सूचना और प्रसारण मंत्रालय

आज के #MIFFDialogues की मुख्य बातें


(17वां मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव-2022)

पांचवां दिन; दिनांक: 02 जून, 2022

Posted On: 02 JUN 2022 8:00PM by PIB Delhi

#MIFFDialogues फिल्म निर्माताओं, मीडिया और प्रतिनिधियों के बीच एक ज्ञानवर्धक और सूचना आधारित संवाद है। #MIFFDialogues के 5वें दिन; अंतर्दृष्टि का एक दिलचस्प प्रवाह देखा गया। प्रमुख झलकियाँ यहां प्रस्तुत हैं:

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फिल्मों का नाम: रेट्रोस्पेक्टिव- द आउटलॉज; स्टोववे, द नाइट; ट्रैजिक स्टोरी विद हैप्पी एंडिंग; काली, द लिटिल वैम्पायर; अंकल थॉमस- अकाउंटिंग फॉर द डेज

फिल्म निर्देशक रेजिना पेसोआ ने #MIFFDialogues को संबोधित किया। संबोधन की मुख्य बातें:

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  • मैंने कभी सिनेमा की पढ़ाई नहीं की। मैंने कला का अध्ययन किया और किसी तरह कलात्मक यात्रा में मुझे एनीमेशन मिला तथा यह बहुत ही व्यक्तिगत हो गया, क्योंकि मेरे लिए उन विषयों के बारे में बात करना आसान था, जो बहुत सरल थे, जैसे अंधेरे से डरना। जब मैं फिल्मों का निर्देशन करती हूं, तो मैं अपनी जड़ों और अपनी संस्कृति का ख्याल रखती हूं।
  • "प्लास्टर प्लेट एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग केवल मेरे द्वारा किया जाता है। मैं एक पोलिश निर्देशक हूँ। उस समय, इंटरनेट बहुत विकसित नहीं था, मैंने शोध किया और अपनी प्रक्रिया को प्रबंधित किया। इसमें प्लास्टर शामिल होता है और मैं इसे गहरी स्याही से ढँक देती हूँ। फिर उत्कीर्ण करने की तरह, मैं चित्र बनाने के लिए इसे रगड़ दूंगी, खुरच दूंगी। प्रक्रिया बहुत ही जैविक है और प्रकाश और छाया की दृष्टि से बहुत समृद्ध है, जो मुझे पसंद है। मैं प्लेटों के ऊपर एक कैमरा लगाऊंगी और फ्रेम का फोटो लूंगी और आगे बढ़ूंगी, जिसे स्टॉप-मोशन एनिमेशन कहा जाता है।

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सारांश:

यह फिल्म, निर्देशक और उनके चाचा के बीच खास रिश्ते के बारे में है। फिल्म इस सनकी मिजाज़ वाले चाचा के प्रति निर्देशक के प्यार का साक्ष्य प्रस्तुत करती है। वे एक कलात्मक प्रेरणा स्रोत थे, जिन्होंने निर्देशक के फिल्म निर्माता बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रेजिना पेसोआ रेट्रस्पेक्टिव की क्यूरेटर ध्वनि देसाई के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य विशेषताएं:

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  • "जब मेरी फ़िल्में दुनिया भर में प्रदर्शित की जाने लगी, तो मैं चाहती थी कि दूसरे देशों की एनिमेटेड फिल्में हमारे प्रिय महोत्सव एमआईएफएफ में आएं, जहां मैं बड़ी हुई हूँ। मैंने पिछले 10 वर्षों से एनिमेशन पैकेज, मास्टर क्लास और रेट्रोस्पेक्टिव को क्यूरेट करना शुरू कर दिया है।
  • "मुझे बुल्गारिया, लातविया, एस्टोनिया, तुर्की, इटली, ब्राजील, फिनलैंड, बाल्कन क्षेत्र और कई अन्य देशों से की फिल्में मिली हैं, जिनकी फिल्में हमें देखने को नहीं मिलती हैं। एमआईएफएफ 2022 में, मैंने 4 पैकेज तैयार किए और वे हैं आइसलैंड और मैक्सिकन एनिमेशन, रेजिना पेसोआ की मास्टर क्लास और रेट्रोस्पेक्टिव।

