इस्‍पात मंत्रालय
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केंद्रीय इस्पात मंत्री ने अंगुल स्थित जिंदल स्टील और पावर की 14 लाख टन प्रति वर्ष क्षमता की टीएमटी रिबार मिल राष्ट्र को समर्पित की


यह विश्व की सबसे बड़ी और अत्याधुनिक रिबार मिलों में से एक है

मंत्री ने इस्पात निर्माण के लिए अंगुल में स्थानीय रूप से उपलब्ध उच्च राख की मात्रा वाले कोयले का उपयोग करने वाले जेएसपी के विश्व के पहले कोयला गैसीकरण संयंत्र का भी दौरा किया  

Posted On: 28 APR 2022 9:30PM by PIB Delhi

केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने आज ओडिशा के अंगुल स्थित जिंदल स्टील और पावर (जेएसपी) के 6 मिलियन टन प्रतिवर्ष (एमटीपीए) क्षमता वाले एकीकृत इस्पात परिसर में टीएमटी रिबार मिल को समर्पित किया। 14 लाख टन प्रति वर्ष क्षमता की टीएमटी रिबार मिल विश्व की सबसे बड़ी और अत्याधुनिक रिबार मिल में से एक है। इस अवसर पर जेएसपी के अध्यक्ष श्री नवीन जिंदल, प्रबंध निदेशक श्री वी.आर. शर्मा और सीईओ इस्पात श्री डी.के. सरावगी ने संयंत्र का दौरा करते हुए केंद्रीय मंत्री का आवाभगत किया। इस कार्यक्रम के दौरान इस्पात मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव श्रीमती रसिका चौबे भी उपस्थित थीं।

 

इस अवसर पर श्री सिंह ने कहा, “भारत, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए विश्व का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बन गया है। इस्पात का सर्वाधिक उत्पादन ओडिशा में हुआ है। मैं ओडिशा में एक खूबसूरत विशाल इस्पात संयंत्र के निर्माण के लिए जेएसपी की सराहना करता हूं।” इसके अलावा उन्होंने इस्पात संयंत्र की क्षमता को 25.2 एमटीपीए तक बढ़ाने की जेएसपी की योजना की भी सराहना की। मंत्री ने आगे कहा, “जेएसपी 2030 तक भारत के लगभग 10 फीसदी इस्पात का उत्पादन ओडिशा के अंगुल से करेगी।" श्री सिंह ने कोविड-19 के दौरान अपनी सीएसआर पहल के तहत देश को तरल मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए जेएसपी के प्रयास की विशेष रूप से सराहना की।

 

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केंद्रीय मंत्री ने इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम के साथ इस्पात के निर्माण में अपनी तरह के पहले कोयला गैसीकरण संयंत्र (सीजीपी) का भी दौरा किया। विश्व के पहले सिनगैस आधारित डीआरआई संयंत्र को सिंथेसिस गैस की आपूर्ति करने के लिए सीजीपी स्थानीय रूप से उपलब्ध उच्च राख वाले गैर-कोकिंग कोयले का उपयोग करता है। यह प्रौद्योगिकी देश के प्रचुर मात्रा में कोयला भंडार का उपयोग कर सकती है और भारत को अपनी कोयले की जरूरत को पूरा करने व आयातित कोकिंग कोयले पर निर्भरता को कम करने में आत्मनिर्भर बना सकती है। इस्पात मंत्री और उनकी टीम ने भारत की सबसे बड़ी वात्या भट्ठी (ब्लास्ट फर्नेस), सबसे चौड़ी प्लेट बनाने वाली प्लेट मिल और बृहद् इस्पात परिसर की कई अन्य इकाइयों का दौरा किया।

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(Release ID: 1823238)
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