राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय

आरएटीएस एससीओ सदस्य देशों के लिए “समकालीन चुनौतीपूर्ण माहौल में साइबरस्पेस की सुरक्षा” पर 7-8 दिसंबर, 2021 को व्यावहारिक संगोष्ठी आयोजित हुई

Posted On: 09 DEC 2021 6:28PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस), भारत सरकार ने नॉलेज पार्टनर के रूप में डाटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) के साथ मिलकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के लिए समकालीन चुनौतीपूर्ण माहौल में साइबरस्पेस की सुरक्षा पर 7-8 दिसंबर को एक दो दिवसीय व्यावहारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

भारत ने 28 अक्टूबर, 2021 को एक साल की अवधि के लिए काउंसिल ऑफ रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर ऑफ एससीओ (आरएटीएस एससीओ) के अध्यक्ष का पद संभाला था। यह संगोष्ठी अपनी अध्यक्षता में भारत द्वारा आयोजित पहला कार्यक्रम है। यह दूसरी बार है कि भारत ऐसी किसी संगोष्ठी की मेजबानी कर रहा है। पहली संगोष्ठी अगस्त, 2019 में हैदराबाद में हुई थी। 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते संगोष्ठी नहीं हो सकी।

यह संगोष्ठी नीतियां और रणनीति, साइबर आतंकवाद, रैंसमवेयर और डिजिटल फॉरेंसिक्स अन्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों से संबंधित थी। आरएटीएस एससीओ की कार्यकारी समिति (ईसी) के प्रतिनिधियों और सभी एससीओ सदस्यों ने इस संगोष्ठी में भाग लिया।

कार्यक्रम मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले आतंकवादियों से जुड़े खतरों, प्रवृत्तियों, मुद्दों, प्रतिक्रियाओं और नैतिक प्रश्नों को समझने के क्रम में ऑनलाइन अपराध और आपराधिक व्यवहार में बदलाव पर केंद्रित रहा। कार्यक्रम में साइबर क्षेत्र से संबंधित एक अंतर क्षेत्रीय और बहुआयामी संदर्भ में मुद्दों का परीक्षण किया गया। इस तरह तमाम चुनौतियों को नए रूप में पेश किया गया। डिजिटल फॉरेंसिग परीक्षण के दौरान तकनीक चुनौतियों पर विभिन्न परिदृश्यों में विस्तार से चर्चा की गई थी।

संगोष्ठी ने आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरपंथ से साइबरस्पेस को सुरक्षित करने के उद्देश्य से कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता बढ़ाने के लिए एक व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया। वैश्विक उत्पादों और साधनों के प्रदर्शन के लिए, विभिन्न भारतीय डिजिटल फॉरेंसिक टूल्स और समाधान प्रदाताओं द्वारा एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।

भारत की यह पहल आरएटीएस एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का एक प्रयास है, जिससे आतंकवादियों, अलगाववादियों और कट्टरपंथियों द्वारा इंटरनेट के दुरुपयोग का मुकाबला किया जा सके।

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