फिल्मों का नाम: 'पबंग श्याम, फुम शांग, मणिपुरी सिनेमा के 50 साल'

फ़िल्मों के निर्देशक हाओबम पबन कुमार के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य बातें

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  • लोग मुझे एमआईएफएफ की वजह से जानते हैं। एमआईएफएफ और फिल्म डिवीजन ने हमें आगे बढ़ाया है। मेरी सभी फिल्मों का निर्माण फिल्म डिवीजन द्वारा किया जाता है। मेरी पहली फीचर फिल्म नेटफ्लिक्स की पहली मणिपुरी फिल्म है।
  • मेरी फिल्म, ‘पबंग श्याम’ मेरे शिक्षक अरीबम श्याम शर्मा के बारे में है। मैंने उनसे जीवन की छोटी-छोटी बातें सीखी हैं, जैसे अनुशासन। बिना अनुशासन के आप कभी भी फिल्में नहीं कर सकते। फिल्म निर्माण के अलावा, वे एक महान दार्शनिक, गायक और लेखक हैं और उन्होंने मणिपुरी सिनेमा में आधुनिक संगीत की शुरुआत की। वे 88 साल के हैं और अभी भी फिल्में बना रहे हैं। यह मेरे लिए, मेरे शिक्षक के प्रति एक श्रद्धांजलि की तरह है। उनके साथ काम करना मेरे लिए बहुत ही भावनात्मक था और यह आसान नहीं था।
  • मैं फिल्म को उबाऊ जीवनी न हो जाए को लेकर बहुत सचेत था। फिल्म में मेरा एक वर्णन है; जो फिल्म को एक अतिरिक्त विशिष्टता प्रदान करता है।"

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सारांश:

यह फिल्म पाबुंग श्याम के जीवन और कार्य को उनके एक प्रशंसक और छात्र की नजर से देखती है।

फिल्म का नाम: 'केज्ड’

फिल्म की निर्देशक लिजा मैथ्यू के #MIFFDialogue संबोधन की मुख्य बातें

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  • "केज्ड पूरी तरह से महिला कर्मियों द्वारा निर्मित फिल्म है, ऐसा जानबूझकर किया गया था और इससे यह कम चुनौतीपूर्ण हो गया। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों पर फिल्म को विकसित किया गया था कि महामारी के दौरान, छाया महामारी भी सामने आयी है, जिसके तहत घरेलू दुर्व्यवहार 30% तक बढ़ गया था।
  • "मैं अपने दोस्तों द्वारा अपने आस-पास मौजूद मनोचिकित्सक के रूप में जाना जाता रहा हूं, इस बारे में बहुत सारी कहानियां सुनने का मौका मिला और मुझे पता चला कि भावनात्मक दुर्व्यवहार एक अलग स्तर तक कैसे पहुँच गया है। इसलिए, यह मेरा संदेश है या हमारा संदेश है कि लोगों को उन लोगों की आवाज बनने के लिए जागरूक किया जाए, जिनकी आवाज़ सुननेवाला कोई नहीं है।
  • "जब मैंने यूएसए में अपनी फिल्म दिखाई, तो अरबी, हिस्पैनिक, श्वेत महिलाएं, अश्वेत महिलाएं इसे देख रही थीं और सभी ने कहानी से अपना जुड़ाव महसूस किया। मेरी फिल्म का अंत सकारात्मक नहीं है और जब लोग सवाल पूछते हैं, तो मैं कहती हूं कि मेरी महिलाएं अभी भी पिंजरे में हैं। हमें मुख्यधारा के मीडिया में इन विषयों पर बात करनी चाहिए और जब महिला फिल्म निर्माता ऐसे विषयों पर अधिक फिल्में बनाती हैं, तो फिल्में अधिक प्रामाणिक हो जाती हैं।

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सारांश:

