इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय

भारत ने अगली पीढ़ी के माइक्रोप्रोसेसर के लिए डिजिटल इंडिया आरआईएससी-5 (डीआईआर-5) कार्यक्रम लॉन्च किया, जिससे दिसंबर 2023 तक कमर्शियल सिलिकॉन और बड़े पैमाने पर उत्पादन समझौते हासिल किया जा सके


डीआईआर-5 भारत के सेमीकंडक्टर स्टार्टअप्स के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा, यह भारत को सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मिशन का एक हिस्सा है: राजीव चंद्रशेखर

डीआईआर-5 में स्टार्टअप्स, शिक्षा क्षेत्र और दुनिया भर के दिग्गजों के बीच साझेदारी देखने को मिलेगी और विश्व भर के लिए आरआईएससी-5 टैलेंट हब साबित होगा: राजीव चंद्रशेखर

एमईआईटीवाई के माध्यम से भारत दुनिया के आरआईएससी-5 के अग्रणी सदस्यों के साथ सहयोग करने, योगदान करने और भारत की विशेषज्ञता को सामने रखने के लिए आरआईएससी-5 इंटरनेशनल की प्रीमियर बोर्ड सदस्यता लेने के लिए तैयार है

Posted On: 27 APR 2022 6:09PM by PIB Delhi

आत्मनिर्भरता की महत्वाकांक्षा को साकार करने और "आत्मनिर्भर भारत" की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, श्री राजीव चंद्रशेखर ने आज डिजिटल इंडिया आरआईएससी-5 माइक्रोप्रोसेसर (डीआईआर-5) कार्यक्रम की घोषणा की, जिसका उद्देश्य आने वाले समय के दौरान भारत में, दुनिया भर के लिये माइक्रोप्रोसेसर की निर्माण क्षमता हासिल करना और दिसंबर '2023 तक कमर्शियल सिलिकॉन और उसके बड़े पैमाने पर उत्पादन के समझौतों को हासिल करना है।

 

कमर्शियल सिलिकॉन शक्ति एवं वेगा और उनके बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिये दिसंबर  2023 का आक्रामक लक्ष्य रखते हुए श्री राजीव चंद्रशेखर ने जानकारी दी कि डीआईआर-5 में स्टार्टअप्स, शैक्षणिक संस्थान और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच साझेदारी देखने को मिलेगी, जिससे भारत न केवल आरआईएससी-5 टैलेंट हब बन सकेगा, साथ ही दुनिया भर में सर्वर, मोबाइल डिवाइस, ऑटोमोटिव, आईओटी और माइक्रोकंट्रोलर के लिए रिस्क-5 एसओसी (सिस्टम ऑन चिप्स) का आपूर्तिकर्ता भी बनेगा।    

इंटेल में एक्स-86 प्रोसेसर चिप डिजाइनर के रूप में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए, श्री राजीव चंद्रशेखर ने उल्लेख किया कि कई नए प्रोसेसर आर्किटेक्चर नवाचारों के कई लहरों की वजह से हलचल भरे शुरुआती दौर से गुजरे हैं। हालांकि, एक जगह पर आकर, वे सभी प्रभाव रखने वाली डिजाइन पर आकर थम गए। एआरएम और एक्स-86 दो ऐसे इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर हैं- जिनमें से एक लाइसेंस आधारित है और दूसरा बिक्री आधारित है, और जहां पिछले दशकों में उद्योग जगत आकर समाहित होता था। हालांकि, पिछले दशक में आरआईएससी-5 उनके लिए एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरा है, जिसमें लाइसेंसिंग का कोई  भार नहीं है, जो विभिन्न डिजाइन उद्देश्यों के लिए विभिन्न जटिलता स्तरों पर सेमीकंडक्टर उद्योग में एक और सभी के द्वारा इसे अपनाए जाने में सक्षम बनाता है।

यथास्थिति को चुनौती देते हुए, आरआईएससी-5 इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर (आईएसए) अपनी स्वतंत्र और मुक्त प्रकृति के कारण न केवल एक बहुत बड़ा परिवर्तन कर रहा है और प्रोसेसर नवाचार में अभूतपूर्व स्तर दर्ज कर रहा है, बल्कि मूर के नियम को अपनी सीमाओं से परे भी पहुंचा रहा है। आज, देश में शैक्षणिक संस्थानों, वैज्ञानिकों और स्टार्टअप्स में चिप डिजाइनरों का एक संपन्न इकोसिस्टम है, जो आरआईएससी-5 के बढ़ते बाजार में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है। जबकि भारत ने निश्चित रूप से प्रोसेसर डिजाइन क्षेत्र में कई शुरुआती कदम उठाए हैं, अब समय आरआईएससी-5 वैश्विक समुदाय में भारत की प्रगति की बात रखने का और दुनिया के लिए डिजिटल इंडिया आरआईएससी-5 प्रोसेसर योजना का अनावरण करने का है।

