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आईएफएफआई 52 में अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों ने गोल्डन पीकॉक अवार्ड सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतकर एक अमिट छाप छोड़ी
आईएफएफआई 52 में 73 देशों की 148 अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों का प्रदर्शन किया गया
गोवा में हाईब्रिड प्रारूप में 20 से 28 नवंबर तक आयोजित 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं की एक झलक देते हुए फिल्म प्रेमियों के लिए दुनिया भर के 73 देशों से आई अलग-अलग मिज़ाज की अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों का एक गुलदस्ता प्रदर्शित किया गया। अंतर्राष्ट्रीय खंड में फिल्म प्रेमियों को 148 फिल्में दिखाई गईं जिनमें 12 फिल्मों का वर्ल्ड प्रीमियर, 7 इंटरनेशनल प्रीमियर और 24 एशिया प्रीमियर शामिल हैं।
अपनी भावना के अनुरूप 52वें आईएफएफआई में विदेशी फिल्में प्रतिष्ठित सम्मान जीतकर एक अमिट छाप छोड़ रही हैं। विभिन्न श्रेणियों के तहत आज घोषित किए गए अधिकांश पुरस्कार विदेशी फिल्मों द्वारा जीते गए हैं। इसमें प्रतिष्ठित गोल्डन एंड सिल्वर पीकॉक अवार्ड्स, ब्रिक्स फिल्म फेस्टिवल अवार्ड्स और आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी अवार्ड शामिल हैं।
मसाकाज़ु कानेको की निर्देशित जापानी फिल्म 'रिंग वांडरिंग' को आईएफएफआई 52 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में चुना गया हैऔर आईएफएफआई के 52वें संस्करण में इसे प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक पुरस्कार प्रदान किया गया है।
इस फिल्म के लिए अपनी प्रशंसा जाहिर करते हुए फिल्म समारोह की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जूरी ने 2021 की फिल्म ‘रिंगू वांडरिंगु’ को कल्पना और वास्तविकता के बीच बेतहर तालमेल की शानदार फोटोग्राफी के लिए सराहा जो वर्तमान जापानी समाज में अतीत की गूंज के साथ एक खास आकर्षण पैदा करती है।
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए सिल्वर पीकॉक चेक निर्देशक वाक्लाव कद्रनका की फिल्म ‘सेविंग वन हू इज़ डेड’ को प्रदान किया गया है। यह एक चेक फिल्म है जो निराशा की सर्दी के बीच भी आशा की एक मोमबत्ती जलाए रखती है।जूरी ने इस फिल्म की प्रशंसा की है कि यह सायंबेला में फंसी एक मां और बेटे की ऐसी दृश्य कहानी है जिसमें मौत और जीवन की कल्पनाओं का इंद्रजाल बुना गया है और इसकी कल्पना बड़ी कुशलता और आत्म-विश्वास के साथ की गई है जहां पोर्ट्रेट शैली के प्रत्येक फ्रेम की रचना की गई है और इसे विवरण के साथ प्रदर्शित किया गया है।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) के लिए सिल्वर पीकॉक अवॉर्ड स्पेनिश अभिनेत्री एंजेला मोलिना को शार्लोट के रूप में उनकी भूमिका के लिए दिया गया। अपने अभिनय में उन्होंने समान रूप से सहानुभूति और हताशा का मनोरम प्रदर्शन किया है। फिल्म में जूरी ने पाया कि एंजेला मोलिना एक ऐसा चरित्र निभा रही है जो एक वृद्ध दिवा के रूप में चालाक और असुरक्षित दोनों है। "वह ऐसा प्रदर्शन करती है जिससे सहानुभूति और हताशा दोनों समान रूप से झलकता है और कैमरा के सामने उसका मोहक लेकिन ठगी से भरा अंदाज साफ दिखता है जिसने जूरी के सभी सदस्यों को भी मोहित कर लिया है।" फिल्म शार्लोट का निर्देशन पैराग्वे के साइमन फ्रेंको ने किया है। फिल्म सिने प्रेमियों के लिए नज़ारों सेभरपूर है, जिसमें अर्जेंटीना और पराग्वे के आकर्षक लैंडस्केप शामिल हैं।