केज्ड एक पूरी तरह से महिला कर्मियों द्वारा निर्मित लघु फिल्म है जो मानवीय रिश्तों की जटिल वास्तविकताओं की खोज करती है, बंद दरवाजों के पीछे, बड़े पैमाने पर अनसुनी और अदृश्य दुनिया के लिए एक दृष्टि देती है और हमें उन लोगों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिन्हें मदद की ज़रूरत है। भावनात्मक शोषण - एक कठिन और खतरनाक स्थिति है, जिसे अक्सर गंभीरता से नहीं लिया जाता है या बहुत से लोगों द्वारा आसानी से नज़रअंदाज कर दिया जाता है। केज्ड की कहानियां असहाय होने, नीरस सांसारिकता और जीवन की दुखद जटिलताओं को उजागर करती हैं। 

फिल्म दर्शकों को इस बात पर चिंतन करने के लिए प्रोत्साहित करती है कि कैसे समाज ने जीवन में अपने सबसे बुरे अनुभवों से गुजर रहे लोगों को लगातार और व्यवस्थित रूप से पराजित कर दिया है और यह हमें अपने दोस्तों को करीब रखने की भी याद दिलाता है। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि सभी बुरी बातें दिखाई नहीं पड़ती हैं। केज्ड द्वारा ऐसे ज्वलंत प्रश्न उठाये गए हैं, जो समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं, शिक्षित होने के बारे में हमारी समझ की मदद करते हैं और मनोवैज्ञानिक शोषण पर बातचीत करते हैं और ऐसे भविष्य का निर्माण करते हैं, जहाँ घरेलू दुर्व्यवहार न हो।

फिल्म का नाम: मैन एंड द वाइल्ड

फिल्म के निर्देशक शांतनु सेन के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य बातें

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  • "मैंने न केवल हम मनुष्यों के लिए बल्कि हर जीवित प्राणी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को देखा, खोजा और अभ्यास किया है। इस वृत्तचित्र के माध्यम से हम प्राकृतिक खेती को लोकप्रिय बनाने और नई अवधारणाओं व नवीन विचारों को पेश करने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए, खाद्य वन का निर्माण करना, चिंता का मुख्य विषय है, जहां हम सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।"
  • "हमने बहुत कम क्रू सदस्यों के साथ काम किया है। मैंने विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखा कि हमारी वजह से कार्बन उत्सर्जन बहुत कम हो। इसलिए हमारे पास उपकरण भी बहुत कम थे।"

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सारांश:

फिल्म के नायक किसान समीर बोरदोलोई मानते हैं और सोचते हैं कि एक किसान के रूप में वे केवल प्रकृति की सहायता कर सकते हैं, सृजन नहीं कर सकते। उनका मंत्र स्थानीय फसलों का संरक्षण, देशी फसलों के साथ खाद्य वनों का निर्माण, स्वास्थप्रद स्थानीय खाद्यान्न का उपभोग और जंगल के मूल्य वर्धित खाद्यान्न को कम मात्रा और उच्च मूल्य के उत्पादों के रूप में व्यावसायीकरण करना है। गुवाहाटी शहर से सिर्फ 25 किलोमीटर की दूरी पर, एक पहाड़ी में वह इस खाद्य वन का निर्माण कर रहे हैं, जहाँ वे मानव और जंगल के अन्य मौजूदा जानवरों के लिए प्राकृतिक रूप से खाद्यान्न उगाते हैं। इस प्रक्रिया में, वे फ़ूड फ़ॉरेस्ट में प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित करते हैं, ताकि अपने समुदायों में परिवर्तन लाने के लिए युवाओं को ग्रीन कमांडो को बदला जा सके।   

#MIFFDialogues का पूरा एपिसोड देखने के लिए यूट्यूब लिंक:

https://www.youtube.com/watch?v=FN62fpQWYLE

फिल्म का नाम: द क्रिएटिव मैन ऑफ पिपलात्री

फिल्म के निर्देशक भगवान दास बंशकर के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य बातें

