उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने अपने एक दिवसीय गुजरात दौरे के दौरान द्वारका और सोमनाथ के विभिन्न पवित्र स्थलों का दौरा किया


उपराष्ट्रपति ने गुजरात को ‘महापुरुषों की भूमि’ के रूप में वर्णित किया, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से ताजगी से भर देती है बल्कि देशभक्ति की एक शक्तिशाली भावना को भी जागृत करती है

भारत के खूबसूरत मंदिर हमारी समृद्ध संस्कृति और हमारे पूर्वजों की उच्च स्तर की क्षमताओं की झलक देते हैं- उपराष्ट्रपति

सोमनाथ न सिर्फ अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारत की दृढ़ता की भावना का भी प्रतीक है- उपराष्ट्रपति

​​​​​​​श्री नायडु ने गांधी जी के जन्मस्थान का दौरा किया; उन्होंने नागरिकों से खादी पहनने और उसको बढ़ावा देने की अपील की

Posted On: 06 AUG 2022 7:16PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने अपनी पत्नी श्रीमती उषा नायडु और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ आज गुजरात में विभिन्न पवित्र स्थलों का दौरा किया और राष्ट्र की शांति, प्रगति व समृद्धि के लिए प्रार्थना की। दिन भर के इस दौरे के दौरान, जोकि भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में उनका आखिरी दौरा था, श्री नायडु पोरबंदर में महात्मा गांधी जी के जन्मस्थान पर भी गए। बाद में एक फेसबुक पोस्ट में, उपराष्ट्रपति ने गुजरात को 'महापुरुषों की भूमि' के रूप में वर्णित किया, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से ताजगी से भर देती है बल्कि देशभक्ति की एक शक्तिशाली भावना को भी जागृत करती है।

उपराष्ट्रपति ने अपनी दिन भर की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत पवित्र नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, जोकि द्वारका का एक पावन मंदिर और भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, के दर्शन के साथ की। उन्होंने दौरे के दौरान कहा कि पवित्र मंदिरों का दर्शन करने से हमारे भीतर हमेशा विनम्रता, आशा, सत्य एवं अच्छाई में विश्वास और करुणा का संचार होता है। उन्होंने कहा कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की यह कथा, हमारे इस विश्वास को और अधिक मजबूत करती है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होगी। युवा पीढ़ी से हमारे इतिहास के ऐसे प्रतिष्ठित स्थलों की यात्रा करने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की यात्राएं और तीर्थयात्रा इस विश्वास को पुष्ट करते हैं कि हमारे सदियों पुराने सांस्कृतिक मूल्य और सभ्यतागत गुण हमें सही रास्ते पर ले जाते हैं। उन्होंने कहा, "हम यह अमूल्य सबक सीखते हैं कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, सुरंग के अंत में हमेशा रोशनी होती है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा के बाद, श्री नायडु और उनके परिवार के सदस्यों ने द्वारकाधीश मंदिर में प्रार्थना की, जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। यह द्वारका में गोमती नदी के तट पर स्थित है। द्वारकाधीश मंदिर, जिसे 'जगत मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है, भारत में 'चार धाम' तीर्थ स्थलों में से एक है। मंदिर के स्थापत्य के बारीक स्वरूप की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने कहा कि ऐसे सुंदर मंदिर हमारी समृद्ध संस्कृति और हमारे पूर्वजों की उच्च स्तर की क्षमताओं की झलक आज भी दे रहे हैं। उन्होंने आधुनिक वास्तुकारों से इन ऐतिहासिक एवं कालातीत स्मारकों से प्रेरणा लेने और इन प्रासंगिक पद्धतियों को समकालीन वास्तुकला में समावेश करने की अपेक्षा व्यक्त की। उन्होंने कहा, "इस तरह हम न सिर्फ अधिक टिकाऊ इमारतें बनाने में सक्षम हो पायेंगे बल्कि अपनी संस्कृति के मर्म को जीवित रखने में समर्थ रहेंगे।"

