वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) से गुणवत्ता को राष्ट्रीय मिशन बनाने के लिए देश में सभी गुणवत्ता और मानक संगठनों को एक साथ मिलाने का आग्रह किया


क्यूसीआई से भारत को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के साथ तालमेल कायम करने का प्रयास करने के लिए कहा

गुणवत्ता आने वाले समय में ब्रांड इंडिया को परिभाषित करेगी: श्री पीयूष गोयल

2047 तक विकसित देश बनने के लिए गुणवत्ता की संस्कृति को राष्ट्र में शामिल करना होगा: श्री पीयूष गोयल

Posted On: 06 OCT 2022 6:12PM by PIB Delhi

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) से देश में सभी विभिन्न गुणवत्ता और मानक संगठनों को आपस में मिलाने का प्रयास करने को कहा जिससे वे भारत में एक विश्वस्तरीय गुणवत्ता प्रणाली के निर्माण की दिशा में मिलकर काम कर सकते हैं और गुणवत्ता को एक राष्ट्रीय मिशन बना सकते हैं। वह आज नई दिल्ली में क्यूसीआई के रजत जयंती समारोह में सभा को संबोधित कर रहे थे। ‘गुणवता से आत्मनिर्भरता’ के आदर्श वाक्य के साथ, इस कार्यक्रम ने क्यूसीआई द्वारा सेवाओं, उत्पादों और जीवन की गुणवत्ता प्रदान करने के प्रयासों की सराहना की।

श्री गोयल ने कहा, "विभिन्न गुणवत्ता और मानक संगठनों को आपस में मिलाने से हमें गुणवत्ता मानकों के इस्तेमाल को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। हमें देश के प्रत्येक नागरिक और प्रत्येक व्यवसाय के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता मिशन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे हम देश में कारोबारी माहौल, निवेश का माहौल बनाने में सक्षम होंगे और पूरी ताकत से 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने में मदद मिलेगी।" उन्होंने क्यूसीआई से भारत को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के साथ तालमेल कायम करने में मदद करने का भी आग्रह किया।

कार्यक्रम में उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में जी20 में भारत के शेरपा श्री अमिताभ कांत, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव श्री अनुराग जैन, डीपीआईआईटी के अपर सचिव श्री अनिल अग्रवाल, क्यूसीआई और क्षमता निर्माण आयोग के अध्यक्ष श्री आदिल जैनुलभाई और क्यूसीआई के महासचिव डॉ. रवि पी. सिंह शामिल थे।

श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि गुणवत्ता आने वाले समय में ब्रांड इंडिया को परिभाषित करेगी। उन्होंने देखा कि गुणवत्ता पर कभी भी लागत पर नहीं आती है, बल्कि लागत बचाई जाती है और उत्पादकता में सुधार होता है। उन्होंने राष्ट्र के नागरिकों से आग्रह किया कि वे जो कुछ भी करते हैं उसे बेहतर, अधिक कुशल, अधिक किफायती, अधिक उपयोगी और अधिक मापन-योग्य तरीके से करने के लिए दृढ़ संकल्प को आत्मसात करें। श्री गोयल ने कहा, "अगर 2047 तक विकसित देश बनना है तो गुणवत्ता की संस्कृति को राष्ट्र में शामिल करना होगा। गुणवत्ता का यह विचार वास्तव में इस देश को किसी भी चीज की तुलना में तेजी से बदल सकता है।"

श्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर व्यक्त किए गए पंच प्रण के बारे में बताया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी चाहते थे कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की योजना बनाने की हमारी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के क्रम में भारत अपनी मानसिकता को बदले, उपनिवेशवाद के ऐतिहासिक बोझ को दूर करे, अधिक आत्मविश्वासी, अधिक आत्मनिर्भर और साहसी बने।

श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि भारत को अपने इतिहास, संस्कृति, विरासत और परंपराओं पर गर्व हो, जिसने भारत को एक समाज के रूप में प्रगति में मदद करने के लिए बहुत कुछ सिखाया है। उन्होंने कहा कि हमें एकता के सूत्र पर बहुत गर्व होना चाहिए, जो हमें महान विविधता के बीच एक सूत्र में बांधता है। उन्होंने कहा कि हम 'कर्तव्य भावना' के साथ देश के नागरिकों और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करें। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि गुणवत्ता को लेकर प्रतिबद्धता एक ऐसा गुण है, जो पंच प्रण में से हर एक को पार कर जाएगा, एक ऐसा गुण जो हमें सभी पांच प्रतिज्ञाओं को तेजी से और स्मार्ट तरीके से प्राप्त करने में मदद करेगा।

उन्होंने पूरे कोल इको-सिस्टम में गुणवत्ता संबंधी जागरूकता लाने के लिए क्यूसीआई की सराहना करते हुए कहा कि क्यूसीआई की इस पहल में राष्ट्रीय सेवा की भावना में है, क्योंकि इसने कोयला उद्योग की गुणवत्ता को समझने के तरीके को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले, गुणवत्ता मानकों के पालन की कमी के कारण भुगतान की गई कीमत और प्राप्त कोयले की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण अंतर था। उन्होंने कहा कि एक बार क्यूसीआई ने कदम रखा और कोयले के तीसरे पक्ष के नमूने जैसी पहल शुरू कर दी, तो इस क्षेत्र में गुणवत्ता में परिवर्तनकारी सुधार हुआ।

