महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 14-21 नवंबर 2021 के दौरान बच्चों के विचारों, अधिकारों और पोषण विषय के साथ 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाया

Posted On: 26 NOV 2021 7:23PM by PIB Delhi

भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के महत्वपूर्ण अवसर का जश्न मनाने के लिए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 14-21 नवंबर 2021 के दौरान 'बच्चों के विचारों, अधिकारों और पोषण' विषय के साथ आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। इसका उद्देश्य बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना और मुख्य रूप से बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआईएस) और विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों के जनता के बीच जाकर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से इस दिशा में समुदाय की सामूहिक विचार प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना था।

 

इस सप्ताह के दौरान, डब्लूसीडी मंत्रालय के अधिकारियों ने 17 बाल देखभाल संस्थानों का दौरा किया जिसमें राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह, विशेष बाल गृह और विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियां शामिल हैं, जो 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, असम, मध्य प्रदेश, मेघालय और मणिपुर) में मौजूद हैं। इसके अलावा संस्कृति और पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से बच्चों के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया।

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यह वास्तव में सीसीआई में बच्चों के लिए एक प्रेरक और शिक्षित करने वाला अनुभव था। उनके मासूमियत भरे स्वभाव और उत्साह ने सीसीआई में जीवंत और सकारात्मक माहौल बना दिया। हमारी मातृभूमि की महिमा का बखान करने वाली कविताओं का पाठ हो या गायन, उनकी मुस्कुराहट देखने लायक थी। बच्चों ने अपने पसंदीदा स्वतंत्रता सेनानियों के कहे प्रसिद्ध कथनों का मंचन किया और कैनवास पर विषय आधारित चित्रकारी की। उन्होंने पर्यावरण को बचाने, पौधे लगाने, प्लास्टिक का उपयोग कम करने जैसे कई संकल्प भी लिए। 'अगले 25 वर्षों के लिए भारत का दृष्टिकोण' विषय पर भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। बच्चों ने मातृभूमि के प्रति समर्पण भाव के साथ दिल को छू लेने वाले भाषण दिए। बच्चों ने सांस्कृतिक विरासत और भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के महान नेताओं और नायकों की कहानियों पर वीडियो स्क्रीनिंग का आनंद लिया। बच्चे खुशी-खुशी राष्ट्रीय संग्रहालय भी गए, जो सबमें कौतूहल पैदा करता है।

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सप्ताहभर, डब्लूसीडी मंत्रालय ने गोद लेने वाले माता-पिता और आगे गोद लेने के बारे में सोच रहे माता-पिता के साथ बैठकें की और विशेष कार्यक्रम/वेबिनार का आयोजन किया गया। ये बैठकें महाराष्ट्र में हुईं और एनआईपीसीसीडी गुवाहाटी में क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसका मकसद मुख्य रूप से कानूनी रूप से गोद लेने, गोद लेने के नियमों में परिवर्तन और एनआरआई माता-पिता पर इसके असर के बारे में बताना था। राज्य सरकारों, राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसियों, जिला बाल संरक्षण इकाइयों, विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों और विदेश में भारतीय मिशनों के अधिकारियों ने इन कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। विधि और न्याय मंत्रालय, बाल अधिकार केंद्र, एनसीईआरटी, यूनिसेफ के अधिकारियों और बच्चों के लिए काम कर रहे 1600 विभिन्न हितधारकों की भागीदारी के साथ एनआईपीसीसीडी द्वारा बाल अधिकारों पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया।

 

विदेश मंत्रालय ने प्रवासी बच्चों के लिए 'देखो अपना देश' विषय पर प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया। विभिन्न प्रतियोगिताएं जीतने के बाद पुरस्कार मिलने पर बच्चों का उत्साह चरम पर था।

