भारी उद्योग मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav g20-india-2023

भारी उद्योग मंत्रालय की वर्षांत समीक्षा-2021


भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के फास्टर एडॉप्शन और निर्माण के दूसरे चरण की योजना को जून 2021 में पुनः डिजाइन किया गया

योजना का उद्देश्य अग्रिम लागत को कम करके इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से प्रसार करना

इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण के लिए FAME II योजना के अंतर्गत 1000 करोड़ रुपये का आवंटन

FAME II योजना के अंतर्गत अब तक कुल 1.85 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन दिया गया

मंत्रिमंडल ने देश में विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए 18,100 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत रसायन विज्ञान प्रकोष्ठ पर राष्ट्रीय कार्यक्रम को मंज़ूरी दी

मंत्रिमंडल ने ऑटोमोबाइल और ऑटोकंपोनेंट्स के लिए 25,938 करोड़ रुपये की लागत से उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंज़ूरी दी

उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण को प्रोत्साहित करने और ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश को आकर्षित करने के लिए पीएलआई योजना

भारी उद्योग मंत्रालय ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के एडॉप्शन को प्रोत्साहित करने के लिए 4 दिसंबर को गोवा में गोलमेज सम्मेलन का आयोजन

Posted On: 22 DEC 2021 2:17PM by PIB Delhi

भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ऑटोमोबाइल क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है। इसके लिए मंत्रालय की ओर से सरकार के 'मेक इन इंडिया' के प्रयासों को बढ़ावा देने और भारत को ऑटोमोबाइल तथा इसके कंपोनेंट्स के क्षेत्र में एक वैकल्पिक विनिर्माण हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। पिछले एक वर्ष के दौरान भारी उद्योग मंत्रालय की प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं:-

i. भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के फास्टर एडॉप्शन और निर्माण के दूसरे चरण (FAME India II) की योजना को 10,000 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया। इसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को प्रोत्साहित करने के लिए अग्रिम सहायता प्रदान करना और इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग के लिए बुनियादी निर्माण तैयार करना है। FAME II योजना के अंतर्गत 10 लाख इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहन, 5 लाख तिपहिया वाहन, 55,000 इलेक्ट्रिक कार और 7,090 इलेक्ट्रिक बसों को सहायता प्रदान की जाएगी। FAME II योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों के लिए 1000 करोड़ रुपये का आवंटन भी किया जा चुका है।

· FAME भारत II योजना को विशेषरूप से कोविड-19 के दौरान प्राप्त हुए अनुभव और उद्योग एवं उपभोक्ताओं से प्राप्त हुए फीडबैक के आधार पर जून 2021 में पुनः डिजाइन किया गया था। पुनः डिजाइन की गई योजना का उद्देश्य अग्रिम लागत को कम करके इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार को तेज़ी प्रदान करना है। इस योजना में निम्नलिखित संशोधन किए गए हैं:

· दुपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मांग प्रोत्साहन को 10,000 रुपये/किलोवाट से बढ़ाकर 15,000 रुपये/किलोवाट किया गया। साथ ही इसकी अधिकतम सीमा को बढ़ाकर वाहन की कुल लागत के 20% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया।

  • तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में अग्रिम लागत को किफायती स्तर पर और आईसीई-3 वाहनों के बराबर लाने के लिए लिए एग्रीगेशन एक महत्वपूर्ण तरीका होगा। ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (ईईएसएल) विभिन्न उपभोक्ता श्रेणियों के लिए 3 लाख तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कुल मांग की गणना करेगा।
  • इलेक्ट्रिक बसों के लिए 40 लाख से अधिक आबादी वाले 9 शहरों (मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, सूरत और पुणे) पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। ईईएसएल इन 9 शहरों में ओपीईएक्स आधार पर योजना के अंतर्गत बकाया इलेक्ट्रिक बसों की डिमांड की गणना करेगा।
  • इस योजना को 2 वर्ष के लिए आगे बढ़ाकर 31 मार्च 2024 तक लागू कर दिया गया है।

