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महाराष्ट्र की 11 प्रेरणादायक महिलाओं ने नीति आयोग का पांचवां वीमेन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवॉर्ड्स जीता


भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में 75 महिलाओं को सम्मानित किया गया

Posted On: 23 MAR 2022 5:19PM by PIB Delhi

भारत को 'सशक्त और समर्थ भारत' बनाने में महिलाएं लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। विभिन्न क्षेत्रों की इन महिलाओं की असाधारण उपलब्धियों को मान्यता देते हुए नीति आयोग ने वीमेन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवॉर्ड्स देने की शुरुआत की है।

 

इस साल, भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष का उत्सव मनाने के लिए ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में, 75 महिलाओं को डब्ल्यूटीआई अवॉर्ड्स प्रदान किए गए। इन 75 पुरस्कार विजेताओं में से महाराष्ट्र राज्य की 11 महिलाओं को सम्मानित किया गया। अन्य विजेताओं के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें।

 

1. दीपा चौरे, नागपुर, क्रांतिज्योति महिला बचत गट (रूरल मार्ट)

 

क्रांतिज्योति महिला बचत गट ने खुद भारत में अपना नाम कमाया है। दीपा चौरे के प्रयासों से सफलता मिलती गई और सशक्त व समर्थ भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान किया गया। इसके तहत उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार करने के लिए आजीविका प्रदान की जाती है और स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाओं को अपने साथ जोड़ा जाता है। इस समय वे नागपुर जिले में 350-500 महिलाओं को रोजगार, उत्पाद निर्माण, मार्केटिंग, बिक्री, वित्तपोषण और प्रशिक्षण सेवाओं के माध्यम से मदद प्रदान कर रहे हैं। इसका विजन महाराष्ट्र की सभी जरूरतमंद महिलाओं तक पहुंचना है। रूरल मार्ट महिलाओं को उनके हित में सामूहिक निर्णय लेने और उन्हें वित्तीय स्थिरता के लिए एक मंच प्रदान कर सशक्त बना रहा है।

 

2. डॉ. अपर्णा हेगड़े, मुंबई, अरमान

 

डॉ. अपर्णा हेगड़े गैर-सरकारी संगठन 'अरमान' (एआरएमएमएएन) की संस्थापक हैं। एमहेल्थ तकनीक का लाभ उठाते हुए यह संगठन भारत के 19 राज्यों में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर और अस्वस्थता को कम करने के लिए मापनीय, सस्ता, लैंगिक भेदभाव के बगैर और न्यायसंगत, सरल उपचार उपलब्ध कराता है।

 

वे एकीकृत 360-डिग्री अप्रोच के तहत गर्भवती महिलाओं और 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मोबाइल के माध्यम से गहराई से जुड़ते हैं। वे जोखिम वाले कारकों की जल्दी पहचान, रेफरल और उपचार के लिए स्वास्थ्य कर्मियों और सिस्टम्स को भी सहयोग करते हैं जिसके बेहतर स्वास्थ्य परिणाम आए हैं। यह 27 मिलियन महिलाओं और बच्चों तक पहुंच चुका है और 229,000 अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। आने वाले पांच वर्षों में पूरे भारत में विस्तार करने की योजना है। एमओएचएफडब्ल्यू के साथ साझेदारी में सबसे बड़े एमहेल्थ कार्यक्रम का प्रबंधन करते हुए, अरमान किलकारी और मोबाइल एकेडमी योजनाओं को लागू कर रहा है।

 

3. सयाली मराठे, पुणे, आद्या ओरिजिनल्स प्रा. लिमिटेड

 

आद्या एक प्रीमियम, हाथों से तैयार की गई चांदी के आभूषणों का ब्रांड है जो इतिहास, पुनरुद्धार, प्रकृति आदि पर आधारित कलेक्शन तैयार करता है। प्रामाणिक चांदी के आभूषण बनाने और इसे दुनियाभर में उपलब्ध कराने के लिए आद्या की संस्थापक सयाली मराठे कारीगरों के साथ काम करती हैं। यह महाराष्ट्र के साथ एक्सीलरेटर प्रोग्राम के लिए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के पहले समूह का हिस्सा है। इसका उद्देश्य अच्छी रिसर्च के साथ प्रामाणिक और हाथ से तैयार शुद्ध चांदी के आभूषण तैयार करना है। परंपरा, जीव और खुशी आद्या के प्रमुख स्तंभ हैं जो प्रकृति और इतिहास से प्रेरित चांदी के उत्पादों को बनाते हैं।

 

4. सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी, पुणे, काइनेटिक ग्रीन एनर्जी एंड पावर सॉल्यूशंस

 

सुलज्जा ने पांच साल पहले एक ई-मोबिलिटी वेंचर स्थापित किया, उस समय ईवी तकनीक नई थी और उसके प्रति कम ही लोगों में भरोसा था। उन्होंने एक नए क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए अनुकरणीय दृष्टि और साहस दिखाया और अपने सपने को सफलतापूर्वक हकीकत में बदल दिया। उन्होंने स्वदेशी मोटर्स, कंट्रोलर्स और बैट्री सहित उन्नत ईवी तकनीक विकसित करने में निवेश किया। उनके नेतृत्व में काइनेटिक ग्रीन 100 प्रतिशत स्थानीयकरण तक पहुंच गया है। उन्होंने जनता के लिए उन्नत और किफायती ई-थ्री व्हीलर और टू-व्हीलर बनाए। ई-ऑटो की कीमत एक लाख रुपये है। ये सब काइनेटिक के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है कि उसके वाहन बिना किसी सब्सिडी के ग्राहकों को आकर्षित करें। उनकी कंपनी 50,000 से अधिक इलेक्ट्रिक गाड़ियां बेच चुकी है और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित किया गया। काइनेटिक ग्रीन भारत के ईवी क्षेत्र में अग्रणी कंपनी है। यह जनता में ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए देशभर में एक सशक्त ईवी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रही है।

 

5. मेहा लाहिड़ी, मुंबई, रीसिटी नेटवर्क प्रा. लि.

 

रीसिटी में मेहा लाहिड़ी की एक उद्यमी के तौर पर यात्रा न केवल सर्कुलर इकॉनमी सॉल्यूशंस के माध्यम से 12+ शहरों में भारत की प्रणालीगत प्लास्टिक कचरे की चुनौतियों का समाधान करने की रही बल्कि लैंगिक रूप से तटस्थ और लचीली संस्कृति का पोषण करते हुए स्वस्थ कार्यबल का निर्माण भी था। रीसिटी औपचारिक और अनौपचारिक अपशिष्ट श्रमिकों के व्यावसायीकरण की दिशा में भी अथक प्रयास कर रही है। शुरुआत से, 69 प्रतिशत से ज्यादा महिला अपशिष्ट श्रमिकों को स्वास्थ्य मॉड्यूल और चिकित्सा शिविरों की मदद से सशक्त किया गया है। इसके साथ ही कौशल-आधारित और उद्यमिता प्रशिक्षण, सामाजिक मान्यता और सरकार की ओर से अधिकृत लाभ जैसे ई-श्रम और व्यावसायिक आईडी से भी जोड़ा गया है। हरित आपूर्ति श्रृंखला का मानकीकरण और मजबूत तकनीकी सक्षम समाधान सुनिश्चित करते हुए रीसिटी के प्रभावशाली परिणाम आए हैं।

 

6. कीर्ति पूनिया, मुंबई, ओखाई

 

कीर्ति ने ओखाई की स्थापना की, जो पूरे भारत के ग्रामीण कारीगरों द्वारा बनाए गए दस्तकारी परिधान और जीवनशैली उत्पाद पेश करता है। कारीगरों के लिए सीधे ग्राहकों तक खुदरा बिक्री के लिए, ओखाई भारत का सबसे बड़ा डायरेक्ट टू कंज्यूमर कपड़े और लाइफस्टाइल का मार्केटप्लेस बन गया है। अपने नेतृत्व और मार्गदर्शन में, उन्होंने केवल 6 वर्षों में 10 गुणा ज्यादा राजस्व प्राप्त कर संगठन को 350 से 27,000 कारीगरों तक पहुंचाया है। ओखाई का उद्देश्य ग्रामीण महिला कारीगरों के लिए आजीविका के अवसर पैदा करने के साथ ही प्राचीन शिल्प का संरक्षण करना है।

 

7. शाहीन मिस्त्री, मुंबई, टीच फॉर इंडिया और द आकांक्षा फाउंडेशन

 

