पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
तेल के सार्वजनिक उपक्रमों ने कला एवं हस्तशिल्प की विभिन्न परियोजनाओं का समर्थन प्रदान करने की दिशा में पहल की
Posted On:
11 JUN 2021 8:38PM by PIB Delhi
भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सरकार द्वारा मनाये जा रहे- आजादी का अमृत महोत्सव के समान, पेट्रोलियम सचिव श्री तरुण कपूर ने आज देश में तेल के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा विभिन्न कला और शिल्पों को समर्थन प्रदान करने वाली एक पहल का उद्घाटन किया। उन्होंने एक वेबिनार में ओएनजीसी द्वारा समर्थित मध्य प्रदेश की बैंबू क्राफ्ट परियोजना का भी शुभारंभ किया।
एक बड़ी पहल के भाग के रूप में, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम, देश भर के विभिन्न जिलों में 75 परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे। ओएनजीसी द्वारा संघर्षशील हस्तशिल्प परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने और स्थानीय कारीगरों को सशक्त बनाने वाली पहल की शुरुआत की गई है। ओएनजीसी 75 में से 15 परियोजनाओं का संचालन करेगी।
लोकार्पण के दौरान श्री कपूर ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन आने वाले सार्वजनिक उपक्रम, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने की दिशा में भी सराहनीय कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि ओएनजीसी ग्रामीण भारत की कला और हस्तशिल्प परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए इस पहल का नेतृत्व कर रही है; मैं आने वाले समय में इस प्रकार की और पहल की उम्मीद करता हूं।"
ओएनजीसी शिल्पकारों और कला एवं हस्तशिल्प शैली के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करेगी, जिससे हस्तशिल्प एवं हथकरघा क्षेत्रों से जुड़ी हुई ग्रामीण आजीविका में सुधार आएगा। ओएनजीसी, स्थानीय गैर सरकारी संगठनों और मंचों के साथ मिलकर, लगभग 1.3 करोड़ रुपये की लागत से, हस्तशिल्प क्षेत्र को समर्थन प्रदान करने के लिए शुरूआत में देश भर में पांच परियोजनाओं का प्रारंभ कर रहा है।
लोकार्पण के दौरान ओएनजीसी के सीएमडी, सुभाष कुमार ने कहा कि “तेल के सार्वजनिक उपक्रम हमेशा समुदाय के साथ खड़े रहते हैं जहां कहीं भी हमारी परिचालन-संबंधी उपस्थिति है; आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में योजनाबद्ध की गई अन्य प्रमुख पहलों के साथ इन परियोजनाओं से हमारे माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण, आत्मनिर्भर भारत, में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।”
प्रथम चरण में ओएनजीसी द्वारा निम्नलिखित पांच (5) परियोजनाओं को समर्थन प्रदान किया जा रहा है:
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बांस कुटीर: ओएनजीसी ने शिवगंगा, युवा आदिवासी उद्यमियों का एक स्वैच्छिक गैर-लाभकारी उपक्रम, के साथ मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के शिल्पकारों को तैयार करने के लिए हाथ मिलाया है, जो बांस द्वारा सजावटी वस्तुओं को बनाने वाली सदियों पुरानी कला को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, इस प्रकार से वे आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं।
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ढोकरा: यह परियोजना ओडिशा के ढेंकनाल जिले में अन्वेषा ट्राइबल आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स के सहयोग से, प्राचीन धातु कास्टिंग शिल्प ढोकरा और लॉस्ट वैक्स तकनीक के कारीगरों के लिए क्लस्टर का निर्माण करके, प्रशिक्षण प्रदान करके और बाजार लिंकेज प्रदान करके नए अवसर उत्पन्न करेगी।
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लाक: सीआईएनआई के सहयोग से, ओएनजीसी का उद्देश्य झारखंड के खूंटी और गुमला जिलों में समुदायों को उनके वन संसाधनों से अवगत कराना और विस्मृत हुए लाक संस्कृति को पुनर्जीवित करना है। इस परियोजना में आदिवासी महिलाओं और स्थानीय युवाओं को वैज्ञानिक रूप से लाक की खेती का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
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भोटिया: उत्तराखंड में ऊन रंगाई के पारंपरिक शिल्प को बढ़ावा देने के लिए, ओएनजीसी द्वारा सेवा इंटरनेशनल के सहयोग से, आधुनिक कपड़ों के ट्रेंड के साथ उनके पोशाक की शैली को मिलाकर उनके प्रतिभाओं का प्रदर्शन करने के लिए प्लेटफार्म और विपणन का अवसर उत्पन्न किया जाएगा और उनकी शिल्प कौशल को व्यापक उपभोक्ता मंच पर प्रदर्शित किया जाएगा।
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असम सिल्क: ओएनजीसी, नॉर्थ ईस्ट डेवलपमेंट फोरम के साथ मिलकर, शिवसागर जिले (ऊपरी असम) के चिन्हित हथकरघा समूहों के भीतर और बाहर अवस्थित हथकरघा बुनकरों के सतत विकास को एक समेकित, स्व-प्रबंधन और प्रतिस्पर्धी सामाजिक-आर्थिक इकाई के रूप में परिवर्तित करेगा।
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