कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय

परिवर्तित होते समय के साथ नियामक निगरानी को नियमित रूप से ठीक किए जाने की आवश्यकता है: सीसीआई अध्यक्ष

Posted On: 23 SEP 2021 7:17PM by PIB Delhi

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के अध्यक्ष श्री अशोक कुमार गुप्ता ने एसोसिएटेड चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स (एसोचैम) द्वारा आयोजित छठे अंतर्राष्ट्रीय 2-दिवसीय वर्चुअल सम्मेलन-2021 में 'प्रतियोगिता कानून: जोखिम, चुनौतियां और भविष्य का पथ' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा किविशेष रूप से वर्तमान डिजिटल दुनिया में गतिशील कारोबारी माहौल के अनुरूप बदलते समय के साथ नियामक निगरानी को नियमित रूप से ठीक किये जाने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, श्री गुप्ता ने कहा कि प्रतिस्पर्धा बाजारों की जीवन शक्ति है जो व्यवसायों की दक्षता और उनकी उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सर्वोत्तम प्रोत्साहन देती है।

उन्होंने कहा कि इसके सभी व्यापक लाभों के बावजूद, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा अपने आप नहीं उभर सकती। उन्होंने कहा कि एक बाजार अर्थव्यवस्था के सबसे उत्साही समर्थक भी यह मानते हैं कि उदारीकृत बाजारों को भी प्रतिस्पर्धी और कुशल नहीं माना जा सकता है।

श्री गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि बिना निगरानी और आवश्यक हस्तक्षेप के, हम एक ऐसे अव्यवस्थित माहौल का पता नहीं लगा सकते, जहां प्रमुख कंपनियां प्रतिस्पर्धा को दूर करने के लिए अपनी बाजार शक्ति का दुरुपयोग करती हैं, कार्टेल कीमतों को बढ़ाते हैं या प्रतिस्पर्धा-विरोधी संबंध बाजारों के प्रतिस्पर्धी ढांचे को कमजोर करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप व्यवसाय प्रभावित होते हैं और इससेउपभोक्ताओं को धन की क्षमता से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीसीआई का उद्देश्य बाजार में सुधार लाना है जहां प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण के कारण निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा में बाधा आती है।

श्री गुप्ता के अनुसार, कुछ डिजिटल कंपनियों द्वारा डेटा आधिपत्य से "अटेंशन इकोनॉमी" हो सकती है, जिसमें बड़ी कंपनियां उपयोगकर्ताओं का ध्यान आकर्षित करने, उनकी पसंद और आदतों की प्रोफाइल बनाने, फिर उन प्रोफाइल को विज्ञापनदाताओं को बेचने का काम करती हैं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने में सीसीआई की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है कि ये प्लेटफॉर्म तटस्थ रहें, एक समान अवसर प्रदान करें और बड़े और छोटे उद्यमों को, जो इन प्लेटफार्मों के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचें, योग्यता के आधार पर प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दें।

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इन तेजी से विकसित और गतिशील बाजारों में, एक नियामक का कार्य वर्तमान में जारी लक्ष्यों पर नज़र रखना है। श्री गुप्ता ने उल्लेख कियाकि नियामक दृष्टि को सूक्ष्म बनाए जाने की आवश्यकता है, और प्रवर्तन साधनों को इन परिवर्तनों के अनुकूल बनाने की जरूरत है ताकि ये साधन उद्देश्य के लिए फिट रहे। इन बाजारों में विकास के साथ-साथ उपकरणों को विकसित और परिष्कृत करना जारी रखना भीएक चुनौती है

उन्होंने कहा कि इससे समय पर हस्तक्षेप करने और एक अच्छा संतुलन बनाने में मदद मिलेगी ताकि दक्षता और नवाचार प्रभावित न हों और बाजार प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं से मुक्त रहे।

एसोचैम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री सुमंत सिन्हा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण, उपभोक्ताओं ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए वाणिज्य के डिजिटल तरीकों में बदलाव किया है। उन्होंने कहा कियह उन्हें डिजिटल बाजारों में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के प्रति संवेदनशील बनाता है और यह बाजार शक्ति की उच्च एकाग्रता की विशेषता भी है। यह एक ऐसा स्थल है जिसकी निगरानी और प्रबंधन सीसीआई अधिक सूक्ष्मता के साथ करेगा।

श्री सिन्हा ने कहा कि महामारी ने दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा कि सभी ने देखा है कि दूसरी लहर के दौरान महत्वपूर्ण दवाओं की कीमतें कैसे बढ़ीं। यही कारण है कि फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र की करीब से निगरानी की आवश्यकता होगी। इस संदर्भ में, हम प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा हाल ही में किए गए फार्मास्युटिकल क्षेत्र के बाजार अध्ययन का स्वागत करते हैं।"

