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नीति आयोग-यूएनडीपी ने यूएलबी के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट के स्थायी प्रबंधन पर हस्तपुस्तिका का विमोचन किया

Posted On: 12 OCT 2021 7:29PM by PIB Delhi

नीति आयोग और यूएनडीपी इंडिया ने देश में प्लास्टिक अपशिष्ट के स्थायी प्रबंधन बढ़ावा देने के लिए एक हस्तपुस्तिका का विमोचन किया।

स्थायी शहरी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर नीति आयोग-यूएनडीपी हैंडबुक शीर्षक से युक्त इस रिपोर्ट को 11 अक्टूबर, 2021 को नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार और मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत द्वारा जारी किया गया। इस अवसर पर पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, विशेष सचिव डॉ के.राजेश्वर राव और यूएनडीपी इंडिया की रेजिडेंट प्रतिनिधि  सुश्री शोको नोडा भी उपस्थित थीं।

इस रिपोर्ट को इंडिया और नीति आयोग द्वारा संयुक्त रूप से यूएनडीपी प्लास्टिक अपशिष्ट क्षेत्र में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और अग्रणी संगठनों के परामर्श से तैयार किया गया है। हस्तपुस्तिका के लिए विचार-विर्मश फरवरी 2021 में प्रारंभ किया गया था। इसके बाद यूएनडीपी ने प्रबंधित शहरी स्थानीय निकायों, पुनर्चक्रणकर्ताओं, कॉरपोरेट, सिविल सोसाइटी संगठनों, शिक्षाविदों सहित 20 से अधिक हितधारकों के साथ वर्चुअल रूप से परामर्श किया। प्रारूप में 14 भारतीय शहरों और 4 दक्षिण पूर्व एशियाई शहरों को कवर करते हुए विशेषज्ञ साक्षात्कार, केंद्रित समूह चर्चा और तकनीकी कार्यशालाओं का आयोजन करना भी शामिल था। यह हस्तपुस्तिका भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के शहरों की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और उदाहरणों को प्रस्तुत करती है जो समान बुनियादी ढांचे और प्लास्टिक अपशिष्ट जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं।

इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने बल देते हुए कहा कि शहरों में स्थायी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जन जागरूकता जगाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि व्यापक जागरूकता फैलाने और घरेलू स्तर पर अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व को समझाने जैसे इंदौर मॉडल की आवश्यकता है जिसे अन्य शहरों द्वारा अपनाया जा सकता है। यह प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन को एक जन आंदोलन बनाने की कुंजी साबित होगा।उन्होंने कहा कि ऐसे नवाचारों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जो कूड़ा बीनने के कठिन परिश्रम को समाप्त कर इन कर्मियों के लिए बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान कर सकें। यह कचरे के पुनर्चक्रण को और अधिक कुशल बनाएगा।

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत ने बल देते हुए कहा कि देश भर में शहरी स्थानीय निकायों को शहरीकरण के अभूतपूर्व पैमाने के बीच कुशल अपशिष्ट प्रबंधन सेवाएं प्रदान करने के लिए जबरदस्त दबाव का सामना करना पड़ रहा है। देश ने स्वच्छता के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है और इसी तरह हमें अपने कचरे के पूर्ण पुनर्चक्रण को प्राप्त करने के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बड़े पैमाने पर जन आंदोलन चलाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि इस हस्तपुस्तिका में स्थायी शहरी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण घटकों को शामिल किया गया है, जिसमें तकनीकी मॉडल, रिकवरी सुविधाएं, आईईसी और डिजिटलीकरण एवं सुशासन शामिल हैं।

नीति आयोग के विशेष सचिव डॉ राजेश्वर राव ने कहा कि नीति आयोग ने अपशिष्ट प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में सर्कुलर इकोनॉमी को लाने के लिए 11 समितियों का गठन किया है।उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कचरे के पूर्ण पुनर्चक्रण के बाद मूल्यवान सामाग्रीकी निकासी और इसके नवीन सामग्री में मिश्रण से, प्लास्टिक अपशिष्ट क्षेत्र में एक सर्कुलर इकोनॉमी का हस्तांतरण पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि स्थायी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अनौपचारिक कर्मियों का सामाजिक समावेश महत्वपूर्ण है। अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में अनौपचारिक कर्मियों को औपचारिक रूप देने के लिए उद्यमशीलता के अवसरों को बढ़ावा देना और कचरा बीनने वाली सहकारी समितियों का विकास करना महत्वपूर्ण पहल है।

पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री आरपी गुप्ता ने कहा कि विश्व स्तर पर उत्पादित कुल प्लास्टिक के केवल 9% का ही पुनर्नवीनीकरण किया जाता है, लगभग 12% जला दिया जाता है और ऊर्जा की रिकवरी की जाती है, और शेष लगभग 79% भूमि, पानी और महासागर में मिल जाता है और पर्यावरण को प्रदूषित करता है। उन्होंने कहा कि एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना महत्वपूर्ण है और जहां तक ​​संभव हो, प्लास्टिक की वस्तुएं जिनके लिए विकल्प उपलब्ध हैं, उन्हें छोड़ दिया जाना चाहिए। स्थायी शहरी अपशिष्ट प्रबंधन पर हस्तपुस्तिका प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण को बढ़ाने के लक्ष्य को पूरा करने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी और यह भी सुनिश्चित करेगी कि प्लास्टिक अपशिष्ट को कम से कम स्तर पर लाया जाए।

इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए यूएनडीपी इंडिया की रेजिडेंट प्रतिनिधि सुश्री शोको नोडा ने कहा कि यूएनडीपी में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम के तहत हमारे पर्यावरण की रक्षा करने और प्लास्टिक के लिए एक सर्कुलर इकॉनोमी बनाने के लिए सभी प्रकार के प्लास्टिक अपशिष्ट के संग्रह, पृथक्करण और पुनर्चक्रण को बढ़ावा दिया जाता है। यह कार्यक्रम कचरा बीनने वालों के कल्याण और वित्तीय समावेशन को भी सुनिश्चित करता है, जो अपशिष्ट मूल्य श्रृंखला में सबसे महत्वपूर्ण हितधारकों में से एक हैं।

उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के सिद्धांतों के अनुरूप है। इस हस्तपुस्तिका के माध्यम से अपने अनुभव को साझा करने और शहरी स्थानीय निकायों को अनुकरणीय मॉडल प्रदान करने में प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं। स्थायी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए इस शानदार पहल के लिए यूएनडीपी-भारत सरकार, नीति आयोग, राज्य सरकारों और अन्य विकास भागीदारों के साथ साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध और गौरवान्वित है।

स्थायी शहरी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन: सारांश

शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत शहरी स्तर पर नगरपालिका ठोस अपशिष्ट और प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन करना अनिवार्य किया गया है। इस  हस्तपुस्तिका में भारत सहित 4 प्रमुख दक्षिण एशियाई देशों के 18 मामलों का अध्ययन करते हुए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को शामिल किया गया है। इसमें 4 प्रमुख घटक जिनमें (ए) रीसाइक्लिंग के लिए तकनीकी मॉडल(बी) सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधाएं (एमआरएफ)(सी) प्रभावी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए शासन और (डी) आईईसी और डिजिटलीकरण शामिल हैं। पुस्तक में संपूर्ण प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन सेवा श्रृंखला के हर पहलू को शामिल किया गया है। शहरी स्थानीय निकायों और इस क्षेत्र में शामिल अन्य हितधारकों को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप इस पुस्तिका के तहत कवर किए गए सफल व्यवसायों और सेवा मॉडलों से प्राप्त उनकी दिशानिर्देशों से शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा ताकि वे अपने शहरों में कुशल प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन की योजना बना सकें।

