वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने ‘कारोबारी सुगमता’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया
Posted On:
08 OCT 2022 9:15PM by PIB Delhi
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने आज नई दिल्ली में ‘कारोबारी सुगमता’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की।
कार्यशाला के दौरान नीति आयोग के सीईओ श्री परमेश्वरन अय्यर ने मुख्य संबोधन दिया। उन्होंने वैश्विक सूचकांकों पर भारत के प्रदर्शन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत को एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में विकसित करने की दिशा में कारोबारी सुगमता अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूप में सामने आई है। श्री अय्यर ने जीवन सुगमता और कारोबारी सुगमता के बारे में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के बारे में भी बात की। उन्होंने सुझाव दिया कि एक-दूसरे से सीखकर समग्र सरकार के दृष्टिकोण को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
जी20 के शेरपा श्री अमिताभ कांत ने भारत को परिवर्तित करने में कारोबारी सुगमता की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने दोहराया कि भारत की रैंक में सुधार से संतुष्ट होना ही वांछनीय नहीं है। कारोबारी सुगमता को सही मायने में प्राप्त करने के लिए कुछ प्रक्रियाओं, अनुमतियों, नवीनीकरणों की आवश्यकता पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नए तरीकों को स्वीकार करने के लिए देश के भीतर मानसिकता में बदलाव लाना भी जरूरी है। इसके अलावा उन्होंने प्रत्येक राज्य में बदलाव शुरू करने के लिए कम से कम एक परिवर्तन एजेंट होने पर जोर दिया।
डीपीआईआईटी सचिव श्री अनुराग जैन ने पैनल चर्चा का संचालन किया, जिसमें नीति आयोग के सीईओ परमेश्वरन अय्यर, डीपीआईआईटी के पूर्व सचिव श्री रमेश अभिषेक, मध्य प्रदेश सरकार में कृषि उपज आयुक्त श्री शैलेंद्र सिंह, भूमि संसाधन विभाग में सचिव श्री अजय टिर्की, उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य सचिव श्री रविंदर ने इसमें भाग लिया।
डीपीआईआईटी में पूर्व सचिव श्री रमेश अभिषेक ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 के विजन को रेखांकित किया, जिसमें राज्य और नियामकों सहित सभी सार्वजनिक प्राधिकरणों के लिए एक रूपरेखा तैयार की जाएगी। सरकारी विभागों द्वारा वैश्विक स्तर की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाना चाहिए। लाइसेंस/अनुमोदन/नवीनीकरण की ज्यादा आवश्यकता की जांच की जानी चाहिए और इसकी किसी भी आवश्यकता को औचित्यपूर्ण होना चाहिए। इस बात का भी परीक्षण किया जाना चाहिए कि क्या लाइसेंस/अनुमोदन को केवल सरकारी अधिकारियों के पंजीकरण/सूचना देने से बदला जा सकता है।
मध्य प्रदेश सरकार में कृषि उपज आयुक्त श्री शैलेंद्र सिंह ने देश भर में कारोबारी सुगमता आत्मसात करने के उद्देश्य से सभी हितधारकों के लिए क्षमता और कार्यशालाओं के बारे में बात की।
भूमि संसाधन विभाग में सचिव श्री अजय टिर्की ने कहा कि डिजिटलीकरण और सुलभ शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से पंजीकरण प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। विभाग जिओ-रिफ्रेंसिंग और भूमि पार्सल के लिए विशिष्ट पहचान सहित सुधारों के अगले चरण पर काम कर रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य सचिव श्री रविंदर ने बेहतर निर्माण परमिट के लिए हॉन्गकॉन्ग जैसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर सर्वोत्तम प्रक्रियाओं की तर्ज पर की गई पहलों का उल्लेख किया।
प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने सरकारी विभागों और राज्यों के बीच समन्वय के महत्व, नोडल विभागों के बीच दायित्वों के आवंटन और कुछ स्तंभों के रूप में प्रभावी निगरानी पर प्रकाश डाला, जिससे विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ। पैनलिस्टों ने देश भर में कारोबारी सुगमता को और बढ़ाने के लिए अगली पीढ़ी के सुधारों के बारे में बहुमूल्य जानकारियां भी प्रदान कीं।
डीपीआईआईटी में संयुक्त सचिव श्रीमती मनमीत के नंदा ने भारत में सुधार की यात्रा को शामिल करते हुए एक प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने देश भर में एक अनुकूल कारोबारी माहौल तैयार करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की गई प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला। ध्यान देने की बात है कि भारत कम रैंकिंग वाले ऐसे कुछ देशों में से एक है, जिसका उद्देश्य सुधारों के प्रभाव को जमीनी स्तर पर बढ़ाना देना है।
इस अवसर पर महाराष्ट्र सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा भी प्रस्तुतीकरण दिया गया, जिसमें उनके द्वारा लागू किए गए सुधारों पर प्रकाश डाला गया जिन्होंने विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता रिपोर्ट में भारत की रैंक में सुधार करने में योगदान दिया।
कार्यशाला में राज्यों, केंद्रीय मंत्रालयों और उद्योग की व्यापक भागीदारी भी देखने को मिली। कार्यशाला में भारत में कारोबारी सुगमता के अभ्यास की निरंतर प्रक्रिया के प्रमुख सबकों पर प्रकाश डाला गया। यह व्यापक स्तर पर शुरू की गई पहलों, अध्ययन की जाने वाली वैश्विक सर्वोत्तम प्रक्रियाओं पर आधारित है और ‘संपूर्ण राष्ट्र’ में सुधारों को आगे बढ़ाने लिए ‘समग्र सरकार’ दृष्टिकोण पर केंद्रित है।
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