भारी उद्योग मंत्रालय

एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) पीएलआई स्कीम के लिए संभावित बोली लगाने वालों के लिए भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित पूर्व-बोली सम्मेलन को अच्छी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई


एमएचआई ने 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 50 गीगा वाट घंटे (जीडब्ल्यूएच) के एसीसी बैटरी स्टोरेज की कुल विनिर्माण क्षमता के लिए बोली लगाने वालों को आमंत्रित करते हुए अक्टूबर में आरएफपी जारी किया

गुणवत्ता एवं लागत आधारित चयन ( क्यूसीबीएस) तंत्र के तहत दो चरण वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से ऑनलाइन बोली लगाई जाएगी

Posted On: 16 NOV 2021 3:34PM by PIB Delhi

एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) पीएलआई स्कीम के लिए संभावित बोली लगाने वालों के लिए भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित पूर्व-बोली सम्मेलन व्यापक में भागीदारी हुई और दिलचस्पी प्रदर्शित की गई। बोलीदाताओं ने व्यक्तिगत रूप से और वर्चुअल दोनों तरीकों से भाग लिया और लगभग 20 कंपनियों के लगभग 100 प्रतिभागी इसमें शामिल हुए। 

 पूर्व-बोली सम्मेलन का आयोजन भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) द्वारा 12 नवंबर, 2021 को किया गया था। इससे पहले, एमएचआई ने 22 अक्टूबर, 2021 को 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 50 गीगा वाट घंटे (जीडब्ल्यूएच) के एसीसी बैटरी स्टोरेज की कुल विनिर्माण क्षमता के लिए बोली लगाने वालों को आमंत्रित करते हुए अक्टूबर में आरएफपी जारी किया था।

देश में एसीसी बैटरी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नियम एवं शर्तों, एसीसी विनिर्माण के तकनीकी विवरणों और विभिन्न प्रोत्साहनों तथा अवसरों पर प्रस्तुतियां दी गई थीं। बोली पूर्व सम्मेलन में बोली लगाने वालों के प्रश्नों का समाधान किया गया और उनसे ई-मेल के जरिये भी और स्पष्टीकरण मांगने को कहा गया।

बोली, गुणवत्ता एवं लागत आधारित चयन (क्यूसीबीएस) तंत्र के तहत एक पारदर्शी दो चरण वाली प्रक्रिया के माध्यम से ऑनलाइन लगाई जाएगी।

चयन प्रक्रिया की मुख्य विशेषताओं में आर्हता मानदंडों को पूरा करना, पारदर्शी बोली प्रक्रिया, एसीसी बैटरी विनिर्माण के नवोन्मेषण में पूर्ण लचीलापन, अनुकूलित भुगतान संरचनाएं, घरेलू मूल्यवर्धन के जरिये आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना तथा एसीसी विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना शामिल हैं।

एसीसी नई पीढ़ी की उन्नत भंडारण प्रौद्योगिकियां हैं जो या तो इलेक्ट्रोकैमिकल के रूप में या कैमिकल एनर्जी के रूप में इलेक्ट्रिक एनर्जी को स्टोर कर सकती हैं और आवश्यकता पड़ने पर इसे वापस इलेक्ट्रिक एनर्जी में कन्वर्ट कर सकती हैं। उम्मीद है कि कंज्यूमर इलेक्ट्रोनिक्स, बिजली के वाहन, उन्नत इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड, सोलर रूफ टाप आदि जो बैटारी का उपभोग करने वाले प्रमुख सेक्टर हैं, की बिक्री की मात्रा में आने वाले वर्षों में मजबूत वृद्धि होने की उम्मीद है। ऐसी उम्मीद की जाती है कि प्रमुख बैटरी प्रौद्योगिकियां विश्व के कुछ सबसे बड़े सेक्टरों को नियंत्रित करेंगी। 

हालांकि कई कंपनियों ने पहले से ही बैटरी पैकों में निवेश करना आरंभ कर दिया है लेकिन वैश्विक औसत को देखते हुए इन फैसिलिटिीज की क्षमताएं बहुत कम हैं। भारत में एसीसी के मूल्यवर्धन के साथ साथ विनिर्माण में अभी भी मामूली निवेश किया गया है। भारत में एसीसी की सभी मांगों को वर्तमान में आयातों के जरिये पूरा किया जाता है। राष्ट्रीय एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज कार्यक्रम आयात पर निर्भरता में कमी लाएगा। यह आत्म निर्भर भारत पहल में सहायता करेगा।

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