पर्यटन मंत्रालय

केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी में बौद्ध सर्किट पर आयोजित सम्मेलन को वर्चुअल तरीके से संबोधित किया


बौद्ध सर्किट भारत का गौरव है: श्री जी. किशन रेड्डी

फिलहाल देश में आने वाले करीब 6 प्रतिशत विदेशी पर्यटक बौद्ध स्थलों पर जाते हैं और उनमें सारनाथ एवं बोधगया अग्रणी हैं: श्री जी किशन रेड्डी

उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध से संबंधित सबसे अधिक 6 स्थान हैं और इन सभी स्थलों पर तेजी से विकास कार्य चल रहा है: श्री नीलकंठ तिवारी

Posted On: 07 OCT 2021 5:53PM by PIB Delhi

मुख्‍य बिंदु:  

  • पर्यटन मंत्रालय द्वारा 4 अक्टूबर से 8 अक्टूबर 2021 से तक निर्धारित बौद्ध सर्किट ट्रेन एफएएम टूर एंड कॉन्फ्रेंस का आयोजन जारी
  • स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और आंध्र प्रदेश राज्यों में बौद्ध सर्किट विकास के लिए 325.53 करोड़ रुपये की 5 परियोजनाओं को मंजूरी दी

 

केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज वाराणसी में आयोजित बौद्ध सर्किट ट्रेन एफएएम टूर एंड कॉन्फ्रेंस को वर्चुअल तरीके से संबोधित किया। उत्‍तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धार्मिक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. नीलकंठ तिवारी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय में सचिव श्री अरविंद सिंह, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय में महानिदेशक श्री जी कमला वर्धन राव, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय में एडीजी श्रीमती रूपिंदर बराड़ और मंत्रालय एवं राज्य सरकार के अन्य अधिकारी मौजूद थे।

अपने वर्चुअल संबोधन के दौरान श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि बौद्ध धर्म की उत्पत्ति 2,500 साल पहले प्राचीन भारत में हुई थी और वह एशिया के अधिकांश हिस्सों में फैल गया था। उन्‍होंने कहा, ' बौद्ध लगभग 50 करोड़ अनुयायियों के साथ दुनिया की कुल आबादी के 7 प्रतिशत लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की भारतीय बौद्ध विरासत काफी दिलचस्‍पी है।'

श्री रेड्डी ने आगे कहा कि भगवान बुद्ध का दर्शन तमाम भारतीयों का मार्गदर्शन करता है भले ही वे अन्य धर्मों का पालन क्‍यों न करते हों। उन्होंने कहा कि बौद्ध सर्किट भारत का गौरव है। उन्‍होंने कहा कि फिलहाल देश में आने वाले करीब 6 प्रतिशत विदेशी पर्यटक बौद्ध स्थलों पर जाते हैं और उनमें सारनाथ एवं बोधगया अग्रणी हैं।

श्री रेड्डी ने कहा कि पर्यटन मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों के साथ काम कर रहा है। हमारा उद्देश्य सभी स्थलों पर पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए हार्ड एंड सॉफ्ट बुनियादी ढांचे में सुधार करना है। उन्‍होंने कहा, 'इस विशेष वर्ष में, जो हमारे देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ का प्रतीक है, हमें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और भारत को पर्यटन के लिए नंबर वन देश बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लेना चाहिए। हम 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं और मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इसमें अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करें।'

डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध से संबंधित सर्वाधिक 6 स्थान हैं और इन सभी स्थलों पर तेजी से विकास कार्य चल रहा है। कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा उद्घाटन के लिए तैयार है। श्री तिवारी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के आने के बाद वाराणसी की स्थिति में काफी बदलाव आया है और कई हजार करोड़ की परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ है। मंत्री ने बौद्ध सर्किट एवं अन्य धार्मिक पर्यटन स्थलों की जानकारी दी।

श्री अरविंद सिंह ने कहा कि भारत को बौद्ध संस्कृति एवं पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में पुनर्जीवित करने के लिए पर्यटन मंत्रालय को नोडल मंत्रालय के तौर पर नियुक्त किया गया है। उन्‍होंने कहा, 'थीम-आधारित पर्यटक सर्किट के एकीकृत विकास पर केंद्रित अपनी प्रमुख योजना 'स्वदेश दर्शन' के तहत मंत्रालय ने मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बौद्ध सर्किट के तहत कई परियोजनाएं शुरू की हैं।'

