विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

एसटीईएम सम्मेलन में भारत-इजरायल महिलाओं में सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन, फ्लेक्‍सी कार्य समय और लैंगिक भेदभाव के बिना वेतन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया

Posted On: 26 NOV 2021 4:09PM by PIB Delhi

भारत और इज़राइल के विशेषज्ञों ने 24 नवम्बर 2021 नवंबर को आयोजित विज्ञान, प्रौद्योगिकी अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) एवं गणित (एसटीईएम) सम्मेलन में भारतीय-इजराइली महिलाओं के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग)  और गणित (एसटीईएम) के क्षेत्र में लैंगिक समानता प्राप्त करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करते हुए सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण में बदलाव की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन  ने इस सम्मेलन में अपने सम्बोधन में कहा कि "एसटीईएम क्षेत्रों में महिलाओं की कम भागीदारी के बारे में 3 मुख्य मुद्दे हैं जो कई सदियों से ऐतिहासिक रूप से मौजूद हैं- एस एंड टी विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने आर्थिक क्षेत्र में कितनी अच्छी तरह बदलाव किया है और हमारे संस्थान किस प्रकार निर्मित किए गए हैं। ऐसे में विज्ञान और प्रौद्योगिकी कार्य समय में सुविधानुसार लचीलेपन के साथ विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) और गणित (एसटीईएम) के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए लैंगिक भेदभाव के बिना भुगतान शुरू करके समाज में एक परिवर्तन ला सकता हैI भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और इजराइल सरकार के नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमओआईएसट) ने संयुक्त रूप से  इस सम्मेलन का आयोजन किया है I

इजराइल के नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ़ इनोवेशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी -एमओआईएसटी) की उप-प्रमुख वैज्ञानिक सुश्री गया लॉरेन ने कहा कि इज़राइल का नवाचार प्राधिकरण (इनोवेशन अथॉरिटी) भविष्य में देश की उन्नति के लिए तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को एक निवेश के रूप में देखता है और उन्होंने उल्लेख किया किया कि यह इस दिशा में मार्गदर्शक मंच बनाने के लिए संयुक्त सम्मेलन की एक पहल हो सकती है।

इज़राइल में भारत के राजदूत महामहिम संजीव सिंगला ने बताया कि भारत दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक पूलों में से एक होने के नाते महिलाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) और गणित (एसटीईएम) के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उत्साहजनक कदम उठा रहा है। उन्होंने इस ऑनलाइन सम्मेलन में कहा कि सफल सहयोग के इतिहास वाले दोनों देश एसटीईएम में लैंगिक असमानता को पाट सकते हैं।

भारतीय-इजराइली महिलाएं: : विचारों और पहलों को साझा करना (इंडिया- इजराइल वीमेन –शेयरिंग ऑफ़ आईडियाज एंड इनिसिएटिव्स) विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में       भारत में इज़राइल के राजदूत महामहिम नाओर गिलोन ने में जोर देकर कहा," प्रौद्योगिक  क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी आगे चल कर महिलाओं को अधिक मजबूत और प्रभावशाली बनाएगी, जिससे समाज में उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में और सुधार आएगा।"

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सलाहकार एसके वार्ष्णेय ने अपने सम्बोधन में कहा कि विज्ञान में ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जिनमें महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है; हालाँकि, भौतिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे क्षेत्रों में पाठ्यक्रम सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने डीएसटी के कुछ उन प्रमुख कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला, जिनका उद्देश्य विज्ञान के क्षेत्र से बाहर निकल चुकी महिलाओं को फिर से वैज्ञानिक कार्यों में वापस लाना है। वे महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन भी देते हैं, महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ संस्थानों में लैंगिक संतुलन को भी प्रोत्साहित करते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी)  की सलाहकार, डॉ. निशा मेंदीरत्ता ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी से संबंधित प्रमुख मुद्दों में से एक एसटीईएम में लैंगिक परिभा-पलायन (जेंडर ब्रेन-ड्रेन) है। इसे 2019 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को –यूएनईएससीओ) द्वारा रिपोर्ट किया गया था और यह विज्ञान में उच्च अध्ययन, विशेष रूप से डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट स्तरों पर लैंगिक  अंतर से भी स्पष्ट होता है। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि समाज, व्यवस्था (सरकार की नीति), परिवार और कार्य क्षेत्र से समर्थन तथा आत्म-प्रेरणा महिला सशक्तिकरण को सक्षम करने में मदद कर सकती है।

डॉ. रेणु स्वरूप, पूर्व सचिव विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने एसटीईएम क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण परिवर्तन पर अधिक ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा," दोनों देशों में ऊष्मायन केंद्रों को जोड़ने वाले संयुक्त कार्यक्रमों और महिलाओं के लिए इन्क्यूबेशन  सेंटर्स स्थापित करने जैसे संयुक्त कार्यक्रमों में  अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी की अनुमति देने के लिए सक्षम बनाने में दोनों सरकारों को एक प्रमुख भूमिका निभाने की जरूरत है। "

इज़राइल से सुश्री हिला ओविल ब्रेनर और केरेन होड ने अपने उद्यमिता अनुभव को साझा किया। उन्होंने महिलाओं को उपयुक्त उपकरण और मार्गदर्शन प्रदान करके उद्यमियों के रूप में अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

भारत से प्रो. वैष्णवी अनंतनारायणन और इज़राइल से प्रो. राचेल एरहार्ड ने शिक्षा क्षेत्र में लैंगिक अंतर को पाटने के तरीकों के बारे में बात कीI सुश्री नंदिता जयराज, डॉ. अवितल बेक, डॉ. मैत्री गोपालकृष्ण, रिनत शफ़रान, डॉ. मनाल हज जारोबी, ओरिट हर्शिग- कोहेन , प्रो. शोभना नरसिम्हन, और डॉ. उज्ज्वला तिर्की ने भी अपने-अपने अनुभवों के बारे में बताया।

 

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