 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने 21 नवंबर 2021 को गांधी दर्शन, नई दिल्ली में बाल संरक्षण से जुड़े मुद्दों के निवारक पहलुओं पर जोर देते हुए बाल अधिकारों पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि माननीय मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि किसी लोकतंत्र की सबसे अच्छी कसौटी यह होती है कि एक नागरिक और एक राष्ट्र के रूप में हम अपने सभी बच्चों को न्याय दिला पाते हैं या नहीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाल अधिकारों के प्रति समाज की चेतना को विकसित करना जरूरी है ताकि वे बच्चों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए आगे आ सकें। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें संसद द्वारा बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण, पॉक्सो अधिनियम और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम में संशोधन शामिल हैं। हालांकि, समाज लगातार बदल रहा है और प्रशासनिक जरूरतें गतिशील हैं, इसलिए यह हम पर निर्भर है कि हम समय के साथ चलें और चुनौतियों के समाधान के साथ तत्पर रहें। उन्होंने कार्यशाला के प्रतिभागियों से आग्रह किया कि जब वे गरीबी से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का विश्लेषण करें, तो उन उत्पीड़नों पर भी ध्यान दें जो समृद्ध परिवारों, शक्तिशाली संगठनों एवं बच्चों की देखभाल करने वाले संस्थानों में होते हैं। हम इस बात पर भी गौर करें कि एक प्रशासक के रूप में ही नहीं बल्कि एक नागरिक के रूप में कैसे इसका समाधान निकाल सकते हैं।

 

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डब्लूसीडी मंत्रालय के सचिव श्री इंदेवर पांडे ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी संस्थान, व्यक्तिगत रूप से या प्राधिकारी की देखभाल के दौरान उपेक्षा, हिंसा और दुर्व्यवहार (जो शारीरिक, यौन, आर्थिक शोषण हो सकता है) से संरक्षण हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। इस तरह की सुरक्षा के लिए बच्चों के अधिकार को बाल अधिकार (सीआरसी) पर संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन, 1989 और भारत के संविधान व कई अन्य कानूनों द्वारा मान्यता मिली हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत सरकार ने देश के बच्चों के हित में विभिन्न स्तरों पर संस्थागत तंत्र बनाए हैं। उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में बच्चों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता और साइको सोशल काउंसलिंग जैसे मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि मंत्रालय ने 'संवाद' की स्थापना की है जो एनआईएमएचएएनएस के साथ ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक संस्थागत तंत्र है।

 

एनसीपीसीआर कार्यशाला में देशभर में बाल अधिकारों पर काम कर रहे हितधारकों ने हिस्सा लिया, जिसमें राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के अध्यक्ष/सदस्य; मानव तस्करी विरोधी यूनिटों (एएचटीयू); बाल संरक्षण सेवा के तहत काम करने वाले अधिकारी; बाल अधिकारों के क्षेत्र में काम कर रहे एनजीओ के प्रतिनिधियों, वर्चुअल रूप से जुड़े केंद्र/यूटी के पंचायती राज विभाग, श्रम और शिक्षा विभाग के प्रतिभागी शामिल थे। एनसीपीसीआर कार्यशाला के दौरान बाल तस्करी से बचाव और पुनर्वास, बाल तस्करी के प्रकार, कोविड-19 महामारी के दौरान तस्करों की कार्य प्रणाली, बाल सुरक्षा, बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा और इसकी रोकथाम के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। एक खुली चर्चा भी आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता, अध्यक्ष एनसीपीसीआर ने की। इस दौरान सड़कों पर बच्चों की स्थिति की बात करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत सीआईएसएस पर उठाए जाने वाले कदमों की चर्चा की गई।

 

डब्लूसीडी मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के तहत एक सप्ताह तक हुए कार्यक्रमों का पूरा पैकेज बच्चों को अपनी रचनात्मकता के बारे में जागरूक करने के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा जिससे वे नए और अभिनव विचारों को आत्मसात कर आत्मनिर्भर बन सकें। देशभक्ति, देश की उपलब्धियों पर गर्व की भावना का आह्वान किया गया क्योंकि हम एक आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

 

21 नवंबर को महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी ने एक ट्वीट संदेश में अपने देश के लिए एक संकल्प लेने को प्रोत्साहित किया। केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट में कहा, 'प्यारे #ChildrenOfNewIndia, हमारे राष्ट्र के अगले 75 साल आपके हैं। एक मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में योगदान करने का संकल्प लें। आपके सपने हमारे हैं जिन्हें पूरा करने के लिए हम अपना कर्तव्य निभाना जारी रखेंगे। आओ मिलकर एक नया भारत बनाएं!'

 

 

एसजी/एएम/एएस/डीवी


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