श्री अरविंद ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश बौद्ध सर्किट श्रावस्ती, कुशीनगर एवं कपिलवस्तु के तहत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं जो 2021 में पूरी हो जाएंगी। उन्‍होंने कहा, 'बिहार के बोधगया में एक सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण भी जारी है। प्रासाद योजना के तहत मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और सिक्किम में कई परियोजनाओं को मंजूरी दी है। वाराणसी में बौद्ध ढांचागत परियोजनाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए 9.5 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को पूरा किया गया है। इनमें धमेक स्तूप में साउंड एंड लाइट शो और सारनाथ में बुद्ध थीम पार्क शामिल हैं।

सम्मेलन के दौरान आईएटीओ के सीओओ श्री राहुल चक्रवर्ती ने बौद्ध सर्किट में मौजूद क्षमता पर एक प्रस्तुति दी। आईआरसीटीसी के जीएम डॉ. अच्युत सिंह ने बौद्ध सर्किट टूरिस्ट ट्रेन और ट्रेन में आईआरसीटीसी द्वारा दी जा रही सुविधाओं पर प्रस्तुति दी जिसमें मिनी लाइब्रेरी भी शामिल है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार द्वारा बौद्ध सर्किट के लिए किए जा रहे प्रयासों एवं  विकास को प्रस्तुत करना और भारत में बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आगे की राह पर चर्चा करना एवं विचार-विमर्श करना था। यह सम्मेलन पर्यटन मंत्रालय द्वारा 4 अक्टूबर से 8 अक्टूबर 2021 तक निर्धारित बौद्ध सर्किट ट्रेन एफएएम टूर का हिस्सा था।

पर्यटन मंत्रालय ने चौगुना विकास की रणनीति अपनाई है जो हवाई, रेल एवं सड़क मार्ग के जरिये कनेक्टिविटी में सुधार, पर्यटन बुनियादी ढांचे एवं संबंधित सेवाओं में सुधार, ब्रांडिंग एवं प्रचार-प्रसार को सुव्यवस्थित करने और संस्कृति एवं विरासत को प्रदर्शित करने पर केंद्रित है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात एवं आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बौद्ध सर्किट के विकास के लिए 325.53 करोड़ रुपये की 5 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और वे स्‍वीकृत परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। प्रासाद योजना के तहत तीन परियोजनाओं पर 44.19 करोड़ रुपये के कार्य को मंजूरी दी गई है। वाराणसी में बौद्ध ढांचाओं के विकास के लिए 9.5 करोड़ रुपये की लागत से दो परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं जिनमें धमेक स्तूप में एक ध्वनि एवं प्रकाश शो और सारनाथ में एक बुद्ध थीम पार्क शामिल हैं।

पर्यटन मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के तहत पर्यटन से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा भारतीय और विदेशी बाजारों में विभिन्न बौद्ध स्थलों को प्रोत्‍साहित करने पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके तहत विदेशी बाजारों में मौजूद भारतीय पर्यटन कार्यालय नियमित रूप से तमाम यात्रा एवं पर्यटन मेलों एवं प्रदर्शनियों में भाग लेते हैं जहां भारतीय बौद्ध स्थलों को बढ़ावा दिया जाता है। इसके अलावा, पर्यटन मंत्रालय भारत को एक बौद्ध गंतव्य और दुनिया के एक प्रमुख बाजार के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर दूसरे वर्ष बौद्ध सम्मेलन का आयोजन करता है। आगामी अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन 17 से 21 नवंबर, 2021 तक निर्धारित है। मंत्रालय ने ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार के तहत कई परियोजनाएं शुरू की हैं जो फिलहाल पाइपलाइन में हैं। इनमें राष्ट्रीय संग्रहालय में लाइव वर्चुअल प्रदर्शनी, वेब पोर्टल, वार्षिक कार्यक्रम संबंधी कैलेंडर, सोशल मीडिया मार्केटिंग और वियतनाम, थाईलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका आदि जैसे प्रमुख बाजारों में अभियान शुरू करना शामिल हैं।

मंत्रालय ने क्षमता निर्माण के लिए भी कई परियोजनाओं पर काम किया है जिनमें थाई, जापानी, वियतनामी और चीनी भाषाओं में लिग्विस्टिक टूरिस्‍ट फैसिलिटेटर प्रशिक्षण शामिल हैं। इन भाषाओं में 2018 से 2020 के दौरान 525 लोगों को और 2020 से 2023 के दौरान 600 लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि बौद्ध धर्म एशिया के एक बड़े हिस्से में फैला हुआ है और दुनिया के 97 प्रतिशत बौद्ध केवल पूर्व एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में मौजूद हैं। इसलिए पर्यटकों के साथ भाषाई संपर्क को विकसित करना महत्वपूर्ण है।

 

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