सूचना और प्रसारण मंत्रालय
‘रेन’ पारिवारिक शक्ति संरचनाओं से एक नौजवान के मुक्त होने की जद्दोजहद की पड़ताल करती है
फिल्मों को किसी के असल ‘स्व’ की ईमानदार और सहज अभिव्यक्ति होना चाहिए: निर्देशक जानो जर्गन्स
रेन एस्टोनियाई निर्देशक जानो जर्गन्स की पहली फीचर फिल्म है। यह फिल्म परिवार के भीतर पिता और पुत्र के बीच के शक्ति संबंधों के आयामों की तड़ताल करती है। पीढि़यों का टकराव-बुजुर्ग बनाम नौजवान ही मोटे तौर पर वह थीम है, जिसके गिर्द पूरी फिल्म घूमती है। यह बात जर्गन्स ने 52वें इफ्फी के दौरान आज मीडिया को संबोधित करते हुए कही।
जर्गन्स ने कहा कि नॉर्डिक स्वभाव से ही अपनी भावनाओं को अपने मन के भीतर ही रखने वाले होते हैं। उनके लिए इन्हें व्यक्त करना आसान नहीं होता । उन्होंने कहा, "कुछ ऐसी भावनाएं हैं, जिन्हें मैं अपने असली जीवन में व्यक्त नहीं कर पाता, उन्हें फिल्म के माध्यम से व्यक्त करना चाहता हूं।"
फिल्म के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह आत्म-अन्वेषण और स्वयं को तलाशने की यात्रा थी। जर्गन्स ने कहा, “मेरे भीतर कई अनुत्तरित प्रश्न थे जिन्हें मैं वास्तविक जीवन में कभी व्यक्त नहीं कर सकता था। मैंने वे प्रश्न अपने भाइयों से पूछने के लिए ही यह फिल्म बनाई।"
लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल के लिए चुनी गई उनकी लघु फिल्म डिस्टेंस भी सामाजिक स्तरों के भीतर मौजूद शक्ति-संरचनाओं और उन्होंने तोड़ देने की इच्छा रखने वाले युवक के थीम पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि फिल्मों को किसी व्यक्ति के असल ‘स्व’ की ईमानदार और सहज अभिव्यक्ति होना चाहिए।
अपनी फिल्म के निर्माण के बारे में उन्होंने कहा, "यह एक लंबी प्रक्रिया थी और इसके आइडिया से लेकर इस फिल्म को पूरा करने में हमें 7 साल लग गए। यह सफल रही और हम यहां आकर खुश हैं।"
फिल्म के लेखक एंटी नौलाएनेन ने कहा कि भाषा, आदतों और तकनीक के उपयोग से लेकर कई मोर्चों पर एक परिवार के भीतर पीढ़ीगत अंतराल है।
इफ्फी में अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, "हमने इफ्फी तक पहुंचने के लिए लगभग 7000 किलोमीटर की यात्रा की है, लेकिन हर जगह के लोग एक जैसे ही होते हैं, इसलिए भावनाएं और समस्याएं भी एक जैसी ही होती हैं। यह एक अद्भुत समारोह है जो दुनिया भर के लोगों को सिनेमा के माध्यम से जोड़ता है।"
इस अवसर पर फिल्म की सहायक निर्देशक सुश्री हेनेल जर्गन्स भी उपस्थित थीं।
रेन का प्रदर्शन भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के 52वें संस्करण में किसी निर्देशक की पहली सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए प्रतिस्पर्धा श्रेणी में की जा रही है।
फिल्म के बारे में
यह एस्टोनिया की फिल्म है। फिल्म का नायक रेन अपने छोटे भाई एट्स का पीछा करता है और अचानक अपने पैतृक घर पहुंच जाता है, जो समुद्र तट पर बसे एक छोटे से कस्बे में स्थित है। यहां उसका सामना सख्त स्वभाव के पिता केलजू और मां से होता है, जो प्यार को खो देने के कगार पर है। एट्स अपने पिता और भाई के बीच होने वाले टकराव का गवाह है। वे दोनों ही अलग-अलग विचारों, अलग-अलग पीढ़ियों के दो जिद्दी स्वभाव के व्यक्ति हैं। जब पिता रेन को अपनी दुनिया की चारदीवारी में घसीटने की कोशिश करता है,तो रेन को संदिग्ध किरदार की रहस्यमयी महिला एलेक्जेंड्रा में उम्मीद की किरण दिखाई देती है।
निर्देशक: जानो जर्गन्स
निर्माता: क्रिस्टजेन पत्सेप
पटकथा: जानो जर्गन्स,, एंटी नौलाएनेन
डीओपी: एरिक पोलुमा
संपादक: प्रेज़ेमिस्लॉ क्रुस्सिएलेव्स्की
कलाकार : अलेक्सेई बेलजाजेव, मार्कस बोर्कमैन, मीलो एलिसाबेट क्रीसा
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एमजी/एएम/आरके
(Release ID: 1774477)
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