जनजातीय कार्य मंत्रालय
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श्री अर्जुन मुंडा ने ट्राइफेड के 14 शहद किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का उद्घाटन किया


ट्राइफेड वनधन वृत्तांत, एमएफपी के लिए एमएसपी का एमआईएस पोर्टल लॉन्च किया गया

यूनिसेफ और ट्राइफेड के बीच 'आदिवासी संवाद नेटवर्क' के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए

राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, ऐसे में स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर समृद्ध भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जनजातीय लोगों के कल्याण हेतु कार्यक्रमों और गतिविधियों को तेज करने की आवश्यकता है: श्री अर्जुन मुंडा

Posted On: 23 DEC 2021 6:26PM by PIB Delhi

 

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ट्राइफेड की कई उल्लेखनीय पहल को नई दिल्ली में 23 दिसंबर 2021 को केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने ट्राइफेड के अध्यक्ष श्री रामसिंह राठवा, यूनिसेफ इंडिया के श्री यासुमासा किमुरा, ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में शुरू किया।

 

इन कार्यक्रमों में ट्राइफेड वनधन वृत्तांत का शुभारंभ, वन धन योजना पर एक गहन संसाधन तथा महत्वपूर्ण योजना में ट्राइफेड की गतिविधियां भी शामिल है; ट्राइब्स इंडिया, ट्राइफूड, एमएफपी के लिए एमएसपी तथा वन धन योजना पर राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) और 14 शहद किसान निर्माता संगठनों द्वारा द्वारा 9 प्रचार वीडियो बनाये गए हैं। इनके अलावा, यूनिसेफ और ट्राइफेड ने जनजातीय संवाद नेटवर्क के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

 

इस अवसर पर श्री मुंडा ने अपने संबोधन में कहा कि उन्हें ट्राइफेड वनधन क्रॉनिकल जैसी इन सभी उल्लेखनीय पहलों को लॉन्च करते हुए खुशी हो रही है, जिनके लिए ट्राइफेड काम कर रहा है। इस महत्वपूर्ण संसाधन के कार्यान्वयन से निश्चित रूप से ट्राइफेड द्वारा शुरू की गई बड़ी संख्या में आजीविका गतिविधियों के बारे में संवाद स्थापित होगा, जिसने 16 लाख से अधिक आदिवासियों के जीवन को परिवर्तित किया है; और यह भविष्य में इन गतिविधियों पर कार्य करने वाले अधिकारियों के लिए एक मैनुअल के रूप में भी काम करेगा। विस्तृत एमआईएस पोर्टल का शुभारंभ खरीद डाटा की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा जो प्रभावी निर्णय लेने और समग्र पारदर्शिता बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह सराहनीय है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय और ट्राइफेड की टीम ने पिछले कुछ वर्षों में कठिन परिस्थितियों के बावजूद काफी कुछ हासिल किया है।

 

केंद्रीय मंत्री ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यूनिसेफ के सहयोग से लंबे समय से उपेक्षा झेल रहे आदिवासियों को जोड़ने, उनसे बातचीत करने और समृद्धि लाने में मदद मिलेगी।

 

श्री अर्जुन मुंडा ने यह भी कहा कि राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, ऐसे में स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर समृद्ध भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जनजातीय लोगों के कल्याण हेतु कार्यक्रमों और गतिविधियों को तेज करने की आवश्यकता है।

 

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ट्राइफेड आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए कई उल्लेखनीय कार्यक्रमों को लागू कर रहा है। दो वर्षों की छोटी अवधि में, इसने अब तक सफलतापूर्वक 52976 वन धन स्वयं सहायता समूहों को 3110 वीडीवीकेसी में अनुमोदित किया है, जिसमें 9.27 लाख लाभार्थियों और 27 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है। ये वीडीवीकेसी विकास के विभिन्न चरणों में हैं और इसकी सफलता की कई कहानियां सामने आ चुकी हैं। महाराष्ट्र, मणिपुर, तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, केरल, त्रिपुरा, गुजरात, सिक्किम, आंध्र प्रदेश में वीडीवीकेसी ने सभी 27 प्रतिभागी राज्यों के साथ-साथ लगभग 600 किस्मों के उत्पादों की पैदावार शुरू कर दी है। रिटेल मार्केटिंग के तहत अब तक कुल 144 ट्राइब्स इंडिया आउटलेट खोले जा चुके हैं। इसके अलावा, वन धन केंद्रों के लाभार्थियों द्वारा खरीदे जा रहे विभिन्न वन उत्पादों के मूल्यवर्धन के लिए जगदलपुर और रायगढ़ (महाराष्ट्र) में दो ट्राइफूड परियोजनाओं को शीघ्र ही चालू किया जा रहा है।

