स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 संबंधी संकट के संचार पर पांच दक्षिण भारतीय राज्यों के पीआईबी, बीओसी, डीडी, ऑल इंडिया रेडियो और एनएचएम के अधिकारियों के साथ ऑनलाइन वर्कशॉप आयोजित की


कोविड उपयुक्त व्यवहार, टीकाकरण प्रोत्साहन और सकारात्मक जमीनी कहानियों को उभारने वाले संदेशों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया

Posted On: 30 JUL 2021 7:21PM by PIB Delhi

आज स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने यूनिसेफ के सहयोग से पांच दक्षिण भारतीय राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी), ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी), दूरदर्शन (डीडी), दूरदर्शन समाचारऑल इंडिया रेडियो (एआईआर), एआईआर समाचार और राज्यों के टीकाकरण अधिकारियों व राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) अधिकारियों के साथ कोविड उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) और टीकाकरण प्रोत्साहित करने के लिए संदेशों को सुदृढ़ बनाने पर एक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल ने सत्र की अध्यक्षता की, जिसमें कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल राज्यों के पीआईबी, बीओसी, डीडी और एआईआर के 150 से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया।

सत्र को संबोधित करते हुए, श्री अग्रवाल ने अधिकारियों को कोविड उपयुक्त व्यवहार के लिए सामुदायिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने और टीके से जुड़े संकोच से मुकाबले के लिए कोविड टीके संबंधी मिथकों, गलत सूचनाओं और दुष्प्रचारों को तोड़ने के लिए कार्यक्रमों और संचार सामग्री में नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अधिकारियों से कोविड उपयुक्त व्यवहार के लिए एक जन आंदोलन तैयार करने और सामुदायिक रोल-मॉडल्स के प्रदर्शन और कोविड योद्धाओं, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों और अनुकरणीय सामुदायिक भागीदारी से जुड़ी प्रेरक कहानियों के प्रसारण के माध्यम से विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में मदद करने का आग्रह किया।

टीके संबंधी संकोच को दूर करने में पीआईबी, डीडी और एआईआर की रचनात्मक भूमिकाओं को स्वीकार करते हुए, उन्होंने कहा कि पीआईबी की फैक्ट चेक रिपोर्ट, वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट फर्जी खबरों को सामने लाने में मदद करता है और उचित व समय पर जानकारी की उपलब्धता को बढ़ाता है। डीडी और एआईआर भी टीकाकरण बढ़ाने के लिए स्थानीय सांस्कृतिक संदर्भों का उपयोग कर रहे हैं। चूंकि, सोशल मीडिया पर बहुत सी फर्जी खबरें और गलत सूचनाएं प्रसारित होती हैं, श्री अग्रवाल ने अधिकारियों से लोगों को व्हाट्सएप के चैटबोट के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया, जो उपयोगकर्ताओं को इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (आईएफसीएन) के साथ-साथ 80 से ज्यादा फैक्ट जांचने वाले वाले एप्लीकेशंस; और भ्रामक सूचनाओं को चिन्हित करने वाली ट्विटर और फेसबुक की चेतावनी प्रणालियों से जोड़ता है।

विस्तृत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से साझा किए जाने वाले मिथकों और फर्जी खबरों को उजागर करके टीके संबंधी संकोच से उबरने में मीडिया की रचनात्मक भूमिका को स्वीकार करते हुए, उन्होंने कहा कि चूंकि, लोग थक सकते हैं, वायरस नहीं। हमें भी अथक परिश्रम करना होगा और एक सतत दृष्टिकोण के साथ कोविड-19 के खिलाफ अपनी सामूहिक लड़ाई को बढ़ाना होगा।

श्री अग्रवाल ने जोर दिया कि वे सभी लोग जो मीडिया और मीडियाकर्मियों से जुड़ते हैं, वे समाज को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले लोग होते हैं, क्योंकि वे लोगों को कोविड उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) का पालन करने और टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “हमसे अक्सर पूछा जाता है कि तीसरी लहर कब आएगी?’ इस पर मेरा जवाब होता है जब हम इसकी अनुमति देंगे।हमें लोगों को कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने के लिए बार-बार प्रोत्साहित करना होगा और मीडिया को प्रभावित करने वाले लोग संदेशों के माध्यम से और रोल मॉडल बनकर इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

उन्होंने महामारी प्रेरित मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर कार्यक्रमों और संदेशों को बनाए जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभवों, राज्यों से अपनी सर्वोत्तम कार्यपद्धतियों, क्षेत्र में अपने सामने आने वाली चुनौतियों और अभियान संबंधी नए विचारों को साझा किया। सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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एमजी/एएम/आरकेएस

एचएफडब्ल्यू/कोविड कम.वर्कशॉप/30 जुलाई 2021


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