पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत का पहला और अनूठा मानव युक्त समुद्र मिशन ‘समुद्रयान’ चेन्नई से लॉन्च किया
भारत भी अब संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन के उस विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है जिनके पास समुद्र के अंदर की गतिविधियों के लिए मानव युक्त मिशन चलाने की क्षमता है: डॉ. जितेंद्र सिंह
Posted On:
29 OCT 2021 5:44PM by PIB Delhi
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री; लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज चेन्नई से भारत के पहले मानव युक्त समुद्र मिशन ‘समुद्रयान’ का शुभारंभ किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन के बाद भारत भी उस विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है जिनके पास समुद्र के अंदर की गतिविधियों के लिए मानव युक्त मिशन चलाने की क्षमता है।
इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह विशिष्ट प्रौद्योगिकी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को समुद्र में 1000 से 5500 मीटर की गहराई में पाए जाने वाले पॉलिमेटेलिक मैंगनीज नोड्यूलस, गैस हाइड्रेट्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड्स और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे निर्जीव संसाधनों के अन्वेषण की दिशा में सुविधा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ का प्रारंभिक डिजाइन तैयार कर लिया गया है और इसरो, आईआईटीएम तथा डीआरडीओ सहित विभिन्न संगठनों के साथ इसको मूर्त रूप देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि 500 मीटर तक की गहराई में जाने में सक्षम इस मानवयुक्त पनडुब्बी के प्रारम्भिक संस्करण का समुद्री परीक्षण 2022 की अंतिम तिमाही में होने की संभावना है और मत्स्य 6000, के गहरे पानी में जाने में सक्षम संस्करण के 2024 की दूसरी तिमाही तक परीक्षण के लिए तैयार हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अधिक कुशल, विश्वसनीय और सुरक्षित मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित करने में धातु विज्ञान, ऊर्जा भंडारण, पानी के भीतर नेविगेशन और विनिर्माण सुविधाओं में उन्नत प्रौद्योगिकियां महत्वपूर्ण होती हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पानी के अंदर अन्वेषण के लिए भेजे जाने वाले वाहनों को हाई रिजोल्यूशन बैथीमेट्री, जैव विविधता का आकलन, भू-वैज्ञानिक अवलोकन, खोज गतिविधियों के साथ-साथ बचाव अभियान और इंजीनियरिंग सहायता जैसी गतिविधियों को पूरा करने में सक्षम होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समुद्री खोज में भले ही मानव रहित वाहनों की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और उत्कृष्ट दृश्यता प्रणालियों से उन्हें सुसज्जित किया जा सका है परंतु मानवयुक्त पनडुब्बी की मदद से शोधकर्ताओं को प्रत्यक्ष उपस्थित होकर खोज का विशिष्ट अनुभव प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होगा। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि समुद्र के भीतर की प्रौद्योगिकियों के उन्नयन से चीन द्वारा 2020 में विकसित की गई मानवयुक्त पनडुब्बी फेंडोज़े ने हाल ही में 11000 मीटर की गहराई तक गोता लगाया था।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि मानव रहित रोबोटिक वाहनों और 6000 मीटर की गहराई तक जाने में सक्षम सिस्टम के विकास में दो दशकों से अधिक के अनुभव के आधार पर, मंत्रालय -एनआईओटी, डीप ओशन मिशन के अंतर्गत 6000 मीटर की गहराई क्षमता के साथ स्वदेशी मानवयुक्त सबमर्सिबल विकसित कर रहे हैं। मानवयुक्त सबमर्सिबल को 2.1 मीटर व्यास वाले टाइटेनियम मिश्र धातु कार्मिक क्षेत्र में तीन व्यक्तियों को ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसकी सामान्य परिचालन क्षमता 12h की होगी और आपातकालीन स्थिति में इसकी परिचालन क्षमता को 96h तक किया जा सकेगा।
मानवयुक्त सबमर्सिबल के कुछ महत्वपूर्ण उप-प्रणालियों में टीआई मिश्र धातु कार्मिक क्षेत्र का विकास, संलग्न स्थान में मानव सहायता और सुरक्षा प्रणाली, कम घनत्व वाले मॉड्यूल, गिट्टी और ट्रिम सिस्टम शामिल हैं। यह प्रेशर कम्पेनसेटेड बैटरीज और प्रॉपल्सन सिस्टम, नियंत्रण और संचार प्रणाली और लॉन्चिंग और रिकवरी सिस्टम से भी लैस होंगे। इसे सिस्टम डिजाइन, संचालन की अवधारणा, उप-घटकों की कार्यक्षमता और अखंडता, आपातकालीन स्थिति में बचाव, असफलता की स्थिति का विश्लेषण इत्यादि के साथ साथ 6000 मीटर की गहराई पर मानवयुक्त पनडुब्बी के मानवीय उपयोग हेतु इसकी इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ क्लासिफिकेशन एंड सर्टिफिकेशन सोसाइटी के नियमों के अनुसार समीक्षा की गई है और प्रमाणित किया गया है।
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