उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने लोगों के बीच नेत्र स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया


श्री नायडू ने ग्राम स्तर पर निवारक एवं उपचारात्मक नेत्र चिकित्‍सा को मजबूत करने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति ने निजी अस्पतालों को ग्रामीण क्षेत्रों में सैटेलाइट सेंटर खोलकर सरकारी प्रयासों में मदद करने की सलाह दी

बच्चों के बीच इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के अत्यधिक उपयोग को नियंत्रित किया जाना चाहिए, श्री नायडू ने चेताया

उपराष्ट्रपति ने अनंत बजाज रेटिना इंस्‍टीट्यूट का वर्चुअल तरीके से उद्घाटन किया

Posted On: 18 MAY 2022 6:51PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज नेत्र स्वास्थ्य के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए उन्‍होंने विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों एवं प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों को शामिल करते हुए स्थानीय भाषाओं में मीडिया अभियान चलाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'लोगों तक यह संदेश जाना चाहिए कि दृष्टि दोष को रोका जा सकता है और उसका इलाज भी किया जा सकता है।'

उपराष्ट्रपति ने आज राजभवन उधगमंडलम से अनंत बजाज रेटिना इंस्टीट्यूट का वर्चुअल तरीके से उद्घाटन किया। इस दौरान उन्‍होंने देश भर में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में निवारक एवं उपचारात्मक नेत्र चिकित्‍सा को मजबूत करने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। यह संस्थान रेटिना संबंधी रोगों के लिए उत्कृष्टता केंद्र है। यह एल. वी. प्रसाद नेत्र संस्थान (एलवीपीईआई) और बजाज समूह के बीच सहयोग का नतीजा है।

श्री नायडू कहा कि ग्रामीण भारत में निवारण योग्‍य अंधेपन को कम करने की व्यापक गुंजाइश है। उन्‍होंने गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को प्राथमिक नेत्र चिकित्‍सा सुविधाओं से लैस करने का आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने निजी अस्पतालों से भी आग्रह किया कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में अपने सैटेलाइट सेंटर खोलकर सरकारी प्रयासों में मदद करें। उन्होंने कहा, 'कॉरपोरेट संस्‍थानों को अपने सीएसआर फंड में इस प्रकार के कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए और गांवों में नेत्र चिकित्‍सा एवं जांच शिविर खोलने में अस्पतालों की मदद करनी चाहिए।' ग्रामीण परिवेश में सामुदायिक जागरूकता को महत्वपूर्ण बताते हुए श्री नायडू ने स्वास्थ्य संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सामुदायिक स्तर पर नियमित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया।

यह देखते हुए कि आधुनिक जीवन शैली और कामकाज संबंधी आवश्यकताओं ने हमारे औसत स्क्रीन समय में वृद्धि की है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के उपयोग को नियंत्रित करने की सख्त जरूरत है, विशेष रूप से बच्चों के बीच जिनके लिए प्रौद्योगिकी की लत का जोखिम कहीं अधिक है। उन्होंने आंखों को पर्याप्त आराम देने और स्वस्थ आहार लेने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

श्री नायडू ने विभिन्न अध्ययनों का उल्लेख करते हुए कहा कि विकासशील देशों में रेटिना संबंधी रोग दृष्टि दोष का एक उभरता हुआ कारण है। उन्होंने इस प्रशंसनीय पहल के लिए एलवीपीईआई और बजाज समूह के प्रबंधन के दृष्टिकोण एवं प्रयासों की प्रशंसा की। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि नव उद्घाटित अनंत बजाज रेटिना इंस्टीट्यूट न केवल लोगों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली रेटिना चिकित्‍सा उपलब्‍ध कराएगा बल्कि नेत्र रोग विशेषज्ञों और नेत्र चिकित्‍सा कर्मियों को भी प्रशिक्षित करेगा। इसके अलावा संस्‍थान अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देगा और सामुदायिक नेत्र स्वास्थ्य कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएगा।

इस कार्यक्रम में एल. वी. प्रसाद नेत्र संस्थान के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. जी. एन. राव, बजाज इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री शेखर बजाज, एलवीपीईआई के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत गर्ग, अनंत बजाज रेटिना इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. राजा नारायणन, बैडमिंटन खिलाड़ी एवं मुख्य राष्ट्रीय कोच श्री पुलेला गोपीचंद एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

भाषण का पूरा पाठ निम्नलिखित है

बहनों और भाइयों,

एल. वी. प्रसाद नेत्र संस्‍थान (एलवीपीईआई) और बजाज समूह के सहयोग से स्‍थापित अनंत बजाज रेटिना इंस्टीट्यूट- रेटिना रोगों के लिए उत्कृष्टता केंद्र का वर्चुअल तरीके से उद्घाटन करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। सभी जरूरतमंद लोगों को सस्‍ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण रेटिना चिकित्‍सा सेवाएं प्रदान करने के लिए दो प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच इस उपयोगी साझेदारी के लिए मेरी शुभकामनाएं।

बहनों और भाइयों,

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट से पता चलता है कि विश्व स्तर पर करीब 2.2 अरब लोगों को निकट या दूर दृष्टि दोष है। यह चौंकाने वाला आंकड़ा बताता है कि इनमें से कम से कम 1 अरब या लगभग आधे मामलों में दृष्टि हानि को रोका जा सकता था अथवा अब तक उसका समाधान नहीं किया गया है।

