भारी उद्योग मंत्रालय

भारी उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक बसों के लिए फिर से तैयार फेम-II योजना के तहत ग्रैंड चैलेंज टेंडर प्रक्रिया की मूल्य बोलियां खोली


टेंडर में इलेक्ट्रिक बसों की अब तक का सबसे बड़ी खरीदारी होनी है, पांच प्रमुख शहरों में 5450 बसें खरीदी जाएंगी

टाटा मोटर्स सभी पांच श्रेणियों में सबसे कम लागत वाली बोलीदाता बनकर उभरी है, जिसकी ओर से दी की गई कीमतें तय मूल्य से 15 से 48 प्रतिशत तक कम हैं

Posted On: 26 APR 2022 10:05PM by PIB Delhi

भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) द्वारा आज इलेक्ट्रिक बसों के लिए फिर से तैयार फेम-II योजना के तहत ग्रैंड चैलेंज टेंडर प्रक्रिया की मूल्य बोलियां खोली गईं। इस टेंडर के तहत इलेक्ट्रिक बसों की अब तक का सबसे बड़ी खरीदारी होनी है। इस टेंडर प्रक्रिया के तहत पांच प्रमुख शहरों के लिए 5450 इलेक्ट्रिक बसों की खरीदारी की जाएगी। भाग लेने वाले शहरों में कोलकाता, दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद और सूरत शामिल हैं।

टेंडर का प्रबंधन कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड द्वारा किया गया है, जिसके लिए फेम योजना को फिर से तैयार किया गया है। इस प्रक्रिया के लिए भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा 11/06/2021 को राजपत्र अधिसूचना जारी की गई थी। यह टेंडर प्रक्रिया व्यापार मॉडल के संदर्भ में आगे बढ़ने वाले सार्वजनिक परिवहन के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करती है। यह राज्य एजेंसियों को एक सेवा के रूप में मोबिलिटी खरीदने की अनुमति देता है-जहां ऑपरेटरों को तय समय के लिए रुपये प्रति किलोमीटर के रूप में एक निश्चित मूल्य का भुगतान किया जाता है। यह सार्वजनिक-निजी मॉडल शहरों के लिए इलेक्ट्रिक बस सेवाओं को शुरू करने या आगे बढ़ाने के तरीके के रूप में तेजी से उभरा है। मोबिलिटी की बढ़ती मांग के साथ, यह मॉडल बस सेक्टर की निवेश जरूरतों को पूरा करने और बस सेवाओं को बढ़ाने के लिए एक समाधान के रूप में काम करने की क्षमता रखता है।

इस टेंडर में जो मूल्य कंपनियों की ओर से दी गई उसमें टाटा मोटर्स की ओर से सभी पांच श्रेणियों की इलेक्ट्रिक बसों के लिए सबसे कम मूल्य निर्धारण की गई थी। इस तरह टाटा मोटर्स सबसे कम लागत वाली बोलीदाता के रूप में सामने आई है।

शहरों द्वारा इलेक्ट्रिक बसों के लिए अनुमानित लागत मूल्य की तुलना में टाटा मोटर्स ने 15% से 48% कम मूल्य कोट की थी। इस कीमत पर, इलेक्ट्रिक बसें पूरे देश में बेहद सस्ती हो जाती हैं।

भारत में इलेक्ट्रिक परिवहन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय सक्रिय रूप से लगा हुआ है।

जून 2021 में, फेम-II योजना को फिर से तैयार किया गया और इसके वितरण तंत्र को राज्य परिवहन उपक्रमों की जरूरतों के अनुसार बेहतर ढंग से बदल दिया गया था। विशेष रूप से इलेक्ट्रिक बसों को लागत वहन करने की राज्यों के वित्तीय क्षमता के आधार पर बदला गया था।

भारी उद्योग मंत्रालय देश में इलेक्ट्रिक परिवहन की सुविधा बढ़ाने के लिए अन्य पहलुओं में भी सक्रिय रूप से लगा हुआ है। इसके तहत ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए पीएलआई योजना लाई गई है जिसके तहत उन्नत बैटरी भंडारण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम और चार्जिंग स्टेशन की बुनियादी ढांचे के प्रसार के लिए फेम योजना है। इन योजनाओं का कुल पूंजी परिव्यय लगभग 54,000 करोड़ रुपये है।

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