अभिनेत्री रेनाटा कार्वाल्हो को ब्राजीलियाई निर्देशक रोड्रिगो डी ओलिवेरा की ‘द फर्स्ट फॉलन’ में सर्वोत्तम अभिनय के लिए सिल्वर पीकॉक स्पेशल जूरी अवॉर्ड दिया गया है जो एलजीबीटीक्यू समुदाय के अलिखित इतिहासऔर ब्राजील में 1980 के दशक में एड्स महामारी के खिलाफउनके संघर्ष के बारे में है। फिल्म ‘द फर्स्ट फॉलन’ फिल्म निर्देशक रोड्रिगो डी ओलिवेरा की 1980 के दशक में यौन अल्पसंख्यकों द्वारा झेली गई पीड़ा और भेदभाव की अनकही कहानियों को लिपिबद्ध करने (पर्दे पर दिखाने) का भावुक और साहसी प्रयास है।
निर्देशक रोमन वास्यानोव की रूसी फिल्म ‘द डीओआरएम/ऑब्स्चागा’ को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जूरी ने स्पेशल मेंशन अवॉर्ड से नवाजा है। जूरी ने कहा कि फिल्म ‘द डीओआरएम’ 1984 के तत्कालीन यूएसएसआर की कहानी है जिसे एक विश्वविद्यालय परिसर में रहने वाले कुछ युवाओं के नजरिए से जटिल और भ्रष्ट समाज का चित्रण करने के लिए अच्छी तरह से फिल्माया गया है।
निर्देशक मैरी एलेसेंड्रिनी की फिल्म ‘ज़होरी’ एक निडर युवा लड़की की कहानी है,जो अपनी आज़ादी के सपने को साकार करने के लिए स्कूल और माता-पिता के खिलाफ विद्रोह कर देती है। इस फिल्म को किसी निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फीचर फिल्म के लिए आईएफएफआई 52 अवॉर्ड प्रदान किया गया है।
डेब्यू डायरेक्टर और अभिनेता साइमन फैरियोल की स्पैनिश फिल्म ‘द वेल्थ ऑफ द वर्ल्ड / ला रिक्वेजा डेल मुंडो’ को डेब्यू फीचर फिल्म प्रतियोगिता श्रेणी में जूरी से स्पेशल मेंशन मिला है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता खंड मेंप्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक और अन्य पुरस्कारों के लिए चुनी गई 15 फिल्मों में से 12 विदेशी फिल्में थीं।
आईएफएफआई 52 के समापन समारोह में ब्रिक्स फिल्म महोत्सव छठे संस्करण के पुरस्कारों की घोषणा की गई।
निर्देशक एमी जेफ्ता की दक्षिण अफ़्रीकी फ़िल्म ‘बरकत’ और निर्देशक कोंगोव बोरिसोवा की रूसी फ़िल्म ‘द सन अबव मी नेवर सेट्स’ ने महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार साझा किया है। पहली बार ब्रिक्स फिल्म महोत्सव 20 से 28 नवंबर,2021 के दौरान गोवा में 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के साथ आयोजित किया गया था।
इन फिल्मों को मानवीय भावनाओं के शानदार सिनेमाई चित्रण और पर्दे पर शानदार कहानी कहने के लिए पुरस्कार दिए गए।
2022 के 94वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर के लिए दक्षिण अफ्रीका की आधिकारिक प्रस्तुति और सर्वश्रेष्ठ फिल्म‘बरकत’ एक उम्रदराज महिला के बारे में एक नाटकीय कॉमेडी है,जिसका उद्देश्य ईद के त्योहार पर अपने बिखरे परिवार को एक साथ लाना है,ताकि वह सबको चौंका देने वाली अपने नए रोमांस की खबर उन्हें दे सके। इस फिल्म नेविभिन्न अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में कई पुरस्कार जीते हैं।
अन्य सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार विजेता ‘द सन अबव मी नेवर सेट्स’ एक ऐसे युवक की कहानी है जो एक बूढ़े व्यक्ति में जीवन जीने के उत्साह को फिर से जगाने की कोशिश करता है ताकि वह अपनी खोई हुई बेटी को देख सके। यह फिल्म रूस का एक ऐसा कॉमेडी ड्रामा है जो कल्पना की एक प्रेरक कथा है और इसका निर्देशन लियूबोव बोरिसोवा ने किया है।
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार ब्राजीलियाई फिल्म निर्मात्री लूसिया मूरत को उनकी वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री) फिल्म ‘एना’ के लिए दिया गया। रियो डी जनेरियो में जन्मी लूसिया मूरत ब्राजील के नए सिनेमाई परिदृश्य से उभरती एक मजबूत आवाज है। उनकी फिल्म ‘एना’ मजबूत और बहादुर महिलाओं की कहानी है जो विषम लड़ाई लड़ती हैं और अपनी पहचान के लिए समाज की खींची सीमाओं से पार जाती हैं।
