कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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दक्षिणी क्षेत्र फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान, अनंतपुर (एपी)


कृषि में फसल प्रबंधन की निरंतरता और दक्षता बढ़ाने के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी में अपार क्षमता है

Posted On: 08 APR 2022 5:31PM by PIB Delhi

 कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अपर सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने 8 अप्रैल 2022 को दक्षिणी क्षेत्र फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (एसआरएफएमटीएंडटीआई) अनंतपुर का दौरा किया और किसानों के साथ ड्रोन प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया।

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डॉ. लिखी ने बताया कि ड्रोन तकनीक की कृषि में बेमिसाल क्षमता है। इसमें फसल प्रबंधन की निरंतरता और दक्षता बढ़ाने के अलावा लागत कम करने तथा खतरनाक कामकाजी परिस्थितियों में मानव जोखिम को कम करने की जबरदस्त क्षमता है। केंद्रीय बजट 2022-23 में, सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

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कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकियों के अनूठे फायदों को देखते हुए, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, (कृषि  एवं किसान कल्याण विभाग) ने कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव में ड्रोन के इस्तेमाल के लिए जरूरी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है, जो ड्रोन के प्रभावी और सुरक्षित संचालन लिए जरूरी जानकारी प्रदान करती है।

कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए और इस क्षेत्र के किसानों तथा अन्य हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को सस्ता बनाने के लिए, कृषि मशीनीकरण पर सब-मिशन (एसएमएएम) के तहत आकस्मिक व्यय के साथ-साथ ड्रोन की 100 प्रतिशत लागत की वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। 

ये सहायता किसान के खेतों पर अपने प्रदर्शन के लिए मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएवी) के संस्थानों को दी जा रही है। इसके अलावा किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को किसानों के खेतों पर ड्रोन के प्रदर्शन के लिए ड्रोन की खरीद के लिए 75 प्रतिशत की दर से अनुदान प्रदान किया जाता है। ड्रोन इस्तेमाल के माध्यम से कृषि सेवाएं प्रदान करने के लिए, कॉर्पोरेटिव सोसाइटी ऑफ फार्मर्स, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और ग्रामीण उद्यमियों के तहत मौजूदा तथा नए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) द्वारा ड्रोन खरीद के लिए और उससे जुड़े सामान की मूल लागत का 40 प्रतिशत या 4 लाख रुपये, जो भी कम हो, की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। कृषि से स्नातक करके सीएचसी की स्थापना करने वाले ड्रोन की लागत के 50 प्रतिशत की दर से (अधिकतम 5 लाख रुपये तक की) वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं।

सीएचसी/ हाई-टेक हब के लिए कृषि ड्रोन की रियायती खरीद उनके लिए प्रौद्योगिकी को पहुंच में ला देगी जिसके परिणामस्वरूप उन्हें व्यापक रूप से अपनाया जाएगा। इससे भारत में आम आदमी के लिए ड्रोन अधिक सुलभ हो जाएंगे और घरेलू ड्रोन उत्पादन को भी काफी बढ़ावा मिलेगा।

डॉ. लिखी ने विभिन्न उन्नत कृषि मशीनों का प्रदर्शन भी देखा और किसानों के साथ बातचीत करते हुए, उन्होंने कृषि मशीनीकरण पर सब-मिशन (एसएमएएम) के तहत विभाग द्वारा किए गए कृषि मशीनीकरण कार्यों, जिन्हें राज्य सरकारों के माध्यम से लागू किया जा रहा है, के बारे में जानकारी दी। छोटे और सीमांत किसानों तक तथा उन क्षेत्रों में जहां कृषि शक्ति की उपलब्धता कम है, कृषि मशीनीकरण की पहुंच बढ़ाने के प्रमुख उद्देश्यों के साथ 'कस्टम हायरिंग सेंटर' को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही छोटे जोत और व्यक्तिगत स्वामित्व के चलते उच्च लागत के कारण उत्पन्न होने वाली प्रतिकूल अर्थव्यवस्थाओं के असर को कम करने के लिए भी इन सेंटर्स को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

किसानों के लिए मशीनों और उपकरणों को किफायती बनाने के मकसद से कृषि मशीनों की खरीद के लिए एसएमएएम के तहत किसानों की श्रेणियों के आधार पर लागत के 40 से 50 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। ग्रामीण युवाओं और किसान को एक उद्यमी के रूप में, किसानों की सहकारी समितियों, पंजीकृत किसान समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और पंचायतों को कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) और उच्च मूल्य वाली कृषि मशीनों के लिए हाई-टेक हब की स्थापना के लिए परियोजना लागत की 40 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 10 लाख रुपये तक की लागत वाली परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत की 80 प्रतिशत वित्तीय सहायता सहकारी समितियों, पंजीकृत किसान समितियों, एफपीओ और पंचायतों को ग्रामीण स्तर के कृषि मशीनरी बैंकों (एफएमबी) की स्थापना के लिए दी जाती है। एफएमबी की स्थापना के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वित्तीय सहायता की दर 10 लाख रुपये तक की परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत का 95 प्रतिशत है।

अपने दौरे के दौरान, श्री लिखी ने संस्थान के निदेशक और कर्मचारियों के साथ बातचीत की और पावर टिलर परीक्षण सुविधाओं सहित विभिन्न प्रशिक्षण तथा परीक्षण प्रयोगशालाओं का दौरा किया। अपनी इन सुविधाओं के लिए संस्थान को देश में परीक्षण प्राधिकरण के रूप में जाना जाता है। उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित बुनियादी ढांचे और विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की।

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