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  • "लिंगानुपात का निम्न स्तर राजस्थान में एक बहुत बड़ा मुद्दा है, इसलिए बालिकाओं के जन्म को बढ़ावा देना उनका एक मकसद बन गया और इसलिए उन्होंने एक बालिका के जन्म पर 111 पौधे लगाने और एक पौधे के सूख जाने पर 11 पौधे लगाने का संकल्प लिया। इस कदम ने वास्तव में इसे गर्म क्षेत्र को हरा-भरा बनाया है और पर्यटन के लिए एक विशेष स्थान के रूप में विकसित किया है।

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सारांश

यह वृत्तचित्र एक सरपंच के प्रयासों का वर्णन करता है, जिन्होंने प्रत्येक बालिका के जन्म को रेखांकित करने के लिए 111 पेड़ लगाकर बंजर और उपेक्षित सरकारी भूमि को हरे चरागाह में परिवर्तित कर दिया और इस प्रकार एक अभिनव विचार को लोगों के सामने रखा। इस पहल से न केवल हरे-भरे चरागाह का निर्माण हुआ है, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं और बालिकाओं को बचाने के बारे में जागरूकता पैदा हुई है।   

 

फिल्म का नाम: पीलीभीत (पीली दीवार)

फिल्म के सह-निर्देशकों आशुतोष चतुर्वेदी और पंकज मावची के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य बातें

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  • यह फिल्म वास्तव में बाघों के लिए एक लोकप्रिय क्षेत्र पीलीभीत में एक प्रचलित मुद्दे को दिखाती है, जहां आय बहुत कम है और गरीबी अपने चरम पर है और सरकार से मुआवजा  प्राप्त करने के लिए मनुष्य शेरों और बाघों के सामने एक-दूसरे का बलिदान करते हैं। हमने वास्तव में मनोवैज्ञानिक पहलू की पड़ताल करने की कोशिश की कि मानवजाति इतनी कमजोर कैसे हो सकती है कि मानवता को ही भुला दिया जाए?
  • पीलीभीत के नाम में एक रूपक है, हर व्यक्ति के पास एक नैतिक दीवार होती है जिसे या तो कोई पार नहीं करना चाहता या ऐसा करने का परिणाम नहीं जानता। गरीबी आपको कैसी चीजों को करने के लिए कितनी दूर तक ले जा सकती है, यह फिल्म वास्तव में इसके बारे में बात करती है।

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सारांश

सिराज, एक गरीब बांसुरी निर्माता, उत्तर भारत के पीलीभीत के जंगलों के किनारे पर रहता है, जहाँ आदमखोर बाघों का आना-जाना होता है। बढ़ते आजीविका के दबाव और दैनिक त्रासदियों ने उसे एक कठोर उपाय करने के लिए मजबूर कर दिया, जिसमें उसके मूल्यों और प्रियजन को नष्ट करने का खतरा मौजूद था।

फिल्म का नाम : शिल्पकार

फिल्म के निर्देशक ओनील कार्णिक द्वारा #MIFFDialogues के संबोधन की मुख्य बातें

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  • मैं एक मूक फिल्म बनाना चाहता था, जो संवादों की बजाय भावनाओं के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचे।
  • शुरुआत में बच्चे के साथ काम करना मुश्किल था, लेकिन जब मैंने उनके प्रदर्शन को नंबरों के रूप में अंकित करना शुरू किया, तो बच्चे ने शूटिंग की प्रक्रिया का आनंद लेना शुरू कर दिया।

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सारांश:

यह एक जिज्ञासु पांच साल के लड़के की कहानी है, जो सभी बाधाओं को पार करता है और अपने शिल्प कौशल और प्रकृति के माध्यम से सीखने के जरिये खुशी का मार्ग पाता है।

फिल्म का नाम: 'दिल्ली राअट्स: ए टेल ऑफ़ बर्न एंड ब्लेम'

निदेशक कमलेश के मिश्रा के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य बातें:

