 'जनजातीय गौरव दिवस' की पूर्व संध्या पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुसूचित जनजाति के लिए विशेष प्रौद्योगिकी हब स्थापित किए जा रहे हैं

Posted On: 11 NOV 2022 6:41PM by PIB Delhi
  • मंत्री ने 'खासतौर से कमजोर जनजातीय समूहों के तेज विकास' के लिए डीएसटी के एक विशेष कार्यक्रम का शुभारंभ किया
  • अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के समग्र विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने देश के विभिन्न हिस्सों में 10 'विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) हब' स्थापित किए हैं; ऐसे 15 और हब अगले एक साल में स्थापित किए जाएंगे
  • डीएसटी ने जीन एडिटिंग तकनीकों का इस्तेमाल करके सिकल सेल डिसीज (एससीडी) के लिए एक स्थायी इलाज विकसित करने के लिए 50 करोड़ रुपये की आरएंडडी परियोजना का भी समर्थन किया है

 

15 नवंबर को मनाए जाने वाले 'जनजातीय गौरव दिवस' की पूर्व संध्या पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के समग्र विकास के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में अब तक 10 विशिष्ट 'विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) हब' स्थापित किए हैं। एसटी आबादी की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए स्थायी आजीविका के सृजन के माध्यम से समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अगले एक साल में ऐसे 15 और हब स्थापित किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि ऐसे 10 में से 4 एसटीआई हब पूर्वोत्तर राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा में स्थापित किए गए हैं ताकि पूर्वोत्तर राज्यों की एसटी आबादी के लिए स्थायी आजीविका तैयार की जा सके।

 

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मंडा के साथ, माननीय मंत्री आईआईटी गुवाहाटी में 'जनजातीय गौरव दिवस' मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण दे रहे थे।

 

इस अवसर पर उन्होंने 'आजादी का अमृत महोत्सव' के एक हिस्से के रूप में 'विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के तेज विकास' के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक विशेष कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सम्मेलन का विषय 'आदिवासी समुदाय का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सशक्तीकरण' प्रधानमंत्री के जय विज्ञान-जन अनुसंधान के विजन को सामने रखता है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर जनजातीय समुदायों के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों और आजीविका में उनके सशक्तिकरण के लिए डीएसटी का योगदान दिखाई दे रहा है। उन्होंने जनजातीय कार्य मंत्रालय और विभाग के दूसरे संगठनों और एएसटीईसी को इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नवंबर 2021 में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर सालभर चलने वाले उत्सव के हिस्से के रूप में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया था। 15 नवंबर महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा का जन्मदिन है, जिन्हें देशभर का आदिवासी समुदाय भगवान का दर्जा देता है।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विस्तार से बताया कि जनजातीय गौरव दिवस के राष्ट्रव्यापी समारोह का नेतृत्व खुद प्रधानमंत्री ने किया, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बहादुर आदिवासी सेनानियों के बलिदान का लगातार जिक्र करते रहते हैं। समारोह में बड़ी संख्या में कार्यक्रम, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, सामाजिक गतिविधियां आदि आयोजित किए गए थे।

 

विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से जनजातीय समुदाय के एकीकृत सामाजिक-आर्थिक विकास पर ज्यादा ध्यान देने के लिए अपने मंत्रालय की पहलों पर गौर करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान विविध प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में लगभग 100 नई परियोजनाओं का सहयोग किया गया और इन परियोजनाओं से देश के विभिन्न क्षेत्रों में 50,000 से अधिक एसटी आबादी को लाभ होने की उम्मीद है।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सिकल सेल डिसीज (एससीडी) का स्थायी इलाज विकसित करने और जीन एडिटिंग तकनीकों का इस्तेमाल करके ऐसे रोगियों के जीवन स्तर में सुधार के व्यापक लाभ के लिए डीएसटी ने 50 करोड़ रुपये की आरएंडडी परियोजना का भी समर्थन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) गुवाहाटी में 12 करोड़ रुपये की लागत से पूर्वोत्तर के आदिवासियों और जनजातीय समुदाय के पारंपरिक खानपान पर शोध के लिए हेरिटेज फूड एंड बेवरेज रिसर्च सेंटर और नवाचार, प्रौद्योगिकी एवं उद्यमिता के लिए जैव संसाधन केंद्र की स्थापना की गई है।

 

जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए पहलों की श्रृंखला का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीएसटी ने पिछले तीन वर्षों में इंस्पायर फेलोशिप के माध्यम से विज्ञान में करियर बनाने के लिए एसटी विद्यार्थियों और स्कॉलर्स को 700 फेलोशिप प्रदान की है। इसी प्रकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से विशेष रूप से राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रमों के संदर्भ में सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए 'मौलिक विचार' वाले 12,500 एसटी स्कूली बच्चों को इंस्पायर-मानक पुरस्कार प्रदान किए गए। मंत्री ने बताया कि अनुसूचित जनजाति समुदाय के 200 से ज्यादा वैज्ञानिकों को विज्ञान और इंजीनियरिंग के अग्रणी क्षेत्रों में परियोजनाओं को लागू करने के लिए 'विज्ञान में उत्कृष्टता के लिए अधिकारिता और समानता के अवसर' योजना के तहत वित्तीय सहायता की पेशकश की गई। इस प्रकार से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास प्रक्रिया में अवसर पैदा किया गया।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से जनजातीय समुदायों के व्यापक विकास के लिए संस्थागत और मानवीय क्षमता (दोनों समुदाय और व्यक्तिगत स्तर पर) को मजबूत करने के लिए रणनीतियों और सुझावों को सामने रखेगा। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों, ज्ञान संगठनों, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, नागरिक समाज, सामाजिक उद्यमियों, जमीनी स्तर के नवोन्मेषकों, लाभार्थियों और जनजातीय समुदाय के परिवर्तन लाने वाले विशिष्ट लोगों को सम्मेलन में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने विभिन्न आयोजनों में शामिल होकर इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए उनके प्रयासों की सफलता की कामना की।

 

एसजी/एएम/एएस


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