महामारी के दौरान विलय और अधिग्रहण की श्रृंखला पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, श्री सिन्हा ने कहा कि जो कंपनियां संकट में हैं, वे उन्हें बचाने के लिए योग्य और कुशल शूरवीरों की तलाश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हम, एसोचैम में, प्रतिस्पर्धा आयोग से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बेहद जरूरी एमएंडए गतिविधि से जुड़े नियमों और विनियमों को सरल बनाना जारी रखने का आग्रह करेंगे।

एसोचैमके महासचिव श्री दीपक सूदने कहा कि बदले हुए परिदृश्य में जहाँ एक तरफ प्रतिस्पर्धियों के बीच समन्वयय हो सकता है तो वहीं दूसरी ओर इसके इस संबंध से अनुचित और/या भेदभावपूर्ण कीमतों या शर्तों को भी लागू किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रतिस्पर्धा आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। कंपनियों को इस तथ्य से सावधान रहने की जरूरत है कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधान कठिन समय के दौरान भी कड़े रूप में लागू होते रहते हैं।

श्री सूद ने कहा कि चुनौतियों के बावजूद, प्रतिस्पर्धा आयोग समय की कसौटी पर खरा उतरा है और हितधारकों के साथ अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के साथ आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि वास्तव में, आयोग ने 19 अप्रैल 2020 की शुरुआत में एक "सलाह" जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि यह उद्यमों को प्रतिस्पर्धा अधिनियम के समग्र प्रारूप के भीतर मांग-आपूर्ति के मामले में बेमेल होने वाली नई सामान्य चुनौतियों का सामना करने में कैसे मदद करेगा।

राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा कानून परिषद,एसोचैम के अध्यक्ष श्री मानस कुमार चौधरी ने कहा कि कंपनियों और अन्य हितधारकों के पास दैनिक आधार पर सामान्य व्यवसाय करते हुए प्रतिस्पर्धा अधिनियम की चुनौतियों का सामना करने के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारियां हैं। उन्होंने जानकारी दी कि कोविड-19 महामारी ने भले ही कुछ सीमित और अस्थायी सुरक्षित आश्रयदिए हों, लेकिन वास्तव में ऐसा कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में भी, प्रतिस्पर्धा आयोग सख्त आंतरिक अनुपालन और मजबूत दस्तावेजी साक्ष्य रखने, व्यावसायिक औचित्यों की पुष्टि करने और अप्रत्याशित जोखिमों को कम करना जारी रखेगा।

राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा कानून परिषद, एसोचैम के सह-अध्यक्षश्री करण सिंह चांडौक ने कहा कि राष्ट्रीय परिषद के लिए प्रतिस्पर्धा कानून नीति पर बहस सबसे अहम रही है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन उसी विचारधारा को आगे बढ़ाने की एक श्रृंखला है। उन्होंने कहा कि अगले दो दिनों में प्रतिस्पर्धा कानून पर सबसे समकालीन मुद्दों पर चर्चा, बहस और विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसके लिए सभी के सुझावों और विचारों को ध्यान में रखते हुए इस नए औद्योगिक युग में प्रतिस्पर्धा कानून को कहां, कब और कैसे लागू किया जाए, इसकी दिशा और दशा तय करने के लिए सभी के सकारात्मक विचारों को सम्मान दिया जाएगा।

ब्रसेल्स ऑफिस-बीसीएलपी एलएलपी के साझेदार प्रभारी श्री डेविड एंडरसन ने कहा कि समझौतों को अनुमति और स्थिरता को बढ़ावा देने वाली एक ऐसी प्रतिस्पर्धा व्यवस्था का निर्माण करना है जो प्रतिस्पर्धी-विरोधी न हो और इस दिशा में सभी अभी भी विकासशील स्थिरता-प्रतिस्पर्धा कानून परिचर्चा के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में प्रतिस्पर्धा एजेंसियां ​​​​अभी भी अपनी स्थिति को विकसित कर रही हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर इन्हें "सुधारक" कैंप में लाने की आवश्यकता हैं (इनके विस्तार के लिए कि कौन सा प्रतिस्पर्धा कानून स्थिरता के प्रयासों में सहायता करने की अनुमति देता है) और "अनुगामी" कैंप (स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालीन लक्ष्यों को प्रोत्साहन देने के लिएमौजूदा उपकरणों और मानकों का उपयोग करने की तलाश में) हैं। नीदरलैंड, ग्रीस और ऑस्ट्रिया सुधार शिविरों का नेतृत्व कर रहे हैं जबकि यूरोपीय आयोग, जर्मनी और संभवत: अमेरिका अनुगामी कैंप में हैं।

 

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