संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

सी-डॉट और आईआईटी दिल्ली ने आईओटी/एम2एम, एआई/एमएल, साइबर सुरक्षा, 5जी एवं अन्‍य प्रौद्योगिकी सहित दूरसंचार के विभिन्न उभरते क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए


यह समझौता ज्ञापन अनुसंधान एवं विकास और शिक्षाविदों के बीच सहयोग को मजबूत करेगा जिससे स्वदेशी दूरसंचार समाधानों के त्‍वरित डिजाइन एवं विकास का मार्ग प्रशस्त होगा

इससे विचार एवं अवधारणा के चरण से ही छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं के बीच तालमेल पर आधारित एक सहयोगात्‍मक ढांचा स्थापित करने में मदद मिलेगी

Posted On: 27 SEP 2022 8:50PM by PIB Delhi

भारत सरकार के संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के अंतर्गत प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्‍स (सी-डॉट) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्‍ली ने आईओटी/एम2एम, एआई/एमएल, साइबर सुरक्षा, 5जी एवं अन्‍य प्रौद्योगिकी सहित विभिन्‍न दूरसंचार क्षेत्रों में सहयोग के लिए आज यहां एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किए।

सी-डॉट 1984 में अपनी स्थापना के बाद से ही दूरसंचार के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। सी-डॉट ने कई अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास के लिए प्रयास किए हैं। उसके प्रयासों से ऑप्टिकल, स्विचिंग, वायरलेस, सुरक्षा, नेटवर्क प्रबंधन और नवोन्‍मेषी दूरसंचार सॉफ्टवेयर ऐप्लिकेशन जैसे डोमेन में व्‍यापक प्रौद्योगिकी के साथ विस्‍तृत उत्‍पाद पोर्टफोलियो तैयार करने में मदद मिली है। सी-डॉट ने स्थानीय उद्योग, शिक्षाविदों और स्टार्टअप के सहयोग से स्‍वदेशी 4जी और 5जी प्रणालियों के विकास में उल्‍लेखनीय भूमिका निभाई है।

राष्ट्रीय महत्व के संस्थान आईआईटी दिल्‍ली और इंस्‍टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई) संचार एवं संबंधित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी तत्‍परता से काम कर रहा है। आईआईटी दिल्‍ली में भारती स्कूल ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने उद्योग और अन्य प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठनों के सहयोग से उभरती राष्ट्रीय जरूरतों के लिए विभिन्‍न विषयों में उन्नत अनुसंधान एवं समाधान के विकास की उल्‍लेखनीय पहल की है।

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य पूर्ण स्वदेशी दूरसंचार समाधान के डिजाइन एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान एवं विकास और शिक्षाविदों के बीच बेहतर सहयोग के लिए पारस्परिक तौर पर उत्पादक ढांचा विकसित करना है। यह विचार एवं अवधारणा के चरण से ही छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं के बीच ज्ञान एवं कौशल के आदान-प्रदान के लिए एक प्रभावी प्‍लेटफॉर्म साबित होगा। यह प्लेटफॉर्म नए विचारों को बाजार के लिए तैयार समाधान में बदलने के लिए उत्प्रेरक के तौर पर कार्य करेगा।

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इस समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर के लिए आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए सी-डॉट के कार्यकारी निदेशक डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने अनुसंधान एवं विकास और शिक्षा के बीच तालमेल में जबरदस्‍त क्षमता को रेखांकित किया। उन्‍होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' संबंधी दृष्टिकोण का एक प्रमुख वाहक है। स्वदेशी परिवेश के भागीदारों के बीच प्रभावी सहयोग से स्‍वदेशी कम लागत के साथ 4जी और 5जी के विकास की शानदार उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि सी-डॉट और आईआईटी दिल्‍ली के बीच इस साझेदारी की पूरक ताकत से स्‍वदेशी नवाचारों के साथ पूरे दूरसंचार प्रौद्योगिकी परिदृश्‍य के लिए नए अवसर सृजित होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस समझौता ज्ञापन से नए यूज-केस सृजित होंगे और अंतिम उपयोगकर्ताओं के बीच व्‍यापक तैनाती के लिए भविष्य के दूरसंचार समाधान तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि अकादमिक उत्कृष्टता और नवोन्‍मेषी अनुसंधान के मेल से हमारी राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (आईपी) में वृद्धि होगी।

भारती स्कूल ऑफ टेलीकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, आईआईटीडी के प्रमुख प्रो. स्‍वदेश डे ने शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास के बीच बेहतर सहभागिता पर केंद्रित एक उत्पादक ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि यह छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को करीब लाएगा ताकि उनके बीच की खाई को प्रभावी तौर पर कम किया जा सके। इससे वाणिज्यिक तौर पर व्यवहार्य, उद्योग श्रेणी के और बाजार के लिहाज से प्रतिस्पर्धी तकनीकी समाधानों के डिजाइन और विकास में तेजी आएगी। उन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में 'आत्मनिर्भरता' हासिल करने के लिए एक-दूसरे की ताकत और क्षमता का लाभ उठाने में सहयोग आधारित इस प्‍लेटफॉर्म के विभिन्‍न आयामों पर जोर दिया। उन्होंने सी-डॉट और आईआईटी दिल्‍ली के बीच इस तालमेल को जबरदस्‍त सफलता मिलने की उम्‍मीद जताई।

सी-डॉट और आईआईटी दिल्‍ली दोनों ने इस सहयोगी प्‍लेटफॉर्म की प्रभावकारिता में भरोसा जताया और शानदार सफलता के साथ इसे आगे ले जाने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को दोहराया।

 

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