पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मध्य हिंद महासागर में 5270 मीटर की गहराई पर डीप-सी माइनिंग सिस्टम वाले विश्व के पहले लोकोमोशन परीक्षण के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिकों की प्रशंसा की


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के 16वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंत्रालय से कहा कि वे मौसम, जलवायु, महासागर और भूकंप विज्ञान पर विश्व स्तरीय सेवाएं प्रदान करें

इस अवसर पर मंत्री ने लाइफटाइम एक्सीलेंस अवॉर्ड, लेडी साइंटिस्ट अवॉर्ड, 2 यंग रिसर्चर अवार्ड और जियो, पोलर, एटमॉस्फेरिक और ओशन साइंसेज में एक-एक सहित आठ राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए

डॉ. जितेंद्र सिंह ने हिंद महासागर के लिए अपने प्रकार का पहला और अत्याधुनिक, पूरी तरह से स्वचालित प्लवन-आधारित तटीय अवलोकन और जलीय गुणवत्ता वाली नाउकास्टिंग प्रणाली का शुभारंभ किया, जिसे इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद द्वारा विकसित किया गया है

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा नाउकास्टिंग प्रणाली तटीय निवासी, मछुआरे, समुद्री उद्योग, शोधकर्ता और प्रदूषण, पर्यटन, मत्स्य पालन और तटीय पर्यावरण से संबंधित एजेंसियां सहित विभिन्न हितधारकों को लाभान्वित करेगी

Posted On: 27 JUL 2022 9:55PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने आज राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार प्रदान किया और भारत की "डीप सी" पहल की प्रशंसा की।

उन्होंने मध्य हिंद महासागर में 5270 मीटर की गहराई पर डीप-सी माइनिंग सिस्टम वाले विश्व के पहले लोकोमोशन परीक्षण के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिकों की भी प्रशंसा की।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के 16वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रकार की मशीन का दुनिया में कहीं भी पहली बार सबसे अधिक गहराई में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।

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पिछले वर्ष लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के संबोधन का उल्लेख करते हुए, जिसमें श्री मोदी ने कहा था, “डीप ओशन मिशन महासागर की असीमित संभावनाओं का पता लगाने की हमारी महत्वाकांक्षा का परिणाम है”, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि समुद्र में छिपी हुई जो खनिज संपदा है और समुद्र के पानी में जो तापीय ऊर्जा है, वह देश के विकास को नई ऊंचाईयां प्रदान कर सकती है। मंत्री ने कहा कि अगले 25 वर्षों के अमृत काल में अनुसंधान एवं विकास और अन्वेषण गतिविधियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण पहचान होगी, जब हमारा देश अपना 100वां वर्ष मना रहा होगा।  

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इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने एमओईएस परिवार के पेशेवरों से आह्वान किया कि वे उन्नत ज्ञान प्राप्त करने के नए परिप्रेक्ष्य का पता लगाएं और इसे बढ़ावा दें तथा मंत्रालय को विश्व में मौसम, जलवायु, महासागर और भूकंप विज्ञान पर सेवाएं प्रदान करने और देश को ज्यादा से ज्यादा सामाजिक-आर्थिक लाभ पहुंचाने में सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए स्वयं को समर्पित करें।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने लाइफटाइम एक्सीलेंस अवार्ड, लेडी साइंटिस्ट अवार्ड, 2 यंग रिसर्चर अवार्ड और जियो, पोलर, एटमॉस्फेरिक और ओशन साइंसेज में एक-एक सहित आठ राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए।

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इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने हिंद महासागर के लिए अपने प्रकार का पहला और अत्याधुनिक, पूरी तरह से स्वचालित प्लवन-आधारित तटीय अवलोकन और जलीय गुणवत्ता वाली नाउकास्टिंग प्रणाली का शुभारंभ किया, जिसे इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद द्वारा विकसित किया गया है। इस प्रणाली में कोच्चि में स्थित एक तटीय वेधशाला के लिए एक स्वचालित प्लवन-एकीकृत हाई-एंड सेंसर शामिल हैं। यह प्रणाली विभिन्न हितधारकों को लाभान्वित करेगी, जिनमें तटीय निवासी, मछुआरे, समुद्री उद्योग, शोधकर्ता और प्रदूषण, पर्यटन, मत्स्य पालन और तटीय पर्यावरण से संबंधित एजेंसियां शामिल हैं। यह 19 वाटर गुणवत्ता संबंधित मापों का रीयल टाइम डेटा प्रदान करेगा जैसे तापमान, लवणता, विघटित ऑक्सीजन, टर्बिडटी आदि, जो तटीय पानी की गुणवत्ता के संदर्भ में सटीक नाउकास्ट उत्पन्न करने, तटीय पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य के सूचकांकों में सुधार करने और ओशनसैट-III जैसे उपग्रहों पर सेंसर की जांच करने और मान्य करने में सहायक होगा। आईएनसोआईएस एक समर्पित वेबसाइट के माध्यम से लोगों को यह डेटा मुफ्त प्रदान करेगा। विशाखापट्टनम में ऐसी ही एक और वेधशाला तैयार हो रही है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकप्रिय भारतीय जर्नल-मैग्जीन भूगोल और आप (जीएनवाई) के एक विशेष अंक का भी विमोचन किया, जिसका थीम इंडियाज फ्रेजाइल कोस्ट' था। यह विषय देश के तटीय क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में भारत की क्षमताओं को विकसित करने और सुधार लाने की दिशा में राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर), चेन्नई के वैज्ञानिकों के विचारों, अनुसंधानों, कार्यों और दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस), नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित मासिक भूकंपीय बुलेटिनों (2011-2020) के एक अनूठे संग्रह का भी अनावरण किया। यह संग्रह पिछले एक दशक में भारत और इसके पड़ोसी क्षेत्रों में 8,400 से ज्यादा भूकंपों के लिए भूकंप मॉनेटरिंग डेटा प्रदान करता है। एनसीएस की स्थापना 1898 में अलीपुर, कोलकाता में हुई जो अपनी पहली भूकंपीय वेधशाला सेट के साथ देश के अग्रणी संस्थानों में से एक है, जो भूकंप संबंधी स्टेशनों और वेधशालाओं के देशव्यापी नेटवर्क के माध्यम से रियल-टाइम राउंड-द-क्लॉक भूकंप संबंधित डेटा उत्पन्न करता है। भूकंप संबंधित जानकारी को सोशल मीडिया, मोबाइल एप्लिकेशन और वेबसाइटों जैसे संचार के नवीनतम साधनों के माध्यम से देश के नागरिकों और वैश्विक संस्थानों सहित विभिन्न उपयोगकर्ताओं के साथ साझा किया जाता है। केंद्रीय मंत्री द्वारा जारी किया गया यह संग्रह छात्रों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और शहरी योजनाकारों के लिए एक संदर्भ के रूप में काम करेगा, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो भूकंप और आपदा शमन की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने में रुचि रखते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा जारी किया गया एक अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशन 'भारत में वेधशालाओं की जलवायु संबंधी तालिकाएं 1991-2020' है जिससे जलवायु विज्ञान, कृषि, भूगोल, जल विज्ञान, जीव विज्ञान, अर्थशास्त्र, पारिस्थितिकी और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों के विभिन्न हितधारकों को लाभ प्राप्त होगा। यह प्रकाशन तापमान, वर्षा, सापेक्ष आर्द्रता, हवाएं, बादल, दृश्यता, तापमान और वर्षा के चरम मूल्यों और भारत के सभी मौसम वेधशालाओं से मौसम की घटनाओं की आवृत्ति जैसे जलवायु तत्वों का औसत मूल्य प्रदान करता है। राष्ट्रीय डेटा सेंटर, जलवायु अनुसंधान एवं सेवा विभाग, पुणे, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज को सार्वजनिक उपयोगिता और लाभ के लिए प्रत्येक दस वर्ष में अपडेट किया जाएगा।

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मंत्रालय हेतु भविष्य का खाका प्रस्तुत करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगले दो वर्षों में, एमओईएस के पास वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ समुद्र की गहराई में 6000 मीटर तक 3 वैज्ञानिकों को ले जाने के लिए मानव युक्त पनडुब्बी के विकास की महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं; 6000 मीटर की गहराई से पॉलीमेटेलिक ग्रंथिकाओं का खनन करने के लिए एक एकीकृत खनन प्रणाली का विकास; डॉपलर वेदर राडार की संख्या को 34 की वर्तमान संख्या से बढ़ाकर लगभग 50 करना; उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए एकीकृत मौसम संबंधी सेवाएं; वर्तमान हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सिस्टम को 10 पीएफलॉप्स से बढ़ाकर लगभग 27 पीएफएलऑप्स करना और मौसम पूर्वानुमान मॉडल के होरिजेंटल रेज़लूशन में सुधार लाते हुए उसे मौजूदा 12 किमी से 6 किमी तक करना, जिससे किसानों को ब्लॉक स्तर का पूर्वानुमान प्राप्त करने में सहायता मिल सके।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंत्रालय द्वारा 5 जुलाई, 2022 से प्रारंभ हुए 75-दिवसीय तटीय सफाई अभियान का उल्लेख करते हुए, जिसकी समाप्ति 17 सितंबर, 2022 को "अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस" पर होगी, मंत्रालय के अधिकारियों से कहा कि वे समुद्र तट रक्षक समितियों, गैर सरकारी संगठनों, बच्चों और युथ फोरम, कॉर्पोरेट्स और पीआरआई संस्थानों को इकट्ठा करें जिससे बचे हुए 50 दिनों में "स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर" के संदर्भ में जागरूकता का फैलाव किया जा सके।

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