भारत ने आज इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के साथ अपने महत्वाकांक्षी रोडमैप की घोषणा की, जो आरआईएससी-5 इंटरनेशनल में प्रीमियर बोर्ड के सदस्य के रूप में शामिल होने की योजना बना रहा है ताकि वैश्विक आरआईएससी-5 के अन्य अग्रणी सदस्यों के साथ भारत की विशेषज्ञता का सहयोग, योगदान और समर्थन किया जा सके।

श्री राजीव चंद्रशेखर ने डीआईआर-5 कार्यक्रम की घोषणा के साथ प्रो. वी. कामकोटि, निदेशक, आईआईटी मद्रास को मुख्य आर्किटेक्ट और श्री एस कृष्णकुमार राव को कार्यक्रम प्रबंधक के रूप में नियुक्त करते हुए न केवल आईआईटी मद्रास द्वारा शक्ति प्रोसेसर और सी-डैक द्वारा वेगा प्रोसेसर के साथ डीआईआर-5 कार्यक्रम के डिजाइन और कार्यान्वयन की रूपरेखा का अनावरण किया साथ ही देश में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिये भारत के सेमीकंडक्टर डिजाइन और नवाचार के लिए रणनीतिक रोडमैप का भी अनावरण किया।

डॉ राजेंद्र कुमार, अतिरिक्त सचिव और श्री अरविंद कुमार, समूह समन्वयक (इलेक्ट्रॉनिक्स में आर एंड डी), एमईआईटीवाई ने आरआईएससी-5 आईएसए के ओपन-सोर्स में उपलब्ध होने के कारण  इसकी संभावनाओं को सामने रखा और उल्लेख किया कि आरआईएससी-5 कंप्यूटिंग डिजाइन और नवाचारों के अगले दशक की दिशा तय करेगा और अगली पीढ़ी के प्रोसेसर में इसे अपनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

श्री बॉब ब्रेनन, वीपी, इंटेल फाउंड्री सर्विसेज ने शुरुआती चरण के स्टार्टअप और फाउंड्री इकोसिस्टम में बदलाव लाने वाली प्रौद्योगिकियों का निर्माण करने वाली स्थापित कंपनियों की मदद के लिये स्थापित आईएफएस (इंटेल फाउंड्री सर्विसेज) इनोवेशन फंड के बारे में बताते हुए भारतीय आरआईएससी-5 अभियान की सराहना की।

प्रो. वी. कामकोटि ने इंटेल फाउंड्री में गढ़े हुए 22 एनएम शक्ति चिप प्राप्त करने के लिए इंटेल की मदद पर जानकारी देते हुए उल्लेख किया कि डीआईआर-5 कार्यक्रम देश में डिजाइन नवाचार के लिये उत्प्रेरक का काम करेगा और आरआईएससी-5 डोमेन जैसे- माइक्रो आर्किटेक्ट डिजाइन, वेरिफिकेशन और सुरक्षा से जुड़े पहलू में काम करने वाले कई घरेलू स्टार्टअप को प्रोत्साहित करेगा।

श्री नवीद शेरवानी, अध्यक्ष, रैपिडसिलिकॉन का विचार था कि भारत के आरआईएससी-5 इंटरनेशनल में शामिल होने से वैश्विक ओपन सोर्स हार्डवेयर क्रांति को एक नई गति मिलेगी।

सुश्री कैलिस्टा रेडमंड, सीईओ, आरआईएससी-5 इंटरनेशनल ने आईआईटी मद्रास द्वारा आरआईएससी-5 समुदाय में गहन तकनीकी सहयोग पर प्रकाश डाला, जो पांच सम्मानित आरआईएससी-5 विकास भागीदारों में से एक है। उन्होंने ओपन-सोर्स आरआईएससी-5 कोर सत्यापन उपकरण जारी करने के लिए आरआईएससी-वी प्रोसेसर और इनकोर सेमीकंडक्टर्स की एक श्रृंखला तैयार करने के लिए सी-डैक को भी बधाई दी।

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