वित्त मंत्रालय
आईएफएससी में वित्तीय संस्थानों द्वारा सस्टेनेबल एवं सस्टेनेबलिटी लिंक्ड उधारी पर आईएफएससीए दिशानिर्देश ढांचे के मसौदे पर सार्वजनिक टिप्पणी के लिए आमंत्रण
Posted On:
02 MAR 2022 8:33PM by PIB Delhi
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) की स्थापना भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों को विकसित और विनियमित करने के लिए एक एकीकृत नियामक के तौर पर की गई है।
जलवायु संकट गहराने के साथ ही दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं सस्टेनेबल एवं कम कार्बन उत्सर्जन के साथ विकास की ओर बढ़ रही हैं। यह बदलाव पेरिस समझौते और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता से प्रेरित है। बैंक और वित्तीय संस्थान इस बदलाव के लिए ऐसे प्रमुख खिलाड़ी हैं जो सस्टेनेबल और सस्टेनेबिलिटी लिंक्ड परियोजनाओं के लिए ऋण अथवा उधारी के जरिये स्थायी एवं पर्यावरण के अनुकूल समाधानों की ओर वित्तीय प्रवाह का रुख करते हुए मदद कर सकते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए एक नीति बनाने की आवश्यकता है ताकि ग्रीन वॉशिंग जैसी चिंताओं को दूर किया जा सके।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए एक दिशानिर्देश ढांचे का मसौदा तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य आईएफएससी बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) और वित्तीय कंपनियों/ वित्तीय इकाइयों (एफसी/ एफयू) (आईएफएससी के जरिये ऋण गतिविधियों) को आंतरिक तौर पर पर्यावरण के अनुकूल/ सामाजिक/ सस्टेनेबल/ सस्टेनेबिलिटी लिंक्ड उधारी के लिए बोर्ड द्वारा मंजूर एक व्यापक नीति तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके तहत लोन मार्केट एसोसिएशन (एलएमए) द्वारा विकसित पर्यावरण के अनुकूल/ सामाजिक ऋण सिद्धांत, इंटरनेशनल कैपिटल मार्केट्स एसोसिएशन (आईसीएमए) द्वारा विकसित बॉन्ड सिद्धांत, क्लाइमेट बॉन्ड्स इनिशिएटिव द्वारा तैयार क्लाइमेट बॉन्ड मानक और ऐसे अन्य मान्यता प्राप्त मानक जैसे मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ सिद्धांतों के लिए एक व्यापक ढांचा उपलब्ध कराने की मंशा है।
आईएफएससीए ने सभी पंजीकृत आईबीयू और एफसी/ एफयू (आईएफएससी के जरिये उधारी गतिविधियों) को अंतिम ढांचे के जारी होने की तारीख से 9 महीने की अवधि के भीतर सस्टेनेबल उधारी पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक नीति तैयार करने के लिए निर्देशित करने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा, ऐसी संस्थाओं के पास अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष/ जनवरी 2023 से शुरू होने वाले कैलेंडर वर्ष से पर्यावरण के अनुकूल/ सामाजिक/ सस्टेनेबल/ सस्टेनेबिलिटी लिंक्ड सेक्टर/ प्रतिष्ठानों को उधारी के रूप में कम से कम 10 प्रतिशत ऋण परिसंपत्ति होनी चाहिए। यदि आईबीयू या एफसी/ एफयू उपरोक्त लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहता है तो उसे अनुपालन न होने के कारणों के बारे में प्राधिकरण को सूचित करना होगा।
उधारी के लिए ऐसी नीति के मुख्य घटकों में निम्नलिखित पहलू शामिल होंगे:
- उधारकर्ता मूल्यांकन प्रक्रिया,
- रकम के उपयोग का आकलन और ऋण सुविधा के कानूनी दस्तावेज में उसके बारे में उचित वर्णन,
- परियोजना मूल्यांकन एवं चयन, रकम के प्रबंधन के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया,
- खुलासा संबंधी ढांचा,
- आंतरिक तौर पर अथवा बाहरी समीक्षक के जरिये निगरानी करना और
- ऋण सुविधाओं का डी-क्लासिफिकेशन।
यह मसौदा पात्र पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं, सामाजिक परियोजनाओं और कुछ पर्यावरण के अनुकूल उद्योग मानकों की सूची प्रदान करता है जिसके आधार पर किसी भी संयंत्र का वर्गीकरण किया जा सकता है।
इस मसौदा दिशानिर्देश को आईएफएससीए की वेबसाइट https://www.ifsca.gov.in/PublicConsultation पर अपलोड कर दिया गया है।
इस मसौदा ढांचे पर आम जनता और हितधारकों से टिप्पणियां/ सुझाव आमंत्रित किए गए हैं जो 22 मार्च, 2022 को या उससे पहले (अर्थात प्रेस विज्ञप्ति की तारीख से 21 दिनों के भीतर) भेजे जा सकते हैं।
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एमजी/एएम/एसकेसी
(Release ID: 1802507)
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