 

ट्राइफेड वन धन: जनजातीय आचरण और उद्यम का एक वृत्तांत

 

ट्राइफेड वन धन वृत्तांत देश में आदिवासी उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए किए गए कार्यों और वन धन विकास योजना के तहत आदिवासी उद्यमियों की उपलब्धियों का दस्तावेजीकरण करता है। क्रॉनिकल ट्राइफेड द्वारा की गई अनेक गतिविधियों का गहराई से चित्रण करता है, जिसने लगभग 16 लाख आदिवासियों के जीवन को परिवर्तित किया है; जिसमें चुनिंदा वन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की शुरुआत, प्रशिक्षण प्रदान करना, वीडीवीकेसी में मूल्यवर्धन को प्रारंभ करना, विकसित नई उत्पाद लाइनें, पैकेजिंग और मार्केटिंग के लिए नए विचारों को लागू किया जाना तथा अब तक की अन्य उपलब्धियां और भविष्य की योजनाएं शामिल हैं।

 

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ट्राइब्स इंडिया, ट्राइफूड, एमएफपी के लिए एमएसपी और वन धन विकास योजना पर प्रोमोशनल वीडियो:

 

ट्राइब्स इंडिया, ट्राइफूड, एमएफपी के लिए एमएसपी और वन धन विकास योजना का प्रभावी ढंग से प्रचार करने तथा सफलतापूर्वक तरीके से संवाद स्थापित करने के लिए 9 प्रचार वीडियो भी आज लॉन्च किए गए। ये आकर्षक सूचनात्मक वीडियो राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) द्वारा विकसित किए गए हैं और जल्द ही प्रसारित किये जायेंगे।

 

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लघु वन उपजों (एमएफपी) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एमआईएस पोर्टल:

 

लघु वन उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए एमआईएस पोर्टल को आज लॉन्च किया गया, यह जनजातीय कार्य मंत्रालय और ट्राइफेड के अधिकृत उपयोगकर्ताओं के लिए तैयार किया गया एक डैशबोर्ड है। इस नियंत्रण-पट्ट में खरीद केंद्रों की सूची तथा उनके ठिकाने (मानचित्रों पर डिस्प्ले पिन सहित) और देश भर में की जा रही एमएफपी की खरीद से संबंधित डाटा वास्तविक समय के आधार पर उपलब्ध हैं। यह पोर्टल विश्लेषण करने और तेज एवं प्रभावी निर्णय लेने में खरीद संबंधी डाटा की तैयारी व ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु लॉन्च किया जा रहा है और यह खरीद गतिविधियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने तथा विभिन्न राज्यों एवं जिलों के प्रदर्शन और दक्षता पर गहन चिन्तन के लिए एक लंबा सफर तय करेगा।

 

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14 शहद किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन:

 

मधुमक्खी पालन और उत्पादन को किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास में "मीठी क्रांति" प्राप्त करने के लिए इसके प्रचार एवं विकास में भारत सरकार द्वारा महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक के रूप में मान्यता दी गई है। अगले पांच वर्षों में किसानों के लिए सतही अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु "10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन" नामक एक केंद्रीय योजना शुरू की गई है।

 

इस योजना के अंतर्गत चिन्हित संभावित जिलों/राज्यों में 100 एफपीओ का गठन कर मधुमक्खी पालन पर विशेष बल दिया गया है। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनएचबीएम) के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) ने देश में 100 समूहों में शहद के लिए वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन मूल्य श्रृंखला विकसित करने की योजना बनाई है। ट्राइफेड को कृषि मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा तथा गुजरात राज्यों में नेफेड और एनडीडीबी के साथ 14 शहद एफपीओ के गठन के लिए कार्यान्वयन एजेंसी बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री द्वारा आज इन 14 शहद एफपीओ का शुभारंभ भी किया गया।