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  • दंगों को आमतौर पर यांत्रिक रूप से कवर किया जाता है; चार्ट में सिर्फ संख्या बताई जाती है। क्या इंसानों की मौत सिर्फ संख्या है? लोग वास्तव में जिन अत्याचारों और दर्द से गुजरते हैं, उन्हें मीडिया कभी भी उचित रूप से कवर नहीं करती है।
  • इस फिल्म में कहानी बिल्कुल नहीं सुनाई गई है; यह फिल्म घटनाओं और पीड़ितों का साक्ष्य है।

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सारांश

23 फरवरी 2002 को दिल्ली (भारत) के उत्तर पूर्व जिले में दंगे भड़क उठे। अगले पांच दिनों तक इन दंगों की तपिश में पूरा इलाका झुलस गया; लोगों की जान और माल की हानि हुई। फिल्म उन लोगों के दर्द को गहराई से जानने और तलाशने का प्रयास करती है, जिन्होंने भयानक घटनाक्रम में अपने प्रियजनों को खो दिया।

#MIFFDialogues देखने के लिए:

https://www.youtube.com/watch?v=tpy5z8yh9Y8

इंडियन डॉक्यूमेंट्री प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईडीपीए)

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आईडीपीए के अध्यक्ष रजनी आचार्य के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य बातें

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  • जब आप कड़ी मेहनत करते हैं तो सपने सच होते हैं। हमारा मूल विचार है - ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना। हम नए मीडिया और विभिन्न नए प्लेटफार्मों के माध्यम से जनता तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। पूरे देश में महोत्सवों के लिए 6 महीने के भीतर हमारे पास लगभग 50 स्थान होंगे।
  • आईडीपीए के अध्यक्ष ने कहा, हम अपने एसोसिएशन को फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया से संबद्ध करने जा रहे हैं। निर्माताओं और अन्य तकनीशियनों के बीच संघर्ष को हल करना महत्वपूर्ण है।"

आईडीपीए के महासचिव संस्कार देसाई के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य बातें

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  • डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के साथ मुख्य समस्या यह है कि इसे कहाँ प्रदर्शित किया जाएगा और वित्त का प्रबंधन कैसे किया जाएगा। हम पूरे भारत में विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ गठजोड़ कर रहे हैं, ताकि वृत्तचित्रों (डॉक्यूमेंट्री) की नियमित स्क्रीनिंग सुनिश्चित की जा सके। हम अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए फिल्म सोसाइटियों के संपर्क में भी हैं।
  • "डिजिटल प्लेटफार्मों की लोकप्रियता के कारण, हम उन संघर्षरत थिएटरों के उत्थान की कोशिश कर रहे हैं, जो स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं के रूप में उनके साथ सहयोग करके पर्याप्त पैसा नहीं कमा पा रहे हैं।"
  • महामारी के बाद से, हम फिल्म समीक्षा और फिल्म निर्माण पर आधारित विभिन्न कार्यशालाओं का भी आयोजन कर रहे हैं। यह पहले ऑनलाइन था, लेकिन महामारी के कमजोर पड़ने पर हम चीजों को ऑफ़लाइन करने की कोशिश कर रहे हैं।

आईडीपीए के उपाध्यक्ष प्रो. सुरेश शर्मा के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य बातें  

  • "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे पास विशेष रूप से डॉक्यूमेंट्री को प्रदर्शित करने के लिए एक विशिष्ट चैनल है।"

 

आईडीपीए के कोषाध्यक्ष डॉ. रवींद्र कात्यायन के #MIFFDialogues संबोधन की मुख्य बातें

  • छात्र एक सुगम करियर बनाने में अधिक रुचि रखते हैं। इसलिए जब हम छात्रों के लिए कुछ निःशुल्क कार्यशालाएं आयोजित करते हैं, तो हमें 100 से अधिक पंजीकरण प्राप्त होते हैं। इन छात्रों में निश्चित रूप से डॉक्यूमेंट्री फिल्में देखने या बनाने के प्रति रुचि विकसित हुई है।

#MIFFDialogues देखने के लिए:

https://www.youtube.com/watch?v=7qmtu3cHYLY

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