जल शक्ति मंत्रालय
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को गांवों में जल आपूर्ति के माप और निगरानी के लिए लिखा
ग्रामीण भारत में जल आपूर्ति अवसंरचना का डिजटलीकरण करने की दिशा में बड़ा कदम
Posted On:
16 MAY 2021 4:32PM by PIB Delhi
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति के माप और निगरानी करने के लिए सेंसर आधारित आईओटी समाधान को तैयार करने के लिए कहा है। यह नियमित आधार पर जलापूर्ति में उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान करके ग्रामीण घरों में जल सेवा वितरण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक नेक पहल है।
भारत के पास दुनिया की सबसे जीवंत आईओटी पारिस्थितिकी प्रणालियों में से एक मौजूद है, जिसमें इसे विभिन्न सहायक समर्थकों के माध्यम से राष्ट्रीय सीमाओं से परे वैश्विक मांग की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के अनुकूल बनाया जाता है। भारत सरकार ने कई क्षेत्रों में इन सकारात्मक आईओटी प्रौद्योगिकी के लाभों का फायदा उठाने की दिशा में कई पहलों की शुरूआत की हैं।
इस दक्षता का उपयोग करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) ने ग्रामीण क्षेत्रों में जल सेवा वितरण प्रणाली की माप और निगरानी हेतु रोड मैप तैयार करने के लिए एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। समिति में शिक्षा, प्रशासन, प्रौद्योगिकी और जल आपूर्ति क्षेत्र के विशेषज्ञ सदस्य शामिल हैं। समिति ने 11 बार बैठक की है और कोविड महामारी के बावजूद अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा की गई रिपोर्ट, एक सुसंगत प्रणाली तैयार करने, उसे विकसित करने और स्थापित करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करती है जो स्थानीय और केन्द्रीय स्तर पर आंकड़ों का आदान-प्रदान करने में सक्षम होता है। व्यापक फ्रेमवर्क, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को अवसंरचना के माध्यम से आगामी जल सेवा वितरण में परिवर्तन की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में वांछित मानकों को मजबूती प्रदान करने में मदद करेगा।
इस मिशन ने राज्य सरकारों और क्षेत्र के भागीदारों के साथ साझेदारी में कई गांवों में प्रायोगिक आधार पर सेंसर आधारित जल आपूर्ति प्रणाली को सुविधाजनक बनाने की शुरुआत की है। 11 प्रायोगिक स्थानों से दैनिक जल आपूर्ति, इसकी मात्रा और नियमितता के बारे में डेटा, जल जीवन मिशन डैशबोर्ड पर दर्शाया गया है: https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx । बिहार, पंजाब, हरियाणा जैसे कई राज्य इसे लागू करने के लिए सामने आए हैं। सिक्किम, मणिपुर, गोवा ने सर्वेक्षण के मौलिक कार्य को पूरा कर लिया है। गुजरात ने 1,000 गांवों में सेंसर आधारित ग्रामीण जल आपूर्ति प्रणालियों को नेविगेट करना शुरू कर दिया है। एनजेजेएम द्वारा एमईआईटीवाई, भारत सरकार के साथ साझेदारी में शुरू की गई एक टेक्नोलॉजी ग्रांड चैलेंज, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मणिपुर राज्यों के 100 गांवों में प्रदर्शित होने जा रही है।
फील्ड लोकेशन से एकत्रित किए गए डेटा को राज्य और केंद्रीय सर्वर पर प्रेषित किया जाएगा, जिसका उपयोग राज्य और केंद्रीय स्तर पर कार्यक्षमता (पानी आपूर्ति की मात्रा, गुणवत्ता और नियमितता) की निगरानी के लिए किया जा सकता है। यह सेवा वितरण समय और पानी की हानि में कमी लाने और दीर्घकालिक आधार पर पानी की मात्रा और गुणवत्ता की निगरानी सुनिश्चित करेगा। इस डेटा का अतिरिक्त लाभ यह होगा कि यह समय के साथ उपयोगकर्ता समूहों की मांग पैटर्न का विश्लेषण करेगा और समग्र स्तर पर मांग प्रबंधन के लिए इस जानकारी का उपयोग करेगा, गैर-राजस्व वाले जल में कमी लाएगा, उचित प्रबंधन, प्रभावी संचालन और गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों के रखरखाव को सुनिश्चित करेगा।
संविधान में किए गए 73वें संशोधन के अनुसार, ग्राम पंचायत या इसकी उप-समिति यानी ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति/ पानी समिति, ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पीआरआई/आरएलबी के लिए 15वें वित्त आयोग के सशर्त अनुदान का उपयोग पेयजल और स्वच्छता के लिए किया जाना है। इस प्रकार, राज्यों, ग्राम पंचायतों या पानी समिति की सुविधा के लिए, जल आपूर्ति की माप और निगरानी करने के लिए एक स्वचलित प्रणाली का होना आवश्यक है। यह जल सेवा वितरण की माप और निगरानी के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग और सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए स्वचलित सेवा वितरण डेटा को कैप्चर और संचारित करने की आवश्यकता की मांग करता है।
केंद्र सरकार की कोशिश है कि सभी गांवों तक ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क का विस्तार किया जाए। तदनुसार, प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि सभी गांवों को फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। लगभग पूरे देश में टेलीकॉम कनेक्टिविटी पहुंच चुकी है। आईओटी रणनीतियों का उपयोग, पानी की मात्रा और गुणवत्ता निगरानी के लिए तेजी के साथ किया जा रहा है। हाल में हुई तकनीकी प्रगति जैसे आईओटी, बिग डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड आदि और मोबाइल डेटा, हार्डवेयर (सेंसर) और सॉफ्टवेयर की घटती लागत, ग्रामीण भारत में जल आपूर्ति अवसंरचना का डिजटलीकरण करने का अवसर प्रदान करती है। डिजिटल रूप से सक्षम जल आपूर्ति अवसंरचना से वास्तविक समय की निगरानी और साक्ष्य आधारित नीति बनाने में सहायता मिलेगी। जल आपूर्ति अवसंरचना का डिजटलीकरण, ग्राम पंचायतों को ‘स्थानीय जनोपयोगी’ के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके माध्यम से भविष्य में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का पूर्वानुमान लगाने और उनका समाधान करने में सहायता मिलेगी।
जल जीवन मिशन (जेजेएम), केंद्र सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जो घरेलू स्तर पर जल सेवा वितरण पर ध्यान केंद्रित करता है यानी नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता वाली 55 एलपीसीडी पानी की आपूर्ति। इस मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायत या इसकी उप समिति अर्थात ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति/ पानी समिति को पेयजल प्रबंधन, जल सेवा वितरण, ग्रे वाटर ट्रीटमेंट एवं इसका पुन: उपयोग करने के लिए ‘स्थानीय जनोपयोगी’ के रूप में कार्य करना होता है और नियमित एवं दीर्घकालिक आधार पर प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए सुनिश्चित पेयजल आपूर्ति करने हेतु गांव में पानी आपूर्ति अवसंरचना का संचालन एवं रख रखाव पर ध्यान केंद्रित करना होता है।
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