संस्‍कृति मंत्रालय

श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज 'स्‍वतंत्रता की वीरगाथा-ज्ञात और कम-ज्ञात संग्राम' प्रदर्शनी का उद्घाटन किया


प्रदर्शनी विभिन्न क्रांतियों और स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न गुमनाम नायकों के बारे में वास्तविक तथ्य सामने लाएगी: श्री अर्जुन राम मेघवाल

प्रदर्शनी 30 सितंबर 2022 तक जनता के लिए खुली रहेगी, छुट्टियों को छोड़कर प्रत्येक दिन सुबह 10: 00 बजे से शाम 5:00 बजे तक

Posted On: 12 AUG 2022 4:19PM by PIB Delhi

संस्कृति और संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज नई दिल्ली में 'स्वतंत्रता की वीरगाथा: ज्ञात और कम-ज्ञात संग्राम' प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी का आयोजन भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार ने किया है।

इस अवसर पर श्री अर्जुन राम मेघवाल ने उल्लेख किया कि यह प्रदर्शनी विभिन्न क्रांतियों और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले विभिन्न गुमनाम नायकों के बारे में वास्तविक तथ्यों को सामने लाएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी के माध्यम से महान स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ गुमनाम नायकों को भी याद किया जाएगा।

यह प्रदर्शनी भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखे गए मूल सरकारी दस्तावेजों, कार्टोग्राफिक रिकॉर्ड, समाचार पत्रों, निजी पत्रों, समकालीन तस्वीरों और प्रतिबंधित साहित्य पर आधारित है।

यह प्रदर्शनी देश के विभिन्न हिस्सों में कई क्रांतिकारी आंदोलनों और संघर्षों की एक झलक प्रदान करती है, जिनमें जंगल महल का विद्रोह, या चुआर विद्रोह (1771- 1809) (पश्चिम बंगाल), संबलपुर विद्रोह, ओडिशा (1827-62), महान विद्रोह (1857), कूका नामधारी आंदोलन, पंजाब (1871), प्लेग कमिश्नर की हत्या, पुणे (चापेकर ब्रदर्स 1897), मुंडा विद्रोह, रांची (1894), अनुशीलन समिति (1902), अलीपुर बम षडयंत्र केस (1908), हावड़ा गैंग केस (1910), दिल्ली-लाहौर षडयंत्र केस (1912), ग़दर पार्टी 1913, चंपारण सत्याग्रह (1917), असहयोग आंदोलन (1920), चौरी चौरा (1922), रम्पा विद्रोह, विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश (1922-24) , हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) 1923, काकोरी षडयंत्र केस (1925), नवजवान सभा (1926-31), कीर्ति किसान आंदोलन, 1927, चटगांव शस्त्रागार छापे (1930), सविनय अवज्ञा आंदोलन / दांडी मार्च (1930), सेंट्रल असेंबली बम केस (1929) और लाहौर षडयंत्र केस (1931), हरेका आंदोलन (रानी गैडिललियू 1930), द इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (1920 से 1940), भारत छोड़ो आंदोलन, 1942 और रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह 1946 आदि शामिल हैं।

यह प्रदर्शनी 30 सितंबर 2022 तक छुट्टियों को छोड़कर प्रत्येक दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक जनता के दर्शन के लिए खुली रहेगी।

भारत का राष्ट्रीय अभिलेखागार संस्कृति मंत्रालय के तहत एक संलग्न कार्यालय है। यह सार्वजनिक अभिलेख अधिनियम, 1993 और सार्वजनिक अभिलेख नियम, 1997 के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है।

भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में वर्तमान में इसके भंडारों में सार्वजनिक अभिलेखों के 18.00 करोड़ से अधिक पृष्ठों का संग्रह है, जिसमें फाइलें, खंड, मानचित्र, भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत बिल, संधियां, दुर्लभ पांडुलिपियां प्राच्य अभिलेख, निजी कागजात, कार्टोग्राफिक शामिल हैं। अभिलेख, राजपत्र और गजेटियर का महत्वपूर्ण संग्रह, जनगणना रिकॉर्ड, विधानसभा और संसद में बहस, प्रतिबंधित साहित्य, यात्रा लेखा आदि। प्राच्य अभिलेखों का एक बड़ा हिस्सा फारसी, संस्कृत, पाली, प्राकृत, उड़िया आदि में है।

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