आयुष

रुमेटॉयड अर्थराइटिस के लिए आयुर्वेद में पहली बार अपनी तरह का फेज - III नैदानिक परीक्षण


विख्यात रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. एडजार्ड अर्नेस्ट की निगरानी में यह रुमेटॉलॉजी में आयुर्वेद अनुसंधान को वैश्विक स्तर तक ले जाएगा

Posted On: 23 MAR 2022 5:36PM by PIB Delhi

आयुष मंत्रालय रुमेटॉयड अर्थराइटिस के उपचार में आयुर्वेद की प्रभावशीलता की जांच करने के लिए विश्व के प्रथम मल्टीसेंटर फेज-III नैदानिक परीक्षण का संचालन कर रहा है। नैदानिक परीक्षण मानव उपयोग के लिए फार्मास्यूटिकल के लिए तकनीकी आवश्यकताओं के सामंजस्य के लिए अंतरराष्ट्रीय परिषद के सख्त नियमों - उत्कृष्ट परीक्षण प्रक्रिया (आईसीएच-जीसीपी) के अनुरूप किया जाएगा और इसकी निगरानी अमेरिका के लॉस एंजिल्स स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के विख्यात रुमेटॉलॉजिस्ट डॉ. डैनिएल इरिक फुस्र्ट द्वारा की जा रही है।

यह परियोजना रुमेटॉयड अर्थराइटिस के प्रबंधन में आयुर्वेद की प्रभावशीलता पर पहले मल्टी सेंटर फेज-III डबल ब्लाइंड डबल डमी नैदानिक परीक्षण में से एक है। इसका संचालन आर्या वैद्य फार्मेंसी (कोयंबटूर) लिमिटेड के साथ संबद्ध एक अनुसंधान संस्थान एवीपी रिसर्च फाउंडेशन तथा आयुष मंत्रालय के तहत भारत सरकार की एक एजेंसी सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद (सीसीआएएस) द्वारा किया जाएगा।

विश्व के विख्यात रुमेटॉलॉजिस्ट डॉ. एडजार्ड अर्नेस्ट, जो वर्तमान में अर्थराइटिस एसोसिएशन फ साऊथ कैलिफोर्निया (एएएससी) में नैदानिक परीक्षण के निदेशक हैं तथा सीएएम के मुखर आलोचक हैं, ने पूरक और वैकल्पिक दवा (सीएएम) पर भविष्य के परीक्षण के लिए एक मॉडल के रूप में अध्ययन का समर्थन किया। उन्होंने अध्ययन की रूपरेखा बनाई है और इसका मार्गदर्शन करेंगे। इस परीक्षण के संबंध में, डॉ. डैनिएल इरिक फुस्र्ट ने नैदानिक अनुसंधान के स्वर्णिम मानकों का अनुपालन करते हुए अध्ययन का संचालन करने पर केंद्रों के सभी जांचकर्ताओं को प्रशिक्षित करना तथा इस प्रकार आयुर्वेद के वैश्वीकरण को सक्षम बनाना आरंभ कर दिया है। 

एवीपी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक तथा इस अध्ययन के सह-परीक्षणकर्ता डॉ. सोमित कुमार ने कहा, ‘‘ एएमआरए, एक डबल ब्लाइंड डबल डमी रैंडोमाइज्ड नैदानिक परीक्षण रुमेटॉलॉजी में आयुर्वेद अनुसंधान को वैश्विक स्तर तक ले जाएगा। ‘‘

बंगलुरु स्थित मेटाबोलिक विकारों के लिए केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के अनुसंधान अधिकारी डॉ. एम एन शुभाश्री ने कहा, ‘‘ इस अध्ययन के मई 2022 में आरभ होने की उम्मीद है इसके अगले दो वर्षों में पूरा हो जाने की आशा की जाती है। सैंपल का आकार 48 रोगियों से लगभग पांच गुना बढ़कर 240 तक पहुंच गया है। नैदानिक परीक्षण का संचालन तीन स्थानों - कोयंबटूर स्थित एवीपी रिसर्च फाउंडेशन, बंगलुरु स्थित मेटाबोलिक विकारों के लिए केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान तथा मुंबई स्थित राजा रामदेव आनंदीलाला केंद्रीय कैंसर अनुसंधान संस्थान पर किया जाएगा। ‘‘

इससे पूर्व, अमेरिका स्थित राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने रुमेटॉयड अर्थराइटिस के लिए क्लासिकल आयुर्वेद उपचार की प्रभावशीलता तथा सुरक्षा का स्टैंडर्ड एलोपैथिक उपचार के साथ तुलना करने के लिए सिएटल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय में एक नैदानिक परीक्षण का वित्तपोषण किया था। इस अध्ययन के निष्कर्ष ऐन्नल्स फ रुमैटिक डिजीजेज तथा जर्नल फ क्लिनिकल रुमेटॉलॉजी जैसे प्रतिष्ठित जर्नलों में प्रकाशित किए गए हैं।

पश्चिमी देशों में पारंपरिक तथा आधुनिक चिकित्सा को मिला कर बहुआयामी दृष्टिकोण दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है।  

एमजी/एएम/एसकेजे/वाईबी



(Release ID: 1808856) Visitor Counter : 433


Read this release in: Urdu