विधि एवं न्‍याय मंत्रालय

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने विधिक सेवा दिवस मनाया

Posted On: 09 NOV 2021 6:12PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने आज उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में विधिक सेवा दिवस मनाया। इस अवसर पर आईओएस मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया। भारत के मुख्य न्यायाधीश और नालसा के मुख्य संरक्षक श्री न्यायमूर्ति एन.वी. रमण इस समारोह के मुख्य अतिथि थे। केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू और श्री न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित इस समारोह के विशिष्ट अतिथि थे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष श्री न्यायमूर्ति एम.एन.भंडारी और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, न्यायिक अधिकारियों आदि सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस समारोह की शोभा बढ़ाई।

श्री न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने इस अवसर पर विधिक सहायता संबंधी जागरूकता के महत्व पर एक नाटिका का शुभारंभ करने के लिए महर्षि विश्वविद्यालय के छात्रों की सराहना की। उन्होंने लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने के संवैधानिक अधिकार के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए संचार के विभिन्न के माध्यमों के जरिए व्यापक प्रसार के महत्व पर बल दिया। उन्होंने इस अधिकार के बारे में जानकारी के अभाव के समाप्त होने की आशा व्यक्त की ताकि अधिक से अधिक लोग इस अधिकार का लाभ उठाने के लिए आगे आयें। उन्होंने नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के बारे में अज्ञानता को मिटाने के उद्देश्य से विधिक सहायता से जुड़े कार्यक्रमों में कानून के छात्रों के शामिल होने के महत्व पर जोर दिया।

सभा को संबोधित करते हुए,केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने देश के प्रत्येक हिस्से में कानून के बारे में जागरूकता फैलाने की दिशा में की गई पहलों और उपायों के लिए विधिक सेवा प्राधिकरणों की सराहना की। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश मामलों की सुनवाई के अपने काम में व्यस्त होते हैं और इसलिए नागरिकों के बीच कानून के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की सेवाओं की जरूरत है। उन्होंने लोक अदालत के संचालन और उनके द्वारा समय पर न्याय प्रदान किये जानेपर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे लोगों के दरवाजे तक न्याय पहुंचा है। उन्होंने कहा कि निचले स्तर पर मौजूद न्यायपालिका की ओर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय तक पहुंच और आम आदमी के बीच की सेतु को जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक मजबूत न्यायपालिका का होना जरूरी है।

उन्होंने सभी विधि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के मानकों को उन्नत बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार कानून के छात्रों के करियर को ध्यान में रखकर वैकल्पिक निवारण तंत्र और ऐसे अन्य रास्तों की तलाश कर रही है। उन्होंने भारत को मध्यस्थता का वैश्विक केंद्र बनाने के प्रधानमंत्री के वादे को याद किया। उन्होंने एक सरल और छोटा कानून लाने का पक्ष लिया ताकि आम आदमी कानून को आसानी से समझ सके।

केन्द्रीय मंत्री ने 1948 में की गई मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 8 का उल्लेख किया जिसमें यह कहा गया है कि “संविधान या कानून द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कृत्यों के खिलाफ हर किसी को सक्षम राष्ट्रीय न्यायाधिकरणों द्वारा  प्रभावी उपचार पाने का अधिकार है।”

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 39ए सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के प्रतिमान के बारे में बताता है। उन्होंने कहा कि “समान न्याय और मुफ्त कानूनी सहायता” की संवैधानिक दृष्टि एक ऐसे राष्ट्र के लिए अनिवार्य है, जहां लाखों लोग घोर गरीबी में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकार होने भर से कोई देश महान नहीं हो जाता। लोगों को मौलिक कर्तव्यों के बारे में पता होना चाहिए और उन्हें उनका पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर उचित कानूनी सहायता दी जाए, तो एक आम आदमी सम्मानजनक जीवन जी सकता है।

न्यायमूर्ति श्री एन.वी. रमण ने कानून के बारे में जागरूकता फैलाने और गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए न्याय कायम रखने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की सराहना की। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के मंत्र "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए" का हवाला देते हुए कहा कि अभी थोड़ी देर पहले प्रदर्शित की गई नाटिका इस मंत्र को दर्शाती है। उन्होंने विधिक सेवा दिवस को भव्य रूप से सफल बनाने के लिए कानून के छात्रों की सराहना की। उन्होंने इतने बड़े पैमाने पर विधिक सेवा दिवस मनाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए विधिक सेवा आंदोलन को याद किया। उन्होंने कहा कि पहले विधिक सहायता की सेवा अदालत के कक्ष तक ही सीमित थी,लेकिन अब इसका विस्तार कानून के बारे में जागरूकता, कानून से जुड़ी साक्षरता, सामाजिक कार्रवाई से संबंधित मुकदमेबाजी, वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र आदि तक हो गया है।

उन्होंने कहा कि इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय परिसर में मध्यस्थता केंद्र के लिए नए भवन का उद्घाटन किया गया। उन्होंने कानून के छात्रों से बेसहारा लोगों की आवाज बनने और सामाजिक समस्याओं के बारे में सतर्क रहने तथा उनका हल निकालने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने लोगों के बीच कानून के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कानून के छात्रों की सराहना की। उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के बहु-भाषी पोर्टल के शुभारंभ की सराहना की जिससे नालसा की पहुंच का विस्तार हुआ है। उन्होंने लोगों में कानून के बारे में जागरूकता फैलाने की दिशा में नालसा के कार्यों की सराहना की।

भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण ने विधिक सहायता के बारे में जागरूकता से संबंधितएक चार दिवसीय लघु फिल्म महोत्सव का उद्घाटन किया। इस लघु फिल्म महोत्सव का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में किया जा रहा है। इस महोत्सव के लिए महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों, मादक पदार्थों के बारे में जागरूकता आदि से संबंधित 300 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं।

विधि महाविद्यालयों के छात्रों के बीच हुए मूट कोर्ट प्रतियोगिता और भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए गए।

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एमजी/एएम/आर



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