FAME II योजना को जून 2021 में पुनः डिजाइन किए जाने के बाद से दुपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 5000 वाहन प्रति सप्ताह हो गई है। योजना के रिडिजाइन होने से पहले वाहनों की बिक्री की संख्या 700 वाहन प्रति सप्ताह थी।

FAME India II योजना के अंतर्गत इस वर्ष की उपलब्धियाँ

    • FAME योजना के दूसरे चरण के अंतर्गत वर्ष 2021 में 16 दिसंबर 2021 तक करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से 1.4 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों (1.19 लाख दुपहिया इलेक्ट्रिक वाहन, 20.42 हज़ार तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन और 580 चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहन) को प्रोत्साहित किया गया। FAME II योजना के अंतर्गत अब तक 1.85 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित किया जा चुका है।
    • योजना के अंतर्गत इस वर्ष 16 दिसंबर 2021 तक 835 इलेक्ट्रिक बसों (मुंबई में 314, नवी मुंबई में 150, अहमदाबाद में 90, उत्तर प्रदेश में 105, गोवा में 30, पटना में 25, सूरत में 49, राजकोट में 16, दिल्ली में 25, चंडीगढ़ में 11, सिलवासा में 10 और देहरादून में 10) को सड़कों पर उतारा गया है। FAME II योजना के अंतर्गत अब तक कुल 861 बसों को सड़कों पर उतारा गया है।
    • 50 इलेक्ट्रिक बसें राष्ट्रीय महत्व के स्थान केवड़िया में तैनात करने के लिए जीएसआरटीसी को मंज़ूरी दी गई है।
    • शहर/राज्य परिवहन उपक्रम इस वर्ष 16 दिसंबर, 2021 तक 1040 इलेक्ट्रिक बसों (गोवा में 100, एमएसआरटीसी द्वारा अंतरराज्यीय बस परिचालन के लिए 100 बसें, चंडीगढ़ शहर में परिचालन के लिए 40 बसें, दिल्ली में डीटीसी द्वारा 300 बसें, बेंगलुरु में 300 बसें, तिरुपति में शहर के अंदर परिचालन के लिए 50 और अंतरराज्यीय परिचालन के लिए 50 बसें, जीएसआरटीसी द्वारा अंतरराज्यीय परिचालन के लिए 100 बसें) की आपूर्ति के लिए ऑर्डर जारी कर चुके हैं। FAME योजना के अंतर्गत कुल 3428 इलेक्ट्रिक बसों के लिए आपूर्ति ऑर्डर जारी किए जा चुके हैं।
    • एसटीयू/सीटीयूद्वारा 1040 इलेक्ट्रिक बसों (गोवा में 100, एमएसआरटीसी द्वारा अंतरराज्यीयबस परिचालन के लिए 100, चंडीगढ़ शहर में 40, बेंगलुरु में 300, तिरुपति में शहर के अंदर परिचालन के लिए 50 और अंतरराज्यीय परिचालन के लिए 50, राजकोट में 100, सूरत में 150, केएसआरटीसी और एनडब्ल्यूकेएसआरटीसी के लिए 50-50 और नवी मुंबई के लिए 50) के लिए आपूर्ति ऑर्डर/अवार्डलेटर जारी करने के संबंध में एसटीयू/सीटीयूके अनुरोध पर उन्हें समय सीमा विस्तार प्रदान की गई है।
    • इस वर्ष 16 दिसंबर 2021 तक 9 एक्सप्रेस-वे और 16 राजमार्गों पर इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए 1576 ईवीचार्जिंग स्टेशनों को मंज़ूरी और अवार्डलेटर जारी किए जा चुके हैं।
    • 16 दिसंबर 2021 तक 35 चार्जिंग स्टेशनों (कोयंबटूर में 25 और इरोड में 10) को लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) जारी किए गए हैं। FAME II योजना के अंतर्गत शहरों में कुल 1797 चार्जिंग स्टेशनों के लिए एलओए जारी किए गए हैं।
    • कुल 104 ईवी स्टेशनों को इस वर्ष 16 दिसंबर 2021 [FAME I के अंतर्गत 91 (दिल्ली-चंडीगढ़ हाइवे पर 9, मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर 3, बेंगलुरु में 12, रांची में 4, गोवा में 10, हैदराबाद में 45, आगरा में 6 और शिमला में 2) और FAME II योजना के अंतर्गत 13 (चेन्नई शहर में 4, दिल्ली में 3, नागपुर में 4 और अहमदाबाद में 2)] तक इंस्टॉल करके शुरू कर दिया गया है।
  1. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 50 गीगावॉट प्रति घंटा के एसीसी और 5 गीगावॉट प्रति घंटा के ‘niche’ एसीसीके लिए देश में विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना को प्रोत्साहित करने की दिशा में 18,100 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत रसायन विज्ञान प्रकोष्ठ को मंज़ूरी दी। अभी तक एसीसी को विदेशों से आयात किया जाता है। इस योजना को 9 जून 2021 को अधिसूचित किया गया था।
  • इस योजना के माध्यम से, सरकार चाहती है कि अधिकतम मूल्यवर्धन और गुणवत्ता उत्पादन पर जोर देते हुए गीगा-स्केल एसीसी निर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए घरेलू और विदेशी दोनों संभावित निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाए और एक पूर्व-निर्धारित सीमा के भीतर पूर्व-निर्धारित क्षमता स्तर प्राप्त किया जाए।
  • इस योजना के अंतर्गत कुल 45,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद जताई गई है। योजना से एसीसी के आयात बिल में 1,50,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी।
