पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

सरकार ने नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा के अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर स्वच्छ वायु दिवस का आयोजन किया


केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने लाइफ मिशन की महत्ता के बारे में बताया

पर्यावरण और विकास दोनों एक दूसरे के पूरक हैः श्री यादव

Posted On: 07 SEP 2022 7:26PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आज 'स्वच्छ वायु दिवस ("स्वच्छ वायु नील गगन") के रूप में नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा के तीसरे अंतरराष्ट्रीय दिवस का आयोजन किया। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए जागरूकता बढ़ाने और कार्यों को सुविधाजनक बनाने को लेकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने क्षमता निर्माण और सार्वजनिक आउटरीच पर आठ शहरों को लेकर ब्रोशर भी जारी किए। इन आठ शहरों में श्रीनगर (ऑल हैंड्स ऑन बोर्ड), वाराणसी (कुछ भी बेकार नहीं जाता), बेंगलुरु (क्लीन रोड, क्लीन सिटी), पुणे (द राइट ड्राइव), हैदराबाद (द ग्रीन वे), अकोला (पानी संकट), थूटुकुडी (कचरा से खजाना) और लखनऊ (अंडर कंट्रोल) शामिल हैं।

श्री यादव ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले साल जब हमने स्वच्छ वायु मिशन कार्यक्रम की शुरुआत की थी, तब हमारा प्रयास जमीनी स्तर से इस पर काम करना था क्योंकि स्वच्छ हवा का विषय सरकार की प्राथमिकता का विषय है। उन्होंने आम लोगों के ज्ञान को बढ़ावा देने और उपयोग करने पर जोर दिया।

श्री यादव ने दोहराया कि ग्लासगो में सीओपी 26 में प्रधान मंत्री द्वारा बताए गए लाइफ मिशन को न केवल पूरे देश में बल्कि पूरे विश्व में आगे ले जाने की जरूरत है। LiFE मिशन का मतलब संसाधनों का सोच-समझकर उपयोग किया जाना चाहिए।

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु मिशन कार्यक्रम में हमारा उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय स्तर पर वायु प्रदूषण की समस्याओं का समाधान करना है। इस समस्या का समाधान सामाजिक-आर्थिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु मिशन कार्यक्रम में नवीन समाधानों की दिशा में काम करने के लिए नए स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

श्री यादव ने जोर देकर कहा कि हम चाहते हैं कि यह नवाचार एक आंदोलन बने। इसलिए एनसीएपी के कार्यक्रम में फंडिंग की व्यवस्था भी इस आधार पर की गई है कि अच्छा प्रदर्शन करने वालों को भी पुरस्कृत किया जाए। उन्होंने कहा कि एनसीएपी में हम लगातार क्षेत्रीय कार्यशालाओं पर काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम ने एक पोर्टल लाकर जागरूकता पैदा की है। इसके जरिये राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मदद मुहैया कराई जा रही है। इसके साथ ही पिछले साल जो बिल पास हुआ वह दिल्ली के लिए अपने आप में एक नया विधायी बदलाव था, जिसमें ट्रांस बाउंड्री मैंडेट दिया गया है।

श्री यादव ने स्थानीय लोगों को प्राकृतिक विरासत के प्रति जागरूक करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा-हमें लगता है कि पर्यावरण और विकास विरोधी नहीं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं। वैज्ञानिक नजरिया और ज्ञान को अपनाकर और प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन देकर ही हम अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाएंगे।

इस अवसर पर बोलते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि स्वच्छ पवन नील गगन कार्यक्रम ने अपने तीन साल पूरे कर लिए हैं। अब इससे नई पीढ़ी को अवगत कराए जाने की जरूरत है। वायु प्रदूषण की समस्या न केवल हमारे देश में है बल्कि पूरे देश में है। दुनिया अब भारत की ओर देख रही है कि इस मामले में हमारी नीति क्या होगी। इस मुद्दे पर मंत्रालय स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक प्रयास किए जाने की जरूरत है।

कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव श्रीमती लीना नंदन, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष डॉ एम एम कुट्टी, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री तन्मय कुमार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री नरेश पाल गंगवार, पर्यावरण और राज्य के शहरी विकास विभाग सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/प्रदूषण नियंत्रण समितियां, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशालय और 131 शहर प्रशासन शामिल हुए।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जागरूकता बढ़ाने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए 7 सितंबर को "नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा का अंतरराष्ट्रीय दिवस" ​​के रूप में नामित किया है। इस वर्ष, यह "द एयर वी शेयर" के वैश्विक विषय के साथ, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए नेशनल एक्शन और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की तात्कालिकता पर जागरूकता बढ़ाता है।

 इस कार्यक्रम ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की सफलता की कहानियों को साझा करने का अवसर प्रदान किया। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम जनवरी, 2019 में शुरू की गई थी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में सभी के लिए स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए यह पहल की गई थी। इसका उद्देश्य स्वस्थ और नागरिकों के लिए प्रोड्क्टिव लाइफ  और समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से 100 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम का उद्देश्य देश के 131 शहरों में पार्टिकुलेट मैटर की संघनता को 20-30% तक कम करके वायु गुणवत्ता में सुधार करना है। इसमें 123 नॉन-अटैनमेंट सीटीज (एनएसी) शामिल हैं। इन शहरों में लगातार 5 वर्षों तक राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) से अधिक प्रदूषण है। ये वो शहर हैं जहां की आबादी 4.2 करोड़ है। दोनों श्रेणियों में 34 शहर शामिल हैं।

देश के 131 शहरों ने खराब वायु गुणवत्ता जैसे वाहन, सड़क की धूल, निर्माण, उद्योग, थर्मल पावर प्लांट, कचरे को जलाने, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट आदि में योगदान देने वाले विभिन्न स्रोतों को संबोधित करने के लिए सिटी एक्शन प्लान और माइक्रो एक्शन प्लान विकसित किए हैं। हालांकि 2017 की तुलना में वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों के अनुरूप 20 शहरों सहित 95 शहरों में पार्टिकुलेट मैटर की सघनता में समग्र सुधार हुआ है।

पीआरएएनए पोर्टल (पोर्टल फॉर रेगुलेशन ऑफ एयर पॉल्यूशन इन नॉन-अटैनमेंट सीटीज) के माध्यम से एक्शन प्लान्स की भौतिक और वित्तीय प्रगति की रिपोर्टिंग और निगरानी की जाती है।

स्वच्छ वायु दिवस पर कार्यक्रम के दौरान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने निम्नलिखित बातें कहीं हैं:

  1. राष्ट्रीय, राज्य और शहर स्तर पर आयोजित किए जाने वाले क्षमता निर्माण और आउटरीच कार्यक्रमों पर दिशानिर्देश, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्यों को बढ़ावा देने के लिए सभी स्तरों पर हितधारकों को जुटाने में मदद करते हैं।
  2. एनसीएपी के तहत निधियों को जारी करने और उपयोग करने के लिए दिशानिर्देश;
  3. वायु गुणवत्ता घटक के लिए सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए 15वें वित्त आयोग परिचालन दिशानिर्देश जारी किए गए।
  4. एनसीएपी के तहत 8 शहरों की सर्वोत्तम काम और सफलता की कहानियां (वाहनों के उत्सर्जन को रोकने के लिए स्थायी परिवहन पर पुणे और बेंगलुरु; ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर श्रीनगर, तूतीकोरिन, और वाराणसी, सीवेज प्रबंधन पर अकोला, हैदराबाद में कार्बन सिंक के रूप में कार्य करने के लिए 33% हरियाली विकसित करने, लखनऊ के लिए एकीकृत नियंत्रण और कमांड सेंटर फॉर मॉनिटरिंग)। ये सर्वोत्तम व्यवस्थाएं वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए अन्य शहरों द्वारा स्थायी समाधान अपनाने में मदद करती हैं।

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एमजी/एएम/वीएस



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