अध्ययनों से संकेत मिलता है कि इन समस्‍याओं के बीच विकासशील देशों में रेटिना संबंधी रोग दृष्टि हानि का एक उभरता हुआ कारण है। आप भलीभांति जानते हैं कि मानव नेत्र एक बहुत ही जटिल अंग है जिसमें रेटिना हमारे आसपास की दुनिया को देखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्षतिग्रस्त हो जाने पर वह गंभीर एवं अपरिवर्तनीय दृष्टि हानि का कारण बन सकता है। दृष्टि के लिए खतरा पैदा करने वाली रेटिना संबंधी प्रमुख समस्‍याओं में डायबिटिक रेटिनोपैथी, मैकुलर डिजनरेशन और रेटिनल डिटैचमेंट आदि शामिल हैं।

मुझे यह जानकर खुशी हुई कि एलवीपीईआई को भी रेटिना चिकित्‍सा में विशेषज्ञता प्राप्‍त है और क्लिनिक में रेटिना फैकल्टी द्वारा 1,00,000 से अधिक रोगियों को देखा जाता है और एलवीपीईआई में हर साल 20,000 से अधिक रेटिना सर्जरी की जाती है। मुझे विश्‍वास है कि बजाज समूह के साथ किया गया यह सहयोग भारत में रेटिना चिकित्‍सा को कहीं अधिक उन्नत बनाएगा और न केवल भारतीय बल्कि विदेशी लोगों के लिए भी अत्याधुनिक उपचार उपलब्ध कराएगा।

बहनों और भाइयों,

यह एक निर्विवाद तथ्य है कि निवारक एवं उपचारात्मक नेत्र और विशेष रूप से रेटिना स्वास्थ्य जैसे विशेष क्षेत्र के बारे में आम लोगों के बीच जागरूकता काफी कम है।

इसलिए समय की मांग है कि नेत्र स्वास्थ्य के महत्व के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाई जाए। इसके लियए विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों एवं प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों को शामिल करते हुए स्थानीय भाषाओं में मल्टीमीडिया अभियान चलाया जाना चाहिए। लोगों तक यह संदेश पहुंचना चाहिए कि दृष्टि दोष को रोका जा सकता है और उसका इलाज भी किया जा सकता है।

बहनों और भाइयों,

जागरूकता के साथ-साथ देश भर में निवारक एवं उपचारात्मक नेत्र चिकित्‍सा को मजबूत करने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति तैयार करने की तत्काल आवश्यकता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां नेत्र रोग विशेषज्ञों और ऑप्टोमेट्रिस्ट की पहुंच अपेक्षाकृत कम है, वहां रोके जा सकने वाले अंधेपन को कम करने की काफी गुंजाइश है।

हमें सभी गांवों में अपने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को प्राथमिक नेत्र चिकित्‍सा सुविधाओं से लैस और एकीकृत करना चाहिए। जितनी आसानी से बुनियादी नेत्र जांच की जा सकती है उसे देखते हुए हमारे सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा कार्यकर्ताओं) को नेत्र रोगों के लिए प्रारंभिक जांच में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और फिर रोगियों को माध्यमिक या तृतीयक देखभाल केंद्रों में भेजा जा सकता है।

सरकारी प्रयासों के समर्थन में निजी अस्पतालों को भी गांवों में या कम से कम मंडल मुख्यालयों में अपनी सुविधाओं के सैटेलाइट सेंटर खोलने चाहिए। कॉरपोरेट संस्‍थानों को अपने सीएसआर फंड में ऐसे कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए और गांवों में नेत्र चिकित्‍सा एवं जांच शिविर खोलने में अस्पतालों की मदद करनी चाहिए। ग्रामीण परिवेश में सामुदायिक जागरूकता महत्वपूर्ण है और इसलिए समय-समय पर स्वास्थ्य संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सामुदायिक स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

बहनों और भाइयों,

आधुनिक जीवन शैली और कामकाज संबंधी जरूरतों ने लोगों के लिए औसत स्क्रीन समय को बढ़ा दिया है। लेकिन स्क्रीन पर ज्यादा देर तक देखने से हमारी आंखों पर दबाव पड़ सकता है और कई प्रकार के नेत्र रोग हो सकते हैं। हमें इन गैजेट्स के उपयोग को नियंत्रित करना चाहिए विशेष रूप से बच्चों के लिए जो प्रौद्योगिकी की लत का कहीं अधिक जोखिम उठाते हैं।

इसके अलावा हमें अपनी आंखों को पर्याप्त आराम देना चाहिए और स्वस्थ आहार लेना चाहिए। यह भी सुझाव दिया जाता है कि लोग अपने नेत्र स्वास्थ्य को नियंत्रण में रखने के लिए नियमित तौर पर जांच करवाएं।

बहनों और भाइयों,

एक बार फिर, मुझे आज अनंत बजाज रेटिना इंस्टीट्यूट का वर्चुअल तरीके से उद्घाटन करते हुए प्रसन्नता हो रही है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि संस्थान न केवल उच्च गुणवत्ता वाली रेटिना चिकित्‍सा तक लोगों की पहुंच बढ़ाएगा बल्कि नेत्र रोग विशेषज्ञों एवं नेत्र चिकित्‍सा कर्मियों को भी प्रशिक्षित करेगा। साथ ही संस्‍थान अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देगा और सामुदायिक नेत्र स्वास्थ्य कार्यक्रमों का विस्तार करेगा और रेटिना के रोगों की बेहतर चिकित्‍सा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा। यह एक सराहनीय पहल है।

मैं इस महत्वपूर्ण साझेदारी के लिए एलवीपीईआई और बजाज समूह के प्रबंधन एवं कर्मचारियों के दृष्टिकोण और प्रयासों की सराहना करता हूं। इस संस्थान की सफलता और नेत्र चिकित्‍सा एवं विशेष रूप से भारत में रेटिना चिकित्‍सा में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए मेरी शुभकामनाएं।

धन्यवाद। नमस्कार।

जय हिन्द!

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