शिक्षा मंत्रालय

यूजीसी ने समुदाय आधारित भागीदारी पूर्ण अनुसंधान में मास्टर ट्रेनर के प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया

Posted On: 14 JAN 2022 6:00PM by PIB Delhi

भारत सरकार के 75 सप्ताह लंबे आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के तहत विश्व विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उन्नत भारत अभियान 2.0 के तहत समुदाय आधारित भागीदारीपूर्ण अनुसंधान में मास्टर ट्रेनर्स के प्रशिक्षण का कार्यक्रम लॉन्च किया है।

स्वागत भाषण देते हुए यूजीसी में सचिव प्रो. रजनीश जैन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 ने देश में उच्च शिक्षा के लिए बदलाव की रूपरेखा प्रस्तुत की है। उच्च शिक्षा में सामुदायिक जुड़ाव और सामाजिक दायित्व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेशेवर दक्षता के नए क्षेत्रों के रूप में उभर रहे हैं। उन्नत भारत अभियान (यूबीए) 2.0 के तहत विषय विशेषज्ञ समूह के रूप में यूजीसी (यूजीसी-एसईजी) ने “भारत में उच्च शिक्षण संस्थान में सामाजिक दायित्व और सामुदायिक जुड़ाव को प्रोत्साहन” देने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा और दिशानिर्देश तैयार किए हैं, जो यूजीसी के गुणत्ता आदेश यानी प्रत्येक एचईआई के लिए सामाजिक और उद्योग संपर्क के कार्यक्षेत्रों में से एक है।

अपनी परिचय संबंधी टिप्पणियों में, एनबीए और यूजीसी-एसईजी (सामाजिक दायित्व और सामुदायिक जुड़ाव) के चेयरमैन प्रो. के. के. अग्रवाल ने समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को यूबीए के दायरे में लाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यूजीसी ने एचईआई के पाठ्यक्रम और क्षमता निर्माण की जरूरतों के विश्लेषण के लिए यह समिति बनाई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रो. अग्रवाल ने ज्ञान और कौशल के साथ वैश्विक नागरिक तैयार करने पर जोर दिया। हालांकि, छात्र वैश्विक नागरिक नहीं बन सकते यदि वे समुदाय के साथ नहीं जुड़ते हैं। प्रो. अग्रवाल की राय है कि यदि समुदाय विकास का हिस्सा नहीं है तो विकास टिकाऊ नहीं हो सकता।

अपने मुख्य संबोधन में, यूबीए, आईआईटी, दिल्ली के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. वीरेंद्र के. विजय ने कहा कि इस मास्टर ट्रेनर्स कार्यक्रम के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को यूबीए 2.0 के उद्देश्यों और उच्च शिक्षा में सामाजिक दायित्व को प्रोत्साहन पर यूजीसी नीतिगत फ्रेमवर्क को साथ-साथ मिलाया गया है। उन्होंने कहा कि एचईआई को शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को व्यावहारिक वास्तविकताओं और समुदायों के सामने आने वाली दैनिक चुनौतियों को जोड़ने की जरूरत है। उम्मीद है कि यह नया मास्टर ट्रेनर्स कार्यक्रम जिंदगियों में बदलाव और समाज के साथ संपर्क विकसित करने के लिए एनईपी 2020 के उद्देश्यों को नया अर्थ देगा।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए यूजीसी विशेषज्ञ समूह के एक सदस्य और यूनेस्को के सह अध्यक्ष (सीबीआर और उच्च शिक्षा में सामाजिक दायित्व) तथा पीआरआईए के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. राजेश टंडन ने कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए विस्तृत डिजाइन उपलब्ध कराया। उन्होंने इस कार्यक्रम में गतिशीलता और नेतत्व उपलब्ध कराने में 7 क्षेत्रीय केंद्रों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने परिचालन विनिर्देशों पर चर्चा की और क्षेत्रीय केंद्रों के तीन कार्यों के बारे में बताया, जिनमें मास्टर ट्रेनर्स की भर्ती, सीबीपीआर में प्रशिक्षण के लिए ट्रेनर्स के बैचों का आयोजन और स्थानीय स्तर पर प्रासंगिक प्रशिक्षण सामग्रियों के बारे में समय-समय पर जानकारी देकर उन्हें सहयोग देना शामिल है।

7 क्षेत्रीय केंद्रों- दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (आगरा, उत्तर प्रदेश), गांधीग्राम रूरल इंस्टीट्यूट (डिंडीगुल, तमिलनाडु), सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ ओडिशा (कोरापुट, ओडिशा), राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर यूनिवर्सिटी (नागपुर, महाराष्ट्र), तेजपुर यूनिवर्सिटी (तेजपुर, असम), नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (भोपाल, मध्य प्रदेश), कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी (कुरुक्षेत्र, हरियाणा) के समन्वयकों ने अपने सामुदायिक जुड़ाव कार्यक्रमों और मास्टर ट्रेनर्स कार्यक्रमों के लिए तैयारी पर केंद्रित प्रस्तुतीकरण दिए।

इस वर्चुअल शुभारम्भ कार्यक्रम में देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के 500 से ज्यादा संकाय सदस्य शामिल हुए।

 

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