द्वारकाधीश मंदिर के बाद उपराष्ट्रपति पोरबंदर स्थित कीर्ति मंदिर गए, जो राष्ट्रपिता’  महात्मा गांधी जी के जन्मस्थान और पैतृक घर पर बना एक स्मारक है। उपराष्ट्रपति ने वहां प्रदर्शित गांधी जी के चरखे का उल्लेख करते हुए इसे हमारे स्वतंत्रता संग्राम के सबसे शक्तिशाली प्रतीकों और महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक बताया। गांधी जी द्वारा शुरू किए गए खादी आंदोलन के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने 'हमारे राष्ट्रपिताको एक सच्ची श्रद्धांजलि के तौर पर सभी को खादी पहनने और उसको बढ़ावा देने को कहा। इस यात्रा के बाद, उपराष्ट्रपति ने कीर्ति मंदिर की आगंतुक पुस्तिका में निम्नलिखित टिप्पणी लिखी-

"मैं महात्मा गांधी के जन्मस्थान पोरबंदर में कीर्ति मंदिर का दौरा करके स्वयं को बहुत सम्मानित और सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। दुनिया को अन्याय के खिलाफ संघर्ष के हथियार के रूप में सच्चाई और अहिंसा की शक्ति का एहसास कराकर, गांधीजी ने संपूर्ण मानवता पर एक अमिट छाप छोड़ी। मैं सभी से, विशेषकर युवा पीढ़ी से, यहां आने और महात्मा के जीवन एवं आदर्शों से प्रेरणा लेने का आग्रह करता हूं।"

आजादी का अमृत महोत्सव' समारोह का उल्लेख करते हुए, श्री नायडु ने देशवासियों से एक उभरते भारत के निर्माण की दिशा में काम करने की अपील की, जहां हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उचित पोषण मिले। एक ऐसा भारत, जहां कोई भूखा न सोए। एक ऐसा भारत जहां वंचित तबके के लोग सशक्त हों। एक ऐसा भारत जहां बुजुर्गों के साथ अत्यधिक सम्मान के साथ व्यवहार हो। एक ऐसा भारत, जहां युवा विश्वगुरु की अपनी खोई हुई विरासत को दोबारा हासिल करने की प्रक्रिया में राष्ट्र का नेतृत्व करें।

बाद में शाम को, श्री नायडु और उनके परिवार ने ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर में प्रार्थना की, जो गुजरात में सौराष्ट्र के सागर कांत क्षेत्र में स्थित है और भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। श्री नायडु ने लिखा कि सोमनाथ न केवल अपने आध्यात्मिक महत्व और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारत की दृढ़ता की भावना का भी प्रतीक है। उन्होंने मंदिर की आगंतुक पुस्तिका में निम्नलिखित टिप्पणी की-

मैं सोमनाथ मंदिर का दौरा करके बहुत खुश हूं। इस मंदिर का भव्य स्थापत्य और इसकी आध्यात्मिक आभा वास्तव में अद्भुत है। मैं लोगों से इस मंदिर को देखने और हमारी सभ्यता के सांस्कृतिक अजूबे की सराहना करने का आग्रह करता हूं।"

अपने दौरे के समापन के बाद, श्री नायडु ने कहा कि भारत में ऐसे कई स्थल हैं जिनका महान ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व है। ऐसे स्थानों के बारे में हमारे युवाओं को परिचित कराने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने शिक्षण संस्थानों को छात्रों को ऐसे स्थानों पर ले जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल उन्हें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में व्यापक जानकारी मिलेगी बल्कि उनमें अपने राष्ट्र के प्रति गर्व की भावना भी आएगी।

उपराष्ट्रपति और उनके परिवार के आज सुबह जामनगर पहुंचने पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया।

उपराष्ट्रपति के गुजरात दौरे के बारे में उनके फेसबुक पोस्ट का लिंक यहां पर देखा जा सकता है-

https://www.facebook.com/100068797016931/posts/pfbid02Br9j9k8Xm2pnJyQfH3uV5stEDBexU9dvhMjSQDHVGxzV3bqSJCEtKk8Ggr64uFQRl/?d=n

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