  • भारत में एसीसी बैटरीस्टोरेज के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने की दिशा में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं से 22 अक्टूबर, 2021 मांगे गए आमंत्रण प्रस्तावों पर अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) जारी कर दिए गए हैं। 12 नवंबर, 2021 को एक प्रस्ताव पूर्व सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें 20 से अधिक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया था।
  1. मंत्रिमंडल ने उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण को प्रोत्साहित करने और ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश को आकर्षित करने के लिए ऑटोमोबाइल और ऑटोकंपोनेंट्स के लिए 25,938 करोड़ रुपये की लागत से उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (प्रोडक्टिविटीलिंक्डइंसेंटिव स्कीम-पीएलआई) को 15 सितंबर, 2021 को मंज़ूरी दे दी है। इस योजना के प्रमुख उद्देश्यों में लागत की अक्षमताओं पर नियंत्रण करना, अर्थव्यवस्था को प्रगतिशील बनाना और उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों के क्षेत्र में एक मज़बूत आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना शामिल हैं।
  • ऐसा अनुमान है कि पांच वर्षों की अवधि में, ऑटोमोबाइल और ऑटोकंपोनेंट्स उद्योग के लिए पीएलआई योजना 142,500 करोड़ रुपये से अधिक के नए निवेश को आकर्षित करेगी, 12.3 लाख करोड़ से अधिक का वृद्धिशील उत्पादन करेगी और 7.5 लाख से अधिक रोज़गार के अतिरिक्त अवसर पैदा करेगी।
  • यह योजना ऑटोमोबाइल उद्योग को मूल्य श्रृंखला से उच्च मूल्यवर्धित उत्पादों की दिशा में आगे बढ़ाने और वैश्विक मोटर वाहन व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने की सुविधा प्रदान करेगी।
  • पीएलआई योजना निवर्तमान ऑटोमोटिव कंपनियों के साथ-साथ उन निवेशकों के लिए भी समान रूप से खुली है, जो वर्तमान में ऑटोमोबाइल और ऑटोकंपोनेंट्स निर्माण के व्यवसाय में नहीं हैं।
  • इस योजना के दो पक्ष हैं, चैंपियन ओईएमइंसेंटिव स्कीम और कंपोनेंट चैंपियन इंसेंटिव स्कीम। चैंपियन ओईएमइंसेंटिव स्कीम एक 'सेल्स वैल्यूलिंक्ड' स्कीम है, जो सभी श्रेणी के बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहनों और भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट किसी भी अन्य उन्नत ऑटोमोटिव तकनीक पर लागू होती है। कंपोनेंट चैंपियन इंसेंटिव स्कीम एक 'सेल्स वैल्यूलिंक्ड' स्कीम है, जो वाहनों के एडवांस्ड ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी कंपोनेंट्स, कंप्लीटलीनॉक्डडाउन (सीकेडी)/सेमीनॉक्डडाउन (एसकेडी) किट, 2-व्हीलर्स, 3-व्हीलर्स, यात्री वाहन, कमर्शियल वाहन और ट्रैक्टर आदि के एग्रीगेट्स पर लागू होती है। यह इंसेंटिव (प्रोत्साहन) घरेलू बिक्री के साथ-साथ पात्र उत्पादों के निर्यात पर भी लागू होता है।
  • यह योजना इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहनों और उनके कंपोनेंट्स पर 13-18% का इंसेंटिव तथा सुरक्षा, उत्सर्जन नियंत्रण, सुविधा, दक्षता आदि से संबंधित उन्नत मोटर वाहन प्रौद्योगिकी उत्पादों पर 8-13% का इंसेंटिव प्रदान करती है। यह इंसेंटिव वित्त वर्ष 2022-23 से वित्त वर्ष 2026-27 तक पांच साल की अवधि के लिए उपलब्ध रहेगा।
  • ऑटोमोबाइल और ऑटोकंपोनेंट्स के लिए पीएलआई योजना और संबंधित दिशानिर्देशों को 23 सितंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया है। पीएलआई योजना के लिए आवेदन पत्र, उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों की सूची और आवेदन आमंत्रित करने संबंधी विंडो को 9 नवंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया है। आवेदन आमंत्रण नोटिस 11 नवंबर, 2021 से 9 जनवरी, 2022 तक 60 दिनों के लिए खुला है।
  1. भारी उद्योग मंत्रालय ने 4 दिसंबर, 2021 को गोवा में केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय की अध्यक्षता में एक गोलमेज़ बैठक का आयोजन किया। इसमें केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सभी हितधारक, ऑटोओईएम क्षेत्र के प्रमुख लोग और ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स निर्माता, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के एडॉप्शन को बढ़ावा और इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरी और उच्च प्रौद्योगिकी ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स के निर्माण में निवेश को आकर्षित करने संबंधी रणनीति बनाने वाले स्टार्ट-अप और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हुए।