घटक I: प्लास्टिक अपशिष्ट पुनर्चक्रण और प्रबंधन के लिए तकनीकी मॉडल

विभिन्न हितधारकों और उनके सामाजिक लाभों को शामिल करके एक एकीकृत और समावेशी दृष्टिकोण पर आधारित इस घटक के तहत (ए) शहर स्तर पर प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन की आधारभूत प्रणाली का विकास(बी) शहरी स्तर पर प्लास्टिक अपशिष्ट की रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रणाली दृष्टिकोण (सी) हितधारकों की पहचान और भागीदारी(डी) प्लास्टिक कचरे के समग्र प्रबंधन के लिए नियामक आवश्यकता-अंतर विश्लेषण और प्रस्तावों के विकास को शामिल किया गया है।

घटक II: बेहतर प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन कार्यान्वयन के लिए-सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा

यह घटक एमआरएफ में स्थल पहचान, निर्माण और अपशिष्ट प्रसंस्करण तंत्र से शुरू होने वाली सामग्री रिकवरी सुविधा (एमआरएफ) के पूर्ण कामकाज की व्याख्या करता है।

घटक III: शासन निकायों में एमआरएफ का संस्थानीकरण

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन प्रणाली में कचरा बीनने वालों को मुख्यधारा में शामिल करने से कचरा बीनने वालों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और समाज में उनकी पहचान बढ़ेगी। इसके लिए शहरी स्थानीय निकायों द्वारा दीर्घकालीन धारणीयता के लिए विभिन्न अनुशंसित मॉडलों और कचरा बीनने वालों को संस्थागत रूप देने की आवश्यकता है। इसके लिए कुछ प्रमुख गतिविधियों के रूप में कचरा बीनने वालों की सेवाओं को एमआरएफ से जोड़ना, क्षमता निर्माण, उन्हें वित्तीय रूप से साक्षर बनाना और उनके लिए बैंक खाते खोलना, उन्हें विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ना, व्यावसायिक आईडी कार्ड, स्वास्थ्य लाभ और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण प्रदान करना, क्रच या खेल के मैदान और अन्य बुनियादी बाल शिक्षा सुविधाएं प्रदान करना एवं स्वयं सहायता समूह बनानाशामिल है।

घटक IV: आईईसी और डिजिटलाइजेशन

इस घटक में प्लास्टिक अपशिष्ट मूल्य श्रृंखला के विभिन्न चरणों से एक अंतर्निर्मित अंगीकृत प्रतिक्रिया प्रणाली स्थापित करके ज्ञान प्रबंधन तंत्र का विकास करना शामिल है। इसमें विभिन्न प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों, या तकनीकी सेवा प्रदाताओं की पहचान, संबंधित हितधारकों जैसे थोक अपशिष्ट उत्पन्नकर्ता (बीडब्ल्यूजी), पुनर्चक्रण और कचरा बीनने वालों के साथ संबंध, और अधिक प्रभावी ऑनलाइन रिपोर्टिंग, निगरानी एवं सूचना के आदान-प्रदान के लिए प्रोटोकॉल का विकास करना शामिल है।

विभिन्न मॉडल, कचरा बीनने वालों के लिए उद्यमशीलता के अवसरों का विकास, अपने स्वयं के गैर-लाभकारी संगठन के निर्माण के लिए कूड़ा बीनने वाली सहकारी समितियों का विकास, कचरा बीनने वालों और गैर-कचरा बीनने वालों को मिलाकर एक मिश्रित कार्यबल का विकास आदि को भी हस्तपुस्तिका में शामिल किया गया है। इस पुस्तिका में विस्तृत मॉडल का उद्देश्य स्थायी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन को व्यवहार रूप में लाना है। रिपोर्ट में वर्णित विभिन्न प्रणाली दृष्टिकोण स्वच्छ भारत मिशन 2.0 और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और 2018 के अनुरूप हैं। ये मॉडल नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करते हैं और संसाधनों के उपयोग में सुधार करते हैं। यह मॉडल न केवल प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बल्कि सामाजिक समावेश और कचरा बीनने वालों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करके उनके संरक्षण पर भी विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते हैं। इन मॉडलों को लागू करने के लिए विभिन्न हितधारकों जैसे यूएलबी, रिसाइकलर, सेवा प्रदाताओं, ब्रांड मालिकों और कचरा बीनने वालों की भूमिका का विवरण भी इस पुस्तिका में दिया गया है।

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