महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो- पीओसीएसओ) अधिनियम : कार्यान्वयन में बाधा डालने वाले कारक और पीड़ितों को सहायता के पहलू" पर पश्चिमी क्षेत्र की क्षेत्रीय सलाहकार बैठक आयोजित की

Posted On: 26 JUN 2022 6:23PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने आज, 26 जून 2022 को गुजरात के गांधीनगर में पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की एक क्षेत्रीय परामर्श बैठक का आयोजन किया। यह बैठक राष्ट्रीय अपराध (फोरेंसिक) विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के साथ और राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए नालसा), सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए) तथा पुलिस अनुसन्धान और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के संयुक्त सहयोग से आयोजित की गई थी। गुजरात के गृह मंत्री श्री हर्ष रमेश सांघवी परामर्श के मुख्य अतिथि थे। राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों (डीएलएसए) के लगभग 300 प्रतिनिधि, जिलों के विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) के प्रमुख, फोरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञ और 8 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, छत्तीसगढ़, झारखंड, दादरा नगर हवेली / दमन और दीव तथा एनएफएसयू, एनसीपीसीआर के अधिकारियों ने इस परामर्श बैठक में भाग लिया।

 

इससे पहले, उत्तरी क्षेत्र के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की क्षेत्रीय बैठक 2 अप्रैल, 2022 को नई दिल्ली में, पूर्वी क्षेत्र के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की 30 मार्च, 2022 को भुवनेश्वर, ओडिशा में और इसी तरह के विषय पर 22 से 30 मार्च 2022 तक पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए राज्यवार बैठकें आयोजित की गई थीं।

पीओएससीओ अधिनियम, 2012 को बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को नियंत्रित करने वाला एक लिंग-तटस्थ विशेष कानून प्रदान करने के लिए लागू किया गया है। इस अधिनियम के कार्यान्वयन के माध्यम से बाल यौन अपराधों की गैर-रिपोर्टिंग, यौन शोषण के मामलों के निपटान में लंबी देरी और बच्चों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए सख्त दंडात्मक सजा की अनुपस्थिति के मुद्दों को संबोधित किया गया था। इस अधिनियम के तहत प्रावधान बाल यौन अपराधों की रिपोर्टिंग को अनिवार्य बनाते हैं और प्रत्येक प्राधिकरण / हितधारक के लिए समय-सीमा प्रदान करते हैं जिनका पालन मामलों के त्वरित निपटान के लिए किया जाना चाहिए। हालांकि, इसके अधिनियमन के बाद से कानून का कार्यान्वयन दर्शाता है कि समर्थन सेवाओं के लिए प्रावधानों और क्षमता निर्माण को समझने में अधिकारियों के सामने अभी भी समस्याएं आ रही हैं।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  (एनसीपीसीआर)  के अध्यक्ष श्री प्रियांक कानूनगो ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पोक्सो पीड़ितों के लिए देश में साक्ष्यों की जांच के लिए पर्याप्त परीक्षण सुविधा नहीं है। हालांकि, राष्ट्रीय अपराध विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के साथ हमारा सहयोग निश्चित रूप से उस कमी को पूरा करना सुनिश्चित करेगा। अध्यक्ष ने कहा कि बच्चों के संरक्षण के क्षेत्रों में राज्य के सभी स्तंभ अर्थात विधायिका, प्रशासन और न्यायपालिका एक साथ खड़े हैं। उन्होंने आयोग की हाल की कुछ पहलों का उल्लेख किया, जिन्होंने जिला स्तरीय संकलन तैयार करने पर काम करना शुरू कर दिया है। इस संग्रह में अनुवादकों, दुभाषियों, सहायक व्यक्तियों और परामर्शदाताओं के बारे में जिलेवार जानकारी प्राप्त होगी। इसे एससीपीसीआर, एनसीपीसीआर और अन्य पदाधिकारियों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसी तरह, आयोग ने व्यक्तिगत पॉक्सो मामलों की जानकारी और सभी आवश्यक प्रक्रियाओं को अभिग्रहण करने के लिए एक ऑनलाइन ट्रैकिंग तंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। यह ट्रैकिंग सिस्टम साक्ष्य बनाने और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद करेगा। अध्यक्ष ने कहा कि प्रतिभागियों से इस परामर्श में जो कुछ भी सीखा गया है, वह बच्चों को सहायता और समर्थन देने में मदद करेगा।


गुजरात के गृह मंत्री श्री हर्ष रमेश सांघवी ने गुजरात में पोक्सो अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवश्यक सभी उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा  कि गुजरात पॉक्सो अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू कर रहा है। घटना वाले दिन ही पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने के उदाहरण हैं, एसआईटी टीम दिन-रात काम कर रही है जिसके परिणामस्वरूप अपराधी को 68 दिनों के भीतर मौत की सजा का फैसला सुनाया गया है। इन सभी ने विशेष रूप से पॉक्सो कार्यान्वयन के क्षेत्र की व्यवस्था में विश्वास पैदा करने में मदद की है। राज्य यौन अपराधों के मामलों को रोकने के लिए जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से अपराधियों को सजा के प्रभाव का दस्तावेजीकरण भी कर रहा है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित एक वैधानिक निकाय है। आयोग का जनादेश यह सुनिश्चित करना है कि सभी कानून, नीतियां, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र भारत के संविधान और बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन में निहित बाल अधिकार परिप्रेक्ष्य के अनुरूप हैं। आयोग को किशोर न्याय अधिनियम, 2015, पोक्सो अधिनियम, 2012 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के कार्यान्वयन की निगरानी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। एनसीपीसीआर को पोक्सो अधिनियम, 2012, धारा 44 आर / डब्ल्यू  और पीओएससीओ  अधिनियम नियम, 2020 के नियम 12 की निगरानी करने का अधिकार है जिसके तहत यह निम्नलिखित विषयों पर राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों से जानकारी प्राप्त करके पॉक्सो (पीओएससीओ) अधिनियम के कार्यान्वयन की स्थिति की निगरानी करता है -  1. विशेष न्यायालयों की स्थापना, 2. विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति, 3 पॉक्सो अधिनियम, 2012 के कार्यान्वयन के लिए हितधारकों के लिए सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा दिशा-निर्देश तैयार करना, 4. पुलिस आदि के प्रशिक्षण के लिए मॉड्यूल का पदनाम और कार्यान्वयन, 5. राज्य सरकार द्वारा पीओएससीओ अधिनियम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उठाए गए कदम और 6. अधिनियम के तहत प्रदान की गई प्रक्रियाओं के अंतर्गत  यौन शोषण के रिपोर्ट किए गए मामलों तथा उनके निपटान के संबंध में स्वयं या संबंधित एजेंसियों से जानकारी और डेटा एकत्र करना।

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