अन्य पहल

भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री ने 29 जून, 2021 को मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित नैट्रैक्स (NATRAX) में 11.3 किमी लंबे एशिया के सबसे लंबे उच्च-गति ट्रैक (हाई स्पीड ट्रैक) का उद्घाटन किया। यह ट्रैक देशभर में ऑटोमोबाइल संबंधी सभी प्रकार के उच्च गति पर फॉर्मेंसटेस्ट के लिए एक ही स्थान पर समाधान उपलब्ध कराने की सुविधा प्रदान करेगा। नैट्रैक्स (NATRAX) एचएसटी की उपलब्धता से विभिन्न प्रकार के ऑटोमोबाइल संबंधी स्वदेशी तकनीक और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।

  1. NATRIP भारत में ऑटोमोबाइल क्षेत्र के विकास के लिए भारत सरकार की सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक है, और इसमें तीन नए केंद्रों GARC (चेन्नई), NATRAX (इंदौर), NIAIMT (सिलचर) पर अत्याधुनिकऑटोमोटिव होमोजेनाइजेशन, परीक्षण, प्रमाणन और आरएंडडी इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना और तीन मौजूदा केन्द्रों ARAI (पुणे), VRDE (अहमदनगर) और ICAT मानेसर (गुरुग्राम) का अपग्रेडेशन शामिल है। यह परियोजना 31 मार्च, 2021 को संपन्न हो गई है, और इसके बाद राष्ट्रीय ऑटोमोटिव बोर्ड- एनएबी (National Automotive Board -NAB) ने इसे अपने अधिकार में ले लिया है।

आधिकारिक रिकॉर्ड्स के डिजिटाइजेशन के संबंध में मंत्रिमंडल सचिवालय के निर्देशों का अनुपालन करते हुए एनएबी (NATRIP)/HQ के लिए 15 लाख से अधिक पृष्ठों (परियोजना के शुभारंभ के बाद से) के डिजिटाइजेशन का कार्य नवंबर 2021 में संपन्न कर लिया गया था। यह एनएबी (NATRIP) द्वारा समयबद्ध तरीके से पूरा किया गया एक प्रमुख कार्य है।

