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फीचर फिल्मों की तुलना में लघु फिल्में बनाना अधिक मुश्किल है : इंदिरा धर मुखर्जी


'सोच' फिल्म में एक नर्तकी के जीवन की खोजबीन की गई है : जया सील घोष

Posted On: 31 MAY 2022 7:17PM by PIB Delhi

लघु फिक्शन फिल्म 'सोच' की लेखिका और निर्देशिका इंदिरा धर मुखर्जी ने कहा कि फीचर फिल्म बनाने की तुलना में एक प्रभावशाली लघु फिल्म बनाना बहुत मुश्किल है। “लघु फिल्मों में हमें बहुत सीमित समय में ही संदेश देना होता है और इसके अलावा उसका निर्वाह भी करना होता है ताकि लोग फिल्म का आनंद उठा सकें। कहानी तो हर जगह लगभग एक जैसी ही होती है। उन्होंने कहा कि कहानी के आचरण के माध्यम से ही निर्देशक फिल्म में अंतर पैदा कर सकता है। इंदिरा धर मुखर्जी इस फिल्म की कलाकार और निर्माता जया सील घोष के साथ मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 17वें संस्करण के संबंध में आयोजित #MIFFDialogues में बात कर रही थीं।

  

प्रश्नों के उत्तर में इंदिरा धर मुखर्जी ने यह भी कहा कि हालांकि 'सोच' घरेलू हिंसा पर आधारित एक फिल्म है, लेकिन इसमें मानसिक स्वास्थ्य का एक कोण भी जोड़ा गया है। इंदिरा धर ने यह भी बताया कि किसी भी व्यक्ति को अपना जुनून नहीं छोड़ना चाहिए। अगर आप अपने जुनून का पीछा नहीं करते हैं, तो आप जीवन से खुश नहीं रहेंगे, बल्कि आप अपने जीवन से समझौता कर रहे होंगे।

 

सोच फिल्म की निर्माता और कलाकार जया सील घोष ने कहा कि फिल्म बनाना एक ही बात है चाहे वह छोटे प्रारूप में हो या बड़े प्रारूप में हो। सोच मेरे दिल के करीब है, क्योंकि फिल्म की नायिका एक डांसर है। डांसर होने के नाते मैं एक डांसर के जीवन की खोज करती हूं और बताती हूं कि वह किस प्रकार बड़ी दर्दनाक यात्रा से गुजरती है। जया सील घोष ने अपने पति विक्रम घोष को धन्यवाद दिया, जिन्होंने फिल्म की मांग के अनुसार अच्छा संगीत दिया है।

 

फिल्म का सार

'सोच' एक ऐसी फिल्म है, जिसमें भारत में लैंगिक असमानता पर प्रकाश डाला गया है। हमारे देश में घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार एक चिंता का विषय है और विवाहित महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं। इस फिल्म में मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान केंद्रित किय़ा गया है।

निदेशक के बारे में जानकारी

इंदिरा धर मुखर्जी एक भारतीय निर्देशक, लेखक, कलाकार और निर्माता हैं। अभी हाल में बनाई उनकी लघु फिल्म द ग्रीन विंडो को कई लघु फिल्म समारोहों में खूब प्रशंसा मिली है।

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