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"ऐट डाउन तूफान मेल" पैसे से नहीं बल्कि जुनून से बनी फ़िल्म है: आकृति सिंह


ये फ़िल्म एक असल कहानी का एक काल्पनिक प्रस्तुतिकरण है

मैं चाहती हूं कि मेरी फ़िल्म लोगों को फ़िल्ममेकिंग के मौलिक अस्तित्व संबंधी प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करे

52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव (इफ्फी), गोवा के दौरान आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए निर्देशक आकृति सिंह ने कहा, "मैं चाहती हूं कि ये फ़िल्म लोगों को पैसे या किसी और चीज के बहकावे में आए बगैर अपनी कहानी कहने के लिए प्रेरित करे। 'ऐट डाउन तूफ़ान मेल' पैसे से नहीं बल्कि जुनून के साथ बनाई गई फ़िल्म है।”

आकृति ने कहा कि आज सबके पास मोबाइल फोन है और हम सब अपने वीडियो शूट करते हैं और हर पल कोई न कोई कहानी अपने करीबियों और प्रियजनों को दिखाते हैं। आने वाले समय में फ़िल्ममेकिंग की शैली बदलने वाली है। उन्होंने कहा, "मैं चाहती हूं कि मेरी फ़िल्म लोगों को कला की इस बदलती शैली और नए जमाने की फ़िल्ममेकिंग की बारीकियों पर सवाल पूछने को मजबूर करे।"

अपने निर्देशन में बनी इस पहली फ़िल्म की कहानी बताते हुए आकृति ने कहा, “एक महिला जो अवध की रानी होने का दावा करती है, वो 1974 में नई दिल्ली आई और अपनी संपत्ति वापस मांगने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलना चाहती थी। आकृति ने बताया, “ये फ़िल्म उस असल कहानी का एक काल्पनिक प्रस्तुतिकरण है। मैंने उस असल घटना का बीज लिया है और उसे एक काल्पनिक स्पर्श दिया है। मैंने इस कहानी का दस्तावेजीकरण करने के बजाय कुछ और बताने की कोशिश की है।”

उन्होंने कहा, “हम कुछ एक दोस्त हैं जो थिएटर करते हैं। हम साथ आए और एक महिला की इस पागलपन भरी कहानी कहना चाहते थे। हम में से कोई सिनेमैटोग्राफर था, कोई अदाकार; ये फ़िल्म हम में से कई लोगों के लिए पहला मौका है।”

एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि स्टेज पर होने या कैमरे का सामना करने की खुशी सारी मुश्किलों को पार कर जाती है। अपनी सफलता का राज़ बताते हुए आकृति ने कहा, “किसी भी क्षेत्र की विलक्षणता मुझे प्रेरित करती है। यही मुझे चलाए रखता है।”

इफ्फी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं इफ्फी में आकर बहुत अभिभूत हूं, जो कि एक अद्भुत मंच है। ये पहली बार है जब मैं दर्शकों के साथ बैठी और अपनी फ़िल्म को लाइव देखा। स्क्रीनिंग के दौरान मैं सचमुच रो रही थी।"

इस प्रेस वार्ता में फ़िल्म के निर्माता शौर्य अग्रवाल और अभिनेता सूर्य राव भी मौजूद थे।

फ़िल्म के बारे में

ऐट डाउन तूफान मेल (भारतीय पैनोरमा फीचर फ़िल्म)

निर्देशक: आकृति सिंह

निर्माता: शौर्य अग्रवाल

पटकथा: आकृति सिंह

डीओपी: शौर्य अग्रवाल

संपादक: आकृति सिंह

कलाकार: आकृति सिंह, सूर्य राव, अरशद मुमताज़

निर्देशक का परिचय:

आकृति सिंह एक अदाकार, निर्देशक, लेखिका, कवि और एक थिएटर कंपनी की मालिक हैं। टेलीविज़न में थोड़ा समय काम करने के बाद थिएटर में उन्हें अपनी असली मंजिल मिली। 'ऐट डाउन तूफान मेल' आकृति सिंह की बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म है।

निर्माता का परिचय:

शौर्य अग्रवाल सिनेमा और फोटोग्राफी के जुनून वाले आईटी पेशेवर हैं। अपने निर्माण वाली इस पहली फ़िल्म 'ऐट डाउन तूफान मेल' का सह-लेखन और छायांकन भी उन्होंने किया है।

कहानी:

1974 में एक महिला नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरी और उसने दावा किया कि वो अवध की रानी है। उसने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने के लिए समय मांगा। वो महिला इस सवाल का जीता जागता जवाब थी कि 'आप रानी कैसे बनते हो?' ये फ़िल्म नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 1970 के दशक में घटी सच्ची घटनाओं पर आधारित लगभग ठगी की कहानी है। इसमें अवध के नवाब हैं, बीबीसी के पत्रकार हैं, स्टेशन मास्टर है, एक रिक्शा चालक है और एक रानी है।

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