श्री गोयल ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की गुणवत्ता को लेकर प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप बेहतर गुणवत्ता वाले खाद्यान्न उपभोक्ताओं तक पहुंचे हैं, जो अधिकतर सुविधा से वंचित हैं। श्री गोयल ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इन खाद्यान्नों के वितरण की प्रक्रिया अब बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके पूरी तरह से प्रौद्योगिकी-समर्थित है। उन्होंने कहा कि वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के तहत, लाभार्थी देश में कहीं से भी अपनी खाद्य सामग्री ले सकते हैं। श्री गोयल ने कहा, "अधिकार पारदर्शी है, वितरण पारदर्शी है और यह सब एक गुणवत्ता-सुनिश्चित प्रक्रिया के माध्यम से होता है।"

श्री गोयल ने भारत और विदेशों में बाजार खोजने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों के उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) पहल में क्यूसीआई द्वारा निभाई गई भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि क्यूसीआई वाणिज्य मंत्रालय को देश के दूरदराज के हिस्सों में गुणवत्ता की अवधारणा पेश करने में मदद कर रहा है, ताकि इन क्षेत्रों के उत्पाद भी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्वीकार्य हो सकें। उन्होंने कहा कि क्यूसीआई ने जीआई टैगिंग पहल और स्वच्छ सर्वेक्षण को पूरा करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। श्री गोयल ने एफसीआई, सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) और विभिन्न राज्यों के विभिन्न गोदामों में भंडारण केंद्रों पर गुणवत्ता संबंधी जागरूकता लाने में मदद करने के लिए क्यूसीआई की भी सराहना की।

श्री गोयल ने बताया कि डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) की पहल में क्यूसीआई ने नेतृत्व की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “ओएनडीसी हमें मॉम और पॉप स्टोर को बचाने, लाखों नौकरियों को बचाने और ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करने में मदद करेगा, ताकि पूरे इको-सिस्टम को ई-कॉमर्स की आधुनिक तकनीक से जुड़ने और एक जीवंत भविष्य के हितधारक बनने का मौका मिले, जो हर वर्ग की परवाह करता है। उद्योग का, बड़ा या छोटा और ग्राहकों की संतुष्टि पर गहराई से ध्यान केंद्रित करता है।”

प्रधानमंत्री श्री मोदी का हवाला देते हुए श्री गोयल ने कहा कि अब समय गया है कि राष्ट्र 'जीरो डिफेक्ट जीरो एफेक्ट' की नीति अपनाए। उन्होंने कहा कि जब हम देश के लिए एक स्थायी भविष्य की ओर देख रहे हैं तो एक गुणवत्ता संबंधी अभिविन्यास भी हमारी काफी मदद कर सकता है।

क्यूसीआई से केवल अपनी ख्याति पर कायम रहने का आग्रह करते हुए, मंत्री ने कहा कि 25वीं वर्षगांठ को एक नई भावना, एक नया उत्साह और नए अवसरों, नई सोच और सभी कार्यक्रमों को राष्ट्रीय चरित्र बनाने के लिए नए अवसरों, नई सोच और आकांक्षाओं के द्वार को खोलना चाहिए, ताकि गुणवत्ता हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन सके।

डीपीआईआईटी के सचिव श्री अनुराग जैन ने इस कार्यक्रम में गुणवत्ता और उत्पादकता की दिशा में भारत की यात्रा और इसमें क्यूसीआई की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में अपने विचार साझा किए। श्री जैन ने मानक संचालन प्रक्रियाओं को स्थापित करने में क्यूसीआई के योगदान को मान्यता दी, जिसने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की प्रक्रियाओं के परिवर्तन में मदद की है, जिसमें सार्वजनिक सेवा वितरण में अधिक पारदर्शिता लाने के क्रम में एक तकनीक-समर्थित दृष्टिकोण के माध्यम से खाद्यान्न की निगरानी के लिए क्यूसीआई द्वारा संचालित लाइव निगरानी प्रणाली लाना शामिल है। उन्होंने डीपीआईआईटी को क्यूसीआई में एक मिशन मोड में ओएनजीसी को इनक्यूबेट करने में मदद करने के लिए क्यूसीआई की पहल की भी सराहना की। ओएनडीसी की क्रांतिकारी पहल में यूपीआई जैसे ई-कॉमर्स को बाधित करने की क्षमता है, जिसे भारत में भुगतान इको-सिस्टम के लिए तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि यह परियोजना छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए गेम-चेंजर का काम करेगी।

भारत के अरबों से अधिक नागरिकों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सक्षम करने के लक्ष्य के साथ क्यूसीआई द्वारा निर्धारित यात्रा के बारे में चर्चा करते हुए, श्री आदिल जैनुलभाई ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत निर्मित शौचालयों की संख्या को मापने, गांवों में पहुंचाई गई बिजली, पीएम आवास योजना के तहत बने घरों, उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर की डिलीवरी और शहरी और ग्रामीण भारत दोनों के लिए स्वच्छ भारत के सर्वेक्षण सहित क्यूसीआई की कुछ प्रमुख उपलब्धियों को गिनाया।

जाने-माने संगीतकार श्री सुखविंदर सिंह ने इस अवसर के लिए एक विशेष गान की रचना की, जो कई तरीकों से लोगों के जीवन में लाए गए सकारात्मक बदलाव की खुशी मनाता है। एक कॉफी टेबल बुक और क्यूसीआई डीएल शाह क्वालिटी बेस्ट प्रैक्टिस बुक का 7वां संस्करण भी इस कार्यक्रम में लॉन्च किया गया, जिसमें विकास की दिशा में भारत की प्रगति, अरबों भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयासों और लक्ष्य के प्रति क्यूसीआई के योगदान पर प्रकाश डाला गया।

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