भारत में शैक्षिक असमानता को समाप्त करने के लिए लीडर्स का एक आंदोलन खड़ा कर पूरे देश में सभी बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने की साहसिक दृष्टि के साथ, शाहीन ने 2008 में टीच फॉर इंडिया की स्थापना की थी। आज, टीच फॉर इंडिया आठ शहरों में फैले 900 से अधिक फेलो और 250 स्टाफ सदस्यों के प्रत्यक्ष प्रयासों के माध्यम से 32,000 बच्चों को प्रभावित करता है और 9,100 से ज्यादा पूर्व छात्र हैं। इसके अलावा, पूर्व छात्रों के समुदाय में 3800 से ज्यादा ऐसे हैं, जो सीधे तौर पर 1 मिलियन से ज्यादा बच्चों को प्रभावित करते हैं और 33 मिलियन बच्चों तक अप्रत्यक्ष रूप से पहुंचते हैं। तीन दशकों से अधिक समय से बच्चों के लिए काम करने वाली टीच फॉर इंडिया के कामकाज ने शिक्षा में व्यवस्थागत परिवर्तन के लिए हजारों लोगों को एक साथ काम करने के लिए प्रेरित किया।

 

8. प्रेमा गोपालन, पुणे, स्वयं शिक्षण प्रयोग

 

प्रेमा गोपालन ने महाराष्ट्र, केरल, बिहार और ओडिशा राज्यों में जमीनी स्तर पर महिलाओं के नेटवर्क और समुदायों को सशक्त बनाने के लिए स्वयं शिक्षण प्रयोग की स्थापना की। उनके काम ने 300,000 से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को उद्यमी और परिवर्तन करनेवाले के तौर पर सशक्त बनाया है। यह भारत में छह मिलियन लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर 7 जलवायु प्रभावित राज्यों में समुदायों को सशक्त कर रहा है। इनके मार्गदर्शन में, 150,000 ग्रामीण महिलाओं को जलवायु के अनुकूल किसानों के रूप में स्थान दिया गया है, वे भूमि का अधिकार और आय के साथ निर्णय लेने वाली भी बनी हैं। 1998 से अपने मिशन को पूरा करते हुए, स्वयं शिक्षण प्रयोग (एसएसपी) जमीनी स्तर पर महिलाओं को लाभार्थियों से निर्णय लेने वालों में बदल रहा है।

 

9. चेतना सिन्हा, मुंबई, मान देसी महिला सहकारी बैंक

 

चेतना मान देसी महिला सहकारी बैंक से जुड़ी एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। भारत में ग्रामीण महिला छोटे उद्यमियों के लिए यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के साथ साझेदारी में पहला महिला पेंशन फंड स्थापित करने में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है। बैंक ने साप्ताहिक बाजारों में ग्रामीण महिलाओं के लिए पहला कैश क्रेडिट प्रोडक्ट भी स्थापित किया है। उनका लक्ष्य ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण कर 2024 तक एक मिलियन महिलाओं तक पहुंचना है। मान देसी महिला सहकारी बैंक का विजन एक सहयोगी वातावरण तैयार करना है, जहां महिला उद्यमी सफलतापूर्वक आगे बढ़ सकें और यह सभी के लिए लाभकारी हो।

 

10. त्रिशला सुराना, मुंबई, कलर मी मैड प्रा. लि.

 

त्रिशला योर फुट डॉक्टर की प्रबंध निदेशक हैं और वह सपाट पैर और पैर से संबंधित अन्य तकलीफों से पीड़ित लोगों के चलने-फिरने और दर्द दूर करने के लिए काम करती हैं। यह एक स्टार्ट-अप है, जो आपके पैरों की देखभाल करता है और नवाचार, प्रौद्योगिकी व मानव स्पर्श के जरिए पैरों की देखभाल पर केंद्रित है। इसके जरिए हजारों ग्राहकों को दर्द से आराम पहुंचाने वाले जूते और इनसोल के जरिए लाभ पहुंचाया गया। पैर हमारे शरीर का आधार हैं और कलर मी मैड का दृढ़ विश्वास है कि सही जूते-चप्पल पहनना और पैरों की देखभाल चलने-फिरने और अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है।

 

11. शांति राघवन, मुंबई, एनेबल इंडिया

 

एनेबल इंडिया (ईआई) शांति राघवन द्वारा शुरू किया गया एक गैर-लाभकारी संगठन है। वह पिछले दो दशकों से जमीन पर काम कर रहे हैं और हजारों दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) को मदद कर रहे हैं। उनका विजन एक ऐसी दुनिया बनाना है, जहां दिव्यांग व्यक्ति करदाता, सक्रिय नागरिक और राष्ट्र निर्माता बनें। ईआई एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए लाखों पीडब्ल्यूडी के लिए स्थायी आजीविका पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के मिशन पर है, इसका अर्थव्यवस्था और समाज पर सकारात्मक असर होगा। यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की ओर ले जाएगा, जिसमें पीडब्ल्यूडी समाज की चेतना में बदलाव आएगा। एनेबल इंडिया दिव्यागों की गरिमा और आर्थिक स्वावलंबन के लक्ष्य के साथ बढ़ रही है।

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