रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
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केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने प्लास्टइंडिया 2023 का शुभारंभ किया


भारतीय रासायनिक उद्योग विश्व स्तर पर प्रदर्शन कर रहा है और "मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड" दृष्टिकोण के साथ देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करता है: डॉ मनसुख मांडविया

"सरकार न केवल गरीबों के साथ है,  बल्कि उद्योगों के अनुकूल भी है क्योंकि उद्योगपति संपत्ति निर्माता हैं और राष्ट्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं": डॉ मांडविया

जनसांख्यिकीय लाभ, निर्यात मांग में वृद्धि और सरकारी पहल को लागू करना भारतीय रसायन और पेट्रोरसायन उद्योग के विकास को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक हैं: श्री भगवंत खुबा

Posted On: 04 MAY 2022 8:19PM by PIB Delhi

केंद्रीय रसायन और उर्वरक और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ मनसुख मांडविया ने आज केंद्रीय रसायन और उर्वरक और एमएनआरई राज्य मंत्री, श्री भगवंत खुबा की उपस्थिति में 11 वीं अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक प्रदर्शनी-प्लास्टइंडिया 2023 और सम्मेलन का शुभारंभ किया। बैठक में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और उद्योग के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, डॉ मांडविया ने कहा कि "ये प्रदर्शनियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे प्लास्टिक उद्योग के अंतरराष्ट्रीय कारोबारियों को देश की ओर आकर्षित करेंगी और विचारों और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान करने एवं सीखने के लिए एक मंच प्रदान करेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार न केवल गरीबों के साथ है बल्कि उद्योगों के अनुकूल भी है क्योंकि  औद्योगिक विकास संपत्ति सृजन को बढ़ावा देता है और रोजगार उत्पन्न करने और राष्ट्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

 

 

 

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि "भारत का पेट्रोकेमिकल उद्योग मांग में उच्च वृद्धि के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक रहा है। भारत का अगले दशकों में पेट्रोकेमिकल्स के वैश्विक स्तर पर वृद्धिशील विकास में 10 प्रतिशत से अधिक योगदान देने का अनुमान है"। हालांकि, दुनिया भर में  पेट्रोकेमिकल विकास के बीच, उतार-चढ़ाव, आयात पर निर्भरता और मांग में आकर्षक वृद्धि की वजह से भारत को घरेलू और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोकेमिकल परिसंपत्तियों की आवश्यकता है

 

केंद्रीय मंत्री ने आगे जोर देकर कहा कि हालांकि देश की आयात पर निर्भरता कम हो गई है, लेकिन उद्योगपतियों के लिए ऐसा माहौल बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिससे वो विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा में सक्षम हो सकें. उन्होंने प्लास्टिक उद्योग के लिए लंबी अवधि के लिए नीति समर्थन, निवेश के साथ-साथ निर्यात प्रोत्साहन के लिए एक योजना बनाने की आवश्यकता का सुझाव दिया।

 

 

देश में रसायन क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज भारतीय रासायनिक उद्योग विश्व स्तर पर प्रदर्शन कर रहा है और "मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड" दृष्टिकोण के साथ देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। भारतीय रसायनों के निर्यात में वर्ष 2013-14 की तुलना में 2021-22 में 106 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। रासायनिक क्षेत्र में यह निर्यात वृद्धि हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल विकास के नजरिए से, प्राथमिक रसायन और प्लास्टिक उत्पादन से लेकर अपशिष्ट प्रबंधन तक की पूरी मूल्य श्रृंखला में एक बहुविषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। ऐसी आवश्यक प्रक्रिया के अलावा जिनका कोई विकल्प नहीं है , एक बार ही इस्तेमाल हो सकने वाले प्लास्टिक पर निर्भरता खत्म करने, अपशिष्ट प्रबंधन और रीसाइक्लिंग के कई लाभों के बारे में उपभोक्ताओं की जागरूकता बढ़ाना प्लास्टिक के कचरे की समस्या का समाधान हैं और लंबे समय तक कायम रहने वाला भविष्य पाने में मददगार हैं।  उन्होंने कहा कि पेट्रोकेमिकल उद्योग को उच्च कार्बन फुटप्रिंट और समुद्र के प्रदूषण को कम करने के लिए एक रणनीति विकसित करनी चाहिए और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिससे हमारे माननीय प्रधान मंत्री के द्वारा दिए पंचामृत के दृष्टिकोण को साकार किया जा सके ।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री भगवंत खुबा ने कहा कि जनसांख्यिकीय लाभांश, बढ़ती निर्यात मांग और सरकारी पहलों को लागू करना भारतीय रसायन और पेट्रोकेमिकल उद्योग के लिए विकास को आगे ले जाने वाले प्रमुख कारक हैं। पेट्रोकेमिकल इंटरमीडिएट्स, डाउनस्ट्रीम पेट्रोकेमिकल्स, पैकेजिंग और स्पेशलिटी केमिकल्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में आकर्षक व्यावसायिक अवसर मौजूद हैं। भारत सरकार सभी उद्योगों के लिए साझा बुनियादी ढांचा विकसित करके प्लास्टिक उद्योग का समर्थन कर रही है। उन्होंने इस क्षेत्र के विकास में सरकार की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में 10 प्लास्टिक पार्कों के साथ-साथ प्लास्टिक निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना को रेखांकित किया।

प्लास्टइंडिया 2023 के बारे में:

प्लास्टइंडिया फाउंडेशन के तहत प्लास्टइंडिया प्रदर्शनियों की एक श्रृंखला से संबंधित है, जो आईटीपीओ प्रगति मैदान, नई दिल्ली में 1-5 फरवरी, 2023 से 11वीं अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक प्रदर्शनी, सम्मेलन और सभा का आयोजिन करेगा। प्रदर्शनी रोजगार सृजन के अवसर प्रदान करेगी, भारतीय प्लास्टिक उद्योग के विकास को सुगम बनाएगी और भारत को वैश्विक जरूरतों के लिए प्लास्टिक की आपूर्ति का केंद्र बनाएगी।

प्लास्टइंडिया 2023 मानव जीवन के सभी क्षेत्रों में उपयोग के लिए प्लास्टिक, कच्चे माल, मशीनरी और उत्पादों से संबंधित तैयार की गई वस्तुओं की आपूर्ति के लिए भारत को वैश्विक केंद्र के रूप में सामने रखेगा । जैसा कि व्यवसाय का वैश्वीकरण हो रहा है, सरकार उद्योग की जरूरतों को जानती है, और अब कुछ साल पहले निभाई गई नियामक भूमिका की जगह अब स्थितियों को आसान बनाने वाले की भूमिका निभा रही है और उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए मदद कर रही है।

 

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