रक्षा मंत्रालय
कमांडर सम्मेलन- 2022/01 के समापन पर प्रेस विज्ञप्ति
Posted On:
28 APR 2022 6:16PM by PIB Delhi
माननीय रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने दिनांक 28 अप्रैल, 2022 को नौसेना कमांडरों के सम्मेलन के समापन दिवस पर भारतीय नौसेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित किया। इस दौरान रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट, रक्षा सचिव और अन्य वरिष्ठ रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित थे।
यह बताते हुए कि उन्होंने पिछले तीन वर्षों में भारतीय नौसेना के अधिकारियों और नाविकों के साथ बड़े पैमाने पर बातचीत की है, रक्षामंत्री ने समुद्री योद्धाओं की उनके पेशेवराना रुख तथा समर्पण के लिए सराहना की, जिसके बूते वे राष्ट्र के समुद्री हितों की रक्षा करने का कर्तव्य निभाते हैं और सैन्य अभियान संबंधी गति बनाए रखते हैं। उन्होंने 39 मित्र देशों की भागीदारी के साथ आयोजित मिलन युद्धाभ्यास के सफल संचालन के लिए नौसेना को बधाई भी दी ।
रक्षामंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में एक दृश्यमान, विश्वसनीय तथा उत्तरदायी उपस्थिति बनाए रखने और खुद को 'पसंदीदा सुरक्षा भागीदार' के रूप में स्थापित करने के लिए नौसेना की सराहना की और समुद्र में सेशेल्स के नागरिकों के सफल बचाव अभियान, इस साल फरवरी में मादक पदार्थ विरोधी अभियान एवं तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में नौसेना की बाढ़ राहत टीमों की तैनाती के लिए नौसेना को बधाई दी ।
दुनिया में मौजूदा सुरक्षा वातावरण पर बोलते हुए, रक्षामंत्री ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का उल्लेख किया और कहा कि इसने एक बार फिर इस बात पर प्रकाश डाला है कि किसी पर निर्भर रहे बगैर आत्मनिर्भर होना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। उन्होंने सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल में सबसे आगे रहने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की और कहा कि नौसेना को आगे बढ़ते रहना चाहिए और भारत के समुद्री व्यापार, सुरक्षा और राष्ट्रीय समृद्धि का एक आवश्यक गारंटर बना रहना चाहिए।
"यह जानकर खुशी हो रही है कि सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के अनुरूप, नौसेना ने अपने पूंजीगत बजट का 64% से अधिक हमारी अपनी अर्थव्यवस्था में फिर से निवेश किया है। मुझे बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में आधुनिकीकरण बजट का 70 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी खरीद के लिए बढ़ना सुनिश्चित है" - रक्षामंत्री
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 भारतीय शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि अब तक प्राप्त गति का फायदा उठाना महत्वपूर्ण है और उन्होंने वरिष्ठ नेतृत्व से भविष्य पर अपना ध्यान बनाए रखने का आग्रह किया, यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि देश की समुद्री शक्ति राष्ट्र के आर्थिक हितों के साथ मिलकर बढ़े।
पहले स्वदेशी विमान वाहक की प्रगति और तीन समुद्री परीक्षणों के सफल समापन के बारे में बोलते हुए, रक्षामंत्री ने कहा कि विक्रांत की डिलीवरी एक और मील का पत्थर घटना साबित होगी और उन्होंने कहा कि हमारी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में जहाज की आपूर्ति कर कमीशन करने के लिए सभी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, जो कि 'आजादी का अमृत महोत्सव' के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी ।
रक्षामंत्री ने पिछले कमांडरों के सम्मेलन के बाद से प्रमुख नौसेना युनिट्स यानी- पी15बी परियोजना के पहले जहाज आईएनएस विशाखापत्तनम, चौथी पी75 पनडुब्बी आईएनएस वेला तथा आईएनएस हंसा, गोवा में नौसेना की दूसरी पी8आई स्क्वाड्रन आईएनएएस 316- की कमीशनिंग पर नौसेना की सराहना की।
उन्होंने सैन्य कूटनीति की प्रगति के लिए भारतीय नौसेना की अनेक पहल की सराहना की, जिसमें मोजाम्बिक को दो फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट का उपहार देना, मित्र देशों को जहाजों की मरम्मत के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना, मित्र राष्ट्रों के विशेष आर्थिक क्षेत्र की संयुक्त निगरानी एवं पिछले छह महीनों के दौरान द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों का संचालन शामिल है ।
यह विश्वास व्यक्त करते हुए कि पिछले तीन दिनों में सम्मेलन और विचार-विमर्श ने कमांडरों को चल रही गतिविधियों पर आत्मनिरीक्षण करने का अवसर प्रदान किया होगा; प्रगति का जायजा लेने का अवसर प्रदान किया होगा, नए विचारों पर बहस करने का अवसर दिया होगा तथा भविष्य में लक्ष्यों की सर्वोत्तम तरीके से प्राप्ति का अवसर दिया होगा, माननीय रक्षामंत्री ने भारतीय नौसेना के सभी प्रयासों में सफलता की कामना की।
सम्मेलन ने नौसेना कमांडरों को सैन्य सामरिक स्तर पर महत्वपूर्ण समुद्री मामलों पर आत्मनिरीक्षण करने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने उन प्रमुख मुद्दों पर वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों के साथ भी अपने विचार साझा किए जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष खड़े हैं। थल सेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख ने भी नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत की तथा मौजूदा सुरक्षा वातावरण में सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल और तत्परता को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
नौसेना कमांडरों ने सम्मेलन के दौरान सामरिक मुद्दों पर 'थिंक टैंक्स' के साथ भी बातचीत की।
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