विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद्-केन्द्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान की मशीनीकृत सफाई प्रणाली-स्वच्छ भारत अभियान के लिए एक प्रोत्साहन

Posted On: 31 AUG 2021 7:16PM by PIB Delhi

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद्-केन्द्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीएमईआरआई) एक ऐसी  मशीनीकृत सफाई प्रणाली (मैकेनाइज्ड स्कैवेंजिंग सिस्टम) विकसित कर रहा है, जिसे भारत में शहरी  नालों की व्यवस्था (सीवरेज सिस्टम) की विविध प्रकृति और इसके अक्सर बंद हो जाने (चोकेज) के तरीकों के गहन अध्ययन के बाद शुरू किया गया था। यह प्रौद्योगिकी मॉड्यूलर डिजाइन में है ताकि स्थितिजन्य आवश्यकताओं के अनुसार इसे अनुकूलित करके उपयोग में लाए जाने की  रणनीतियों को सुनिश्चित किया जा सके। यह प्रणाली उपलब्ध संसाधनों अर्थात पानी के सतत उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित करती है क्योंकि यह प्रणाली अवरुद्ध हो चुके नालों (सीवर) से अपशिष्ट जल (स्लरी) को सोख लेता है और उसी को अच्छी तरह से छान लेने  के बाद सेल्फ-प्रोपेलिंग नोजल का उपयोग करके अवरुद्ध नालियों  की सफाई के लिए तेज धार के रूप में पुनर्निर्देशित करता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई की यह प्रणाली मशीनीकृत सफाई के साथ-साथ पानी को शुद्ध करने का भी विकल्प प्रदान करती है। इसकी प्रौद्योगिकी का डिज़ाइन ऐसा है कि प्रणाली में फ़िल्टर मीडिया को बदलने/फिर से डिज़ाइन करने की क्षमता के साथ अनुकूलित आवश्यकताओं/आवश्यकताओं के अनुसार जल निस्पंदन तंत्र को बदला अथवा संशोधित किया जा सकता है। वाहन पर लगी ऐसी निस्पंदन (फिल्ट्रेशन) इकाइयाँ भूमि पर बने नालों (ड्रेंस)  से तथा  और बाढ़ वाले क्षेत्रों के पानी का  उपयोग करने में सक्षम होंगी और ऐसे  पानी को कृषि, घरेलू और पीने के पानी के उपयोग के लिए उपयुक्त पानी में बदल भी  सकेंगी।

 

इस प्रणाली से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हो जाने वाली  पेयजल की कमी की समस्या को तत्काल और आसानी से ऐसे स्थानों पर ही जल शोधन करके कुछ सीमा तक हल किया जा सकता है। यह प्रणाली बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए  एक समेकित प्रौद्योगिकी समाधान भी प्रदान करती है क्योंकि इससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बंद पड़े नालों को भी साफ किया जा सकेगा और बाढ़ के रुके हुए पानी के लिए एक निकास मार्ग (आउटलेट) बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही बाढ़ आपदा क्षेत्रों में इससे जल शोधन की समस्या को भी हल  किया जा सकेगा।

 

चूंकि परिस्थितिजन्य समझ एक निरंतर चलने वाली  प्रक्रिया है और इसके लिए संपूर्ण अध्ययन की आवश्यकता होती है। इस सतत अध्ययन और विश्लेषण प्रक्रिया से सीएसआईआर-सीएमईआरआई में प्रौद्योगिकी को भी   विकसित करने और उसमे आवश्यक सुधार लाने में सहायता मिली है। इसके माध्यम से उपकरणों का पहला प्रोटोटाइप तैयार करने के बाद उन्हें लगातार परिष्कृत करके बाद के प्रोटोटाइप विकसित किए गए ताकि इस  प्रौद्योगिकी की विविधता और मजबूती में सुधार किया जा सके। इस अनूठी वृद्धिकारक पहल  के  प्रयोग  को अलग–अलग स्थानों पर विभिन्न परिस्थितिजन्य चुनौतियों के साथ विभिन्न प्रकार के विकसित मौलिक उपकरणों ( प्रोटोटाइपों) की तैनाती के साथ भी  जोड़ा गया था।

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