  1. भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा अपने सिटिज़न चार्टर के अंतर्गत दी जाने वाली महत्वपूर्ण सेवाओं में से एक शारीरिक (ऑर्थोपेडिक) रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को जीएसटी रियायत प्रमाण पत्र जारी करना है। डिजिटल इंडिया की दिशा में कदम उठाते हुए भारी उद्योग मंत्रालय ने आधार प्रमाणित जीएसटी रियायत प्रमाण पत्र जारी करने के लिए नवंबर 2020 में एक ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की। ऑनलाइन पोर्टलविकसित होने से इस मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इस आईटी सक्षम पहल ने जीएसटी रियायत प्रमाणपत्र की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और जीएसटी रियायत प्रमाणपत्र जारी करने संबंधी मुद्दों का मात्र 10 महीने की अवधि (जनवरी 2021 से दिसंबर 2021) में समाधान निकालने में मदद की है। इस पोर्टल ने लाभार्थियों को वर्ष 2021 में कोविड-19 महामारी की विपरीत परिस्थितियों के बीच भी जीएसटी रियायत प्रमाणपत्र संबंधी तमाम सुविधाओं का लाभ उठाने में मदद की।
  1. पूंजीगत वस्तु क्षेत्र के लिए कौशल संबंधी कमियों और बुनियादी ढांचे के विकास तथा प्रौद्योगिकी की जरूरतों को दूर करने के लिए, विभाग ने वर्ष 2014 में पूंजीगत वस्तु योजना के पहले चरण को शुरू किया था। योजना के पहले चरण ने सरकारी सहायता से प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा और उद्योग जगत के बीच साझेदारी को बढ़ावा दिया।
    • योजना के परिणामों ने प्रौद्योगिकी और औद्योगिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बनी रणनीतियों की प्रभावशीलता को साबित किया है।
    • योजना के अंतर्गत पंद्रह सामान्य इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र (सीईएफसी), जिसमें चार उद्योग 4.0 समर्थ केंद्र और 6 प्रौद्योगिकी नवाचार प्लेटफॉर्म शामिल हैं, प्रौद्योगिकी विकास के लिए आठ उत्कृष्टता केंद्र (सीओई), कर्नाटक सरकार के साथ साझेदारी में कर्नाटक स्थित तुईआकुरु में 500 एकड़ भूमि पर विश्वस्तरीय मशीन टूल पार्क की स्थापना की गई है। मशीन टूल्स, टेक्सटाइल मशीनरी, अर्थ मूविंग मशीनरी, नैनो और सेंसर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में 25 नई प्रौद्योगिकियों को आईआईटी, आईआईएस, सीएमटीआई आदि जैसे उत्कृष्ट राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों में विकसित किया जा रहा है, और इनमें से कुछ प्रौद्योगिकियां ऐसी हैं, जो कमर्शियल फेज़ में हैं।
    • इस योजना के अंतर्गत इस वर्ष समर्थ केन्द्रों, प्रौद्योगिकी नवाचार प्लेटफॉर्म, सीओई और पूंजीगत वस्तु उद्योग एसोसिशनों ने 74 कार्यशालाओं, वेबिनार, जागरूकता कार्यक्रम आदि का आयोजन किया।
  1. वेब आधारित ओपन निर्माण प्रौद्योगिकी नवाचार प्लेटफॉर्म्स का विकासः भारी उद्योग मंत्रालय ने वर्तमान में जारी पूंजीगत वस्तु योजना के अंतर्गत वेब आधारित ओपन मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी इनोवेशन प्लेटफॉर्म विकसित किया है। ये प्लेटफॉर्म्स भारत के प्रौद्योगिकीय संसाधनों और संबंधित उद्योग को एक मंच पर लाने में मदद करेंगे ताकि भारतीय उद्योगों के समक्ष मौजूद प्रौद्योगिकी संबंधी समस्याओं की पहचान की जा सके और उसका व्यवस्थित तरीके से समाधान निकाला जा सके। इससे स्टार्ट-अपको सुविधा मिलेगी और और भारत के नवाचारों में फंडिंग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसमें आत्मनिर्भर भारत और विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी विनिर्माण क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए प्लेटफार्मों पर मौजूद 'विशाल चुनौतियों' के माध्यम से स्वदेशी तरीके से देशी निर्माण तकनीकों का विकास शामिल है। भारी उद्योग मंत्री ने 2 जुलाई 2021 को प्रौद्योगिकी नवाचार प्लेटफॉर्म्स का उद्घाटन (वर्चुअल मोड में) किया। इसका विवरण नीचे दिया गया हैः
    • आईआईएस बेंगलुरु के सहयोग से आईआईटी मद्रास, सेंट्रल मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (सीएमटीआई), इंटरनेशनल सेंटर फॉरऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी), ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई), भेल और एचएमटी ने छह प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म विकसित किए हैं। ये प्लेटफॉर्म भारत में विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धी विनिर्माण के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ये प्लेटफॉर्म उद्योग (ओईएम, टियर-1, टियर-2 तथा टियर-3 कंपनियों और कच्चे माल के निर्माताओं सहित), स्टार्ट-अप, डोमेन विशेषज्ञों/पेशेवरों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और शिक्षाविदों (कॉलेजों और विश्वविद्यालयों) को विनिर्माण प्रौद्योगिकी संबंधी विभिन्न मुद्दों पर प्रौद्योगिकी समाधान, सुझाव, विशेषज्ञों की राय आदि की सुविधा प्रदान करेंगे। इसके अलावा, ये प्लेटफॉर्म अनुसंधान एवं विकास तथा अन्य तकनीकी पहलुओं के संबंध में ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा।
    • प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन पंजीकरण निम्नलिखित यूआरएल के माध्यम से किया जा सकता हैःhttps://aspire.icat.in, https://sanrachna.bhe1.in/, https://technovuus.araiindia.coin/, https://techport.hmtmachinetoo1s.com, https://kite.iitm.ac.in/, htrps://drishti.cmti.res.in/. इन प्लेटफॉर्म्स पर 60,000 से अधिक विद्यार्थी, विशेषज्ञ, संस्थान, उद्योग और लैब अपना पंजीकरण करा चुके हैं।
  1. भारी उद्योग मंत्रालय भारतीय पूंजीगत वस्तु क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धिके दूसरे चरण को शुरू करने की प्रक्रिया में है, जिससे उत्पादों और प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण होगा। इस योजना के लिए कुल 1207 करोड़ रुपये का प्रस्ताव मंज़ूरी की दिशा में प्रक्रियाधीन है। इसमें 975 करोड़ रुपये की सरकारी बजटीय सहायता शामिल है।

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