 

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'आदिवासी संवाद नेटवर्क' को आगे बढ़ाने के लिए यूनिसेफ के साथ साझेदारी:

 

यूनिसेफ के साथ अपनी साझेदारी को जारी रखते हुए ट्राइफेड ने "कोविड टीका संघ, सुरक्षित वन, धन उद्यम" अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों के लिए कोविड -19 टीकाकरण में तेजी लाना था। अभियान का मुख्य उद्देश्य तीन प्रमुख जे यानी जीवन (जीवन), जीविका (आजीविका) और जागरूकता (जानकारी) तथा अभियान का मंत्र "संवाद से संबंध" था। यह यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से जनजातीय कार्य मंत्री द्वारा प्रारंभ किया गया था और वर्तमान में पूरे भारत में 100 आदिवासी जिलों में चलाया जा रहा है।

 

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इस साझेदारी की सफलता को देखते हुए यूनिसेफ और ट्राइफेड "जनजातीय संवाद नेटवर्क" - सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन (आकस्मिक डिजिटल, सामाजिक, वैकल्पिक तथा मोबाइल क्रांति पर निर्मित लोगों से लोगों की 'समृद्धि' मंच) के लिए जनजातीय नेटवर्क लॉन्च करने हेतु एक साथ आए हैं। इसके तहत विशाल नेटवर्क का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें 9 करोड़ से अधिक आदिवासी, 52,976 वन धन स्वयं सहायता समूह, 3110 वन धन विकास केंद्र क्लस्टर, बाजार संघ, हाट बाजार और ट्राइब्स इंडिया नेटवर्क एवं राज्य एजेंसियां शामिल हैं। इसके लिए ट्राइफेड और यूनिसेफ न केवल वीडीवीके बल्कि 9 करोड़ लोगों के इस विशाल आधार को भी इसमें शामिल करते हुए एक मजबूत संचार प्रणाली तथा मंच बनाने की इच्छा रखते हैं।

 

ट्राइफेड और यूनिसेफ जनजातीय समुदायों के आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण के लिए कई चैनलों तथा संचार रणनीतियों व उपकरणों का उपयोग करेंगे। इस साझेदारी को पक्का करने के लिए आज ट्राइफेड और यूनिसेफ के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

 

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शोध रिपोर्ट ओडिशा के जेडी सेंटर ऑफ आर्ट्स ऑन ट्राइबल लाइव्लीहुड के सहयोग से तैयार की गई:

 

ट्राइफेड ने जेडी सेंटर ऑफ आर्ट्स के सहयोग से ओडिशा राज्य के मयूरभंज, क्योंझर, सुंदरगढ़, कोरापुट और रायगढ़ जिलों में आदिवासी कला एवं परंपरा का सामाजिक-सांस्कृतिक शोध कार्य तथा मानवशास्त्रीय अध्ययन किया। 'जनजातीय आजीविका: जीविका से स्थिरता तक' शीर्षक वाली शोध रिपोर्ट आदिवासी समूहों की रचनात्मक क्षमताओं और आसपास के पर्यावरण के साथ उनके परस्पर जुड़ाव पर प्रकाश डालती है। यह रिपोर्ट जनजातीय कला एवं शिल्प के ज्ञान भंडार को संघटित करती है और उन तत्वों को भी शामिल करती है, जो जनजातीय समुदायों के सामाजिक-विकास को बढ़ावा देने के लिए जनजातीय जीवन शैली तथा आजीविका को नियंत्रित करते हैं। ज्ञान भंडार में 7 संगीत वाद्ययंत्रों की सांस्कृतिक, सामाजिक व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, 2 पेंटिंग और वस्त्र, 3 आजीविका कला एवं शिल्प, आदिवासी गहनों के 20 से अधिक सेट तथा औषधीय गुणों वाले 72 एमएफपी शामिल हैं। शोध रिपोर्ट का अनावरण भी आज जनजातीय कार्य मंत्री ने किया।

 

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