उप राष्ट्रपति सचिवालय
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उपराष्ट्रपति ने जीवन के सभी क्षेत्रों से औपनिवेशिक मानसिकता और प्रथाओं को दूर करने का आह्वान किया


शिक्षा राष्ट्रीय विकास की कुंजी है, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभी के लिए सुलभ एवं किफायती बनाने की आवश्यकता है - उपराष्ट्रपति

लैंगिक भेदभाव और जातिवाद जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने में युवाओं को सबसे आगे होना चाहिए

अधिकारों का लाभ उठाने के लिए कर्तव्यों पर ध्यान देना काफी महत्वपूर्ण है- श्री नायडू

उपराष्ट्रपति ने हंसराज कॉलेज के प्लेटिनम जुबिली समारोह का उद्घाटन किया

उपराष्ट्रपति ने शैक्षिक उत्कृष्टता के प्रमुख केंद्र के तौर पर उभरने के लिए हंसराज कॉलेज की प्रशंसा की

Posted On: 26 JUL 2022 7:29PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज जीवन के सभी क्षेत्रों से औपनिवेशिक मानसिकता और प्रथाओं को दूर करने का आह्वान किया। अपनी जड़ों की ओर लौटने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने इच्छा जताई कि युवा पीढ़ी हमारे पूर्वजों और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा निर्धारित उच्च नैतिक मूल्यों और नैतिक मानदंडों का पालन करे।

श्री नायडू आज दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के 75वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राज्य सभा द्वारा औपनिवेशिक प्रथाओं को दूर करने के लिए हाल ही में की गई पहलों का उल्लेख किया जैसे चेयर को 'महामहिम' के बजाय 'अध्यक्ष महोद्य' के जरिये संबोधित करना, सदन के सदस्यों द्वारा मातृभाषा का प्रयोग अ​धिक से अ​धिक करना और 'आई बेग टु से' की जगह 'आई राइज टु प्रजेंट' का प्रयोग करना। उसी भावना से वह चाहते थे कि विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में भारतीय पहनावे और भारतीय स्वाद दिखे। उन्होंने जोर देकर कहा, 'ये सुझाव शुरू में मामूली लग सकते हैं लेकिन लंबी अवधि में इनका गहरा असर दिखेगा।'

प्लेटिनम जुबली के अवसर पर अपने संबोधन में श्री नायडू ने कहा कि शिक्षा राष्ट्रीय विकास की कुंजी है। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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श्री नायडू ने शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की विशेष जिम्मेदारी पर जोर देते हुए उनसे शिक्षण और पाठ्यक्रम में भारत के वास्तविक इतिहास, संस्कृति, परंपरा, लोक कलाओं, भाषाओं एवं बोलियों और मूल भारतीय मूल्यों से जोड़ने का आग्रह किया। भारतीय संस्कृति की समृद्धि और भव्यता को प्रसारित करने के लिए हंसराज कॉलेज की प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि महर्षि दयानंद सरस्वती और महात्मा हंसराज के मूल्य इस कॉलेज की नैतिक दृष्टि को स्वरुप दे रहे हैं।

श्री नायडू ने अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने और मूल्य आधारित समग्र शिक्षा एवं व्यक्तित्व विकास को बढ़ावा देने वाले शैक्षणिक वातावरण तैयार करने के लिए भी हंसराज कॉलेज की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, 'परिणामस्वरूप हंसराज कॉलेज पिछले कुछ वर्षों में शैक्षिक उत्कृष्टता के एक प्रमुख केंद्र के तौर पर उभरा है। यह एक ऐसा तथ्य है जिस पर आप सभी को गर्व हो सकता है।'

श्री नायडू ने इस बात पर गौर किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को पुनर्गठित करने पर जोर देती है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि दिल्ली विश्वविद्यालय वर्तमान सत्र से एनईपी-2020 को सही मायने में लागू कर रहा है। स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती पर ध्यान देने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए श्री नायडू ने छात्रों को अनुशासित जीवन शैली अपनाने, योग या खेल का अभ्यास करने और पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी।

श्री नायडू ने अपने संबोधन में मातृभाषा को संरक्षित करने और उसे बढ़ावा देने की आवश्यकता दोहराई। उन्होंने बच्चे को उनकी मातृभाषा में बुनियादी स्कूली शिक्षा प्रदान करने का आह्वान किया।

वह यह भी चाहते थे कि छात्र लैंगिक भेदभाव, जातिवाद और भ्रष्टाचार जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ें और कृषि एवं गांवों के विकास पर ध्यान केंद्रित करें। उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि ​अधिकारों का फायदा उठाने के लिए कर्तव्यों पर ध्यान देना काफी महत्वपूर्ण है।

हंसराज कॉलेज के पूर्व छात्रों के कला, विज्ञान, अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी, मीडिया, प्रशासन और राजनीति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण योगदान की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान इस संस्थान की शैक्षणिक सख्ती का प्रतिबिंब है।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने महाविद्यालय परिसर में महात्मा हंसराज की प्रतिमा का अनावरण किया और कॉलेज के प्राचार्य प्रो. राम द्वारा लि​खित पुस्तक 'आर्य समाज और महात्मा हंसराज' का विमोचन ​भी किया।

गौरतलब है कि हंसराज कॉलेज की स्थापना 26 जुलाई 1948 को महर्षि दयानंद सरस्वती और महात्मा हंसराज की स्मृति में की गई थी। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस कॉलेज परिसर का उद्घाटन किया था। यहां 5,000 से अ​धिक छात्र पढ़ते हैं।

इस कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, हंसराज कॉलेज के प्रशासनिक निकाय की अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. पूनम सूरी, प्राचार्य प्रो. राम, संकाय के सदस्य, छात्र एवं अन्य विशिष्ट अतिथि शामिल हुए।