ब्राजील की अभिनेत्री लारा बोल्डोरिनी को उनकी फिल्म ‘ऑन व्हील्स’के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) पुरस्कार से सम्मानित किया गया,जो एक वयस्क आदमी की खोज की ऑन-रोड एक रोमांचक कहानी है।
इसके अलावा, चीनी निर्देशक यान हान को उनकी फिल्म ‘ए लिटिल रेड फ्लावर’ के लिए जूरी स्पेशल मेंशन अवार्ड प्रदान किया गया। यह फिल्म एक साधारण व्यक्ति की यथार्थवादी रोमांटिक कहानी है जो मौत के सामने प्यार और दया को तरजीह है।
इस वर्षआईएफएफआई ने दुनिया की पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं और अग्रणी फिल्म निर्माता देशों को एक साथ लाया है। इस प्रतिस्पर्धी समारोह की जूरी में 5 सदस्य शामिल हैं,जिसमें प्रत्येक ब्रिक्स देश से एक-एक सदस्य हैं।
पांच देशों अर्थात ब्राजील,रूस,दक्षिण अफ्रीका,चीन और भारत भी 52वें आईएफएफआई के फोकस देश थे और इस खंड के तहत कुल आठ फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। फोकस देश एक विशेष खंड है जो देश विशेष की सिनेमाई उत्कृष्टता और योगदान को मान्यता देता है।
लिंगुई,द सेक्रेड बॉन्ड्स- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सह-निर्मित ड्रामा फिल्म है। यह एक मां और बेटी के बीच के पवित्र संबंधों और पुरुषों के बनाए कठोर कानूनों के बीच उनके अस्तित्व की कहानी है। इस फिल्म को आईएफएफआई 52 में आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पुरस्कार मिला। यह फिल्म महिला संघर्ष और मानवता को एक सबक का एक साहसिक चित्रण है। फिल्म बेल्जियम, फ्रांस और जर्मनी के सहयोग से अरबी और फ्रेंच भाषा में बनाई गई है। आईसीएफटी यूनेस्को गांधी पुरस्कार ऐसी फिल्म को दिया जाता है जो महात्मा गांधी के शांति,सहिष्णुता और अहिंसा के आदर्शों को सबसे अच्छी तरह दर्शाती है।
52वें आईएफएफआई की ओपनिंग, मिड और क्लोजिंग फिल्मों के रूप में भी अंतरराष्ट्रीय फिल्मों ने अपनी अमिट कलात्मक और रचनात्मक छाप छोड़ी है।
कार्लोस सौरा की निर्देशित फिल्म 'द किंग ऑफ ऑल वर्ल्ड'(एल रे डी टोडो एल मुंडो) जो समारोह की ओपनिंग फिल्म थी, का आईएफएफआई 52 में अंतर्राष्ट्रीय प्रीमियर भी था। कार्लोस सौरा की लिखित और निर्देशित यह फिल्म उनकीम्यूजिकल ट्रायलॉजी की आखिरी फिल्म है जो उनकी अपनी फिल्मों कारमेन (1983)और टैंगो (1998)की उत्तराधिकारी की भूमिका में है। यह फिल्म विश्व सिनेमा के 80 वर्षीय फिल्म दिग्गज तथा ऑस्कर नामांकित कार्लोस सौरा और अकादमी पुरस्कार तथा आईएफएफआई 51 लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार विजेता छायाकार विटोरियो स्टोरारो के बीच सातवां सहकार्य है।
जेन कैंपियन की निर्देशित ‘द पावर ऑफ द डॉग’ और वेनिस फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में वैराइटी आर्टिसन अवार्ड का विजेता, आईएफएफआई में मिड फेस्ट फिल्म थी। आईएफएफआई 52 का समापन असगर फरहादी की कान्स ग्रां प्री पुरस्कार विजेता फिल्म ‘ए हीरो’ की स्क्रीनिंग के साथ हुआ।
जैसा कि कहा जाता है,कला की कोई सीमा नहीं होती। इसी बात पर आईएफएफआई दुनिया भर से कुछ बेहतरीन फिल्मों को चुनकर और विश्व सिनेमा में उनके अपार योगदान के लिए उन्हें मान्यता देते हुए वर्षों से अडिग रहा है।
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एमजी/एएम/एके/एसएस
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