शिक्षा मंत्रालय
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2047 की चुनौतियों से निपटने के लिए बच्चों को इनोवेशन के लिए तैयार करने की आवश्यकता –अनीता करवाल


जैसे-जैसे बच्चे शिक्षा की सीढ़ी चढ़ते जाते हैं, हमें छात्र में जिज्ञासा को जीवित और दिलचस्‍प बनाकर रखना चाहिए - प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धे

Posted On: 01 JUL 2022 9:10PM by PIB Delhi

शिक्षा मंत्रालय के नवोन्‍मेष प्रकोष्‍ठ (एमआईसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और केन्‍द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने गुरुवार को संयुक्त रूप से स्कूल इनोवेशन काउंसिल (एसआईसी) की शुरूआत की और पूरे भारत में 12,800 से अधिक स्कूल के शिक्षकों को इनोवेशन एंबेसडर के रूप में मान्यता दी। एसआईसी हमारे स्कूलों के साथ नवाचार और उद्यमशीलता इकोसिस्‍टम निर्मित करने के लिए भारत के शीर्ष शिक्षा निकायों की एक पहल है।

स्कूलों में एसआईसी की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की परिकल्‍पना के साथ स्‍थायी तरीके से स्कूली शिक्षा स्तर पर विचार, आउट-ऑफ-बॉक्स सोच, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने का एक कदम है।

शिक्षा मंत्रालय में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग में सचिव श्रीमती अनीता करवाल ने कहा कि हम जिस जनसांख्यिकीय लाभांश की बात करते हैं वह 2047 तक उपलब्ध है। हम नहीं जानते कि भविष्य में क्या चुनौतियाँ हैं, और इस प्रकार, यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक बच्चा रचनात्मक बने और नवोन्‍मेष के लिए आगे बढ़े। हमें पाठ्यपुस्तकों से ऊंचा उठना होगा, जो नवीन क्षमताओं को विकसित करने के साधनों में से एक हैं। उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों से बच्चों को उनके आसपास हो रही घटनाओं के करीब लाने और उन सभी चीजों में भाग लेने का आग्रह किया जो उनकी दक्षताओं को प्रोत्साहित और विकसित करेगी। उन्होंने कहा कि नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा एक बेहद कम, मूल-आवश्यक पाठ्यक्रम पेश करेगा, ताकि बच्चे पढ़ाई के अलावा 21 वीं सदी के कौशल को विकसित करने में जुट सकें।

शुरूआत के लिए सभी शीर्ष शिक्षा निकायों के 'त्रिवेणी संगम' के बारे में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, एआईसीटीई के अध्यक्ष, प्रोफेसर अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा कि यह पहल विचार, नवाचार, उद्यमिता, रचनात्मक सोच, डिजाइन सोच, प्रोटोटाइपिंग, आउट ऑफ बॉक्‍स सोचि‍ और यहां तक कि स्‍कूली बच्‍चों के आईपी व्‍यावसायीकरण की संस्कृति को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि हमें कक्षाओं में नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए और परीक्षाओं को इस तरह से आयोजित करना चाहिए जो रटने पर आधारित न हों।

सीबीएसई की अध्यक्ष निधि छिब्बर ने कहा कि एसआईसी स्कूलों, शिक्षाविदों, उद्योग, एचईआई, विशेषज्ञों, नवप्रवर्तनकर्ताओं और उद्यमियों के एक साथ आने के लिए एक अद्वितीय कनेक्‍टर है। उन्होंने कहा कि यह रचनात्मक सोच और नवाचार सोच में उनके लिए एक ठोस आधार तैयार करेगा जब वे स्कूलों से निकलकर एचईआई और फिर उद्योग में जाएंगे।

समारोह के दौरान 12,800 से अधिक शिक्षकों को भी बेहतर परामर्श क्षमताओं के साथ नवाचार राजदूत के रूप में सम्मानित किया गया।

एमआईसी के चीफ इनोवेशन ऑफिसर डॉ. अभय जेरे ने कहा कि जब हम स्कूलों में इनोवेशन इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहे हैं, तो हमने समानांतर रूप से चार स्तंभों पर काम करने का फैसला किया है: विचारों और रचनात्मकता को प्रदर्शित करने के लिए अधिक से अधिक राष्ट्रीय मंच बनाना, नीतिगत हस्तक्षेप, अभिनव पाठ्यक्रमों जैसे डिजाइन थिंकिंग पाठ्यक्रम, और अंत में, नवाचार राजदूत प्रशिक्षण कार्यक्रम और स्कूल इनोवेशन काउंसिल जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से दस्‍ते और छात्रों और शिक्षकों के प्रशिक्षण।

एमआईसी देश भर के प्रत्येक स्कूल को एसआईसी स्थापित करने और इसे इन सदस्यों : अध्यक्ष, संयोजक / गतिविधि समन्वयक, शिक्षक प्रतिनिधि (सोशल मीडिया समन्वयक, एसआईएटीपी के तहत प्रशिक्षित नवाचार राजदूत और 5 अतिरिक्त सदस्य शामिल हैं), विशेषज्ञ प्रतिनिधि (उद्यमी और विशेषज्ञ) और छात्र प्रतिनिधियों के साथ एसआईसी वेबसाइट पर पंजीकृत करने की सिफारिश करता है ।

एसआईसी कैलेंडर गतिविधियों में सफल नवप्रवर्तनकर्ताओं/उद्यमियों के साथ लीडरशिप वार्ता और पैनल चर्चा, और कार्यक्रम की पहचान और प्राथमिकता के लिए क्षेत्र का दौरा शामिल है। अंत में, अखिल भारतीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ पीओसी/प्रोटोटाइप और यहां तक ​​कि कुछ अच्छे स्टार्टअप की एक प्रदर्शनी को वित्त पोषित किया जाएगा।

सहायक नवाचार निदेशक, एमआईसी डॉ. एलंगोवन करियप्पन, ने कहा कि एसआईसी की भूमिका आईआईई पर शिक्षकों और छात्रों के बीच मानसिकता में बदलाव, जागरूकता और प्रशिक्षण का अधिकार, डिजाइन सोच, स्टार्टअप सहायता, मानव संसाधन और आईपीआर को सक्षम बनाना है।

डॉ. बिस्वजीत साहा, निदेशक (प्रशिक्षण और कौशल शिक्षा), सीबीएसई ने स्वागत भाषण दिया और एमआईसी के निदेशक डॉ. मोहित गंभीर  ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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