 

संबोधन का मूल पाठ निम्नलि​खित है

 

"मैं प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज के 75वें स्थापना दिवस समारोह यानी स्थापना के अमृत महोत्सव में शामिल होकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। विशेष महत्व की बात यह है कि ज्ञान के इस महान भंडार के स्थापना दिवस का प्लेटिनम जुबिली समारोह देश भर में मनाए जा रहे 'आजादी का अमृत महोत्सव' के ऐतिहासिक पड़ाव के साथ मेल खाता है।

महर्षि दयानंद सरस्वती और महात्मा हंसराज, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और शिक्षा के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं, के मूल्य हंसराज कॉलेज के नैतिक दृष्टिकोण को स्वरुप दे रहे हैं। यही मौलिक प्रभाव इस संस्थान को एक अकादमिक माहौल तैयार करने के लिए विशेषता प्रदान करता है जो मूल्य आधारित समग्र शिक्षा और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है। परिणामस्वरूप हंसराज कॉलेज पिछले कुछ वर्षों में शैक्षिक उत्कृष्टता के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। यह एक ऐसा तथ्य जिस पर आप सभी को गर्व होगा।

भारत देश की तमाम उपलब्धियों को उजागर करते हुए 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है और ऐसे में हमें अवश्य याद रखना चाहिए कि शिक्षा देश के विकास की कुंजी है। शिक्षा को सबसे शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में देखा जाता है जो किसी देश के विकास को गुणात्मक बढ़त के साथ गति दे सकती है। इसी अंतर्निहित उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने दूरदर्शी दस्तावेज, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का अनावरण किया जो शिक्षा जगत में बदलाव लाने के लिए तैयार है। एनईपी राष्ट्रीय विकास के पाठ्यक्रम तैयार करने के लिहाज से शैक्षिक संस्थानों के लिए एक विस्तृत, बहुस्तरीय रूपरेखा तैयार करती है और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के पुनर्गठन पर जोर देती है। मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने पर इसका जोर एक ऐतिहासिक कदम है। मुझे विश्वास है कि इससे नाटकीय बदलाव आएगा। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि दिल्ली विश्वविद्यालय इसी सत्र से एनईपी-2020 को सही तरीके से लागू कर रहा है।

मुझे बताया गया है कि हंसराज कॉलेज अपने 5,000 से अ​धिक छात्रों के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के बड़े कॉलेजों में से एक है। महर्षि दयानंद सरस्वती और महात्मा हंसराज की स्मृति में 26 जुलाई 1948 को इसकी स्थापना की गई थी। हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा हंसराज कॉलेज के परिसर का उद्घाटन किया गया जो इसकी लंबी यात्रा का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण है। स्वामी दयानंद सरस्वती और महात्मा हंसराज जैसे महान आध्यात्मिक एवं सामाजिक नेताओं और सुधारकों की शिक्षाओं के साथ हंसराज कॉलेज का डीएवी एवं आर्य समाज जैसे संस्थानों के साथ जुड़ाव देश एवं समाज के प्रति संस्थान के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

इस तथ्य को याद रखना महत्वपूर्ण है कि हंसराज कॉलेज के पूर्व छात्रों ने कला, विज्ञान, अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी, मीडिया, प्रशासन, कानून, राजनीति एवं अन्य क्षेत्रों में असाधारण योगदान दिया है। राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान इस प्रतिष्ठित संस्थान की अकादमिक सख्ती का प्रतिबिंब है।

हमारे गुरुओं यानी शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों की एक विशेष जिम्मेदारी है। मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि आप अपने शिक्षण और पाठ्यक्रम को भारत के वास्तविक इतिहास, इसकी संस्कृति, इसकी परंपरा, इसकी लोक कलाओं और भाषाओं, बोलियों और मूल भारतीय मूल्यों से जोड़ने का प्रयास करें। भारतीय संस्कृति की समृद्धि एवं भव्यता को प्रसारित करने के लिए इस कॉलेज की प्रतिबद्धता प्रशंसनीय है। मुझे बताया गया है कि आधुनिक सुविधाओं एवं संसाधनों से लैस इस कॉलेज के मुख्य पुस्तकालय के अलावा यहां दुर्लभ वैदिक साहित्य एवं ग्रंथों का एक अलग पुस्तकालय भी है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि यहां शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी छात्रों के साथ मिलकर हर महीने यज्ञ करते हैं।

 

प्रिय छात्रों,

 

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। इसलिए स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती पर ध्यान दें। जंक फूड से दूर रहें और पौष्टिक आहार लें। शारीरिक तंदुरुस्ती के लिए अपनी पसंद की कोई भी गतिविधि चुन लें और अनुशासित जीवन शैली का निर्माण करें। आप जो अनुशासन और इच्छाशक्ति विकसित करेंगे उससे आप जीवन भर अच्छी स्थिति में रहेंगे। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि हंसराज कॉलेज में योग से संबंधित गतिविधियों की व्यवस्था है।

हंसराज कॉलेज डीएवी जैसे संगठन के दृ​ष्टिकोण से निर्देशित संस्थान है जो देशभक्ति और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देता है। आपके इतिहास, आपकी परंपरा, आपकी अब तक की यात्रा और आपकी विरासत को देखते हुए मुझे विश्वास है कि महर्षि दयानंद, महात्मा हंसराज और भारत माता के अन्य महान सपूतों की शिक्षाएं आपको समाज, देश और शिक्षा को नई गति एवं दिशा देने के लिए प्रेरित करेंगी।

मैं एक बार फिर आप सभी को इस 75वें स्थापना का अमृत महोत्सव की बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

 

जय हिन्द!"

 

